- प्रथमा से आचार्य तक की डिग्री संस्कृत यूनिवर्सिटी से

-फ‌र्स्ट ईयर का रिजल्ट अवैध, फिर भी उत्तर मध्यमा किया पास

-रिकार्ड की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित

VARANASI

उत्तराखंड संस्कृत यूनिवर्सिटी, हरिद्वार के वीसी प्रो। पीयूषकांत दीक्षित की डिग्री संदेह के घेरे में आ गई है। पूर्व मध्यमा (हाईस्कूल) से लगायत आचार्य (पीजी) तक की डिग्री उन्होंने संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी से हासिल की है। सन् क्97म् में उत्तर मध्यमा के फ‌र्स्ट ईयर में उनका रिजल्ट अनुचित साधन के प्रयोग में रोक दिया गया था। बावजूद सन् क्977 में उन्हें उत्तर मध्यमा सेकेंड ईयर में उत्तीर्ण का सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया है। खास बात यह भी है कि सन् क्97म् के परीक्षा अभिलेख में रोल नंबर फ्7ब्भ् के सामने रिजल्ट अवैध भी लिखा हुआ है। ऐसे में यूनिवर्सिटी ने उन्हें सेकेंड ईयर का सर्टिफिकेट कैसे जारी किया इस पर सवाल उठ रहे हैं।

नया नहीं केस

यूनिवर्सिटी के लिए यह कोई नया केस नहीं है। परीक्षा अभिलेखों में इस तरह के सैकड़ों केस यूनिवर्सिटी के सामने आ चुके हैं। हालत यह है कि कई परीक्षार्थियों को सीधे पूर्व मध्यमा व उत्तर मध्यमा के सेकेंड ईयर का मार्कशीट जारी किया जा चुका है। हालांकि ऐसे केस सामने आने पर यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को रिजल्ट कैंसिल करना पड़ा है। उत्तराखंड के वीसी प्रो। दीक्षित के केस में भी यूनिवर्सिटी की गड़बड़ी बताई जा रही है। बहरहाल आरोप को देखते हुए एग्जाम कंट्रोलर प्रो। राजनाथ ने राम किशोर त्रिपाठी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। समिति में प्रो। व्यास मिश्र, प्रो। विधु द्विवेदी, प्रो। शैलेश कुमार मिश्र मेंबर बनाए गए हैं। वहीं एग्जाम कंट्रोलर स्वयं इस कमेटी के संयोजक हैं। कमेटी को जल्द से जल्द रिपोर्ट देने को कहा गया है।