कॉरिडोर को भव्य रूप देने के लिए तेजी से चल रहा काम

निर्माण में सबसे ज्यादा बलुआ पत्थर का होगा इस्तेमाल

पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम को भव्य बनाने के लिए काम तेजी से चल रहा है। मंदिर की डीपीआर के अनुसार धाम को आकार देने के लिए आठ प्रकार के पत्थरों को लगाया जा रहा है, जिसमें इटैलियन, मकराना, ग्रेनाइट, चुनार का लाल बलुआ, बालेश्वर, मंडोना, कोटा और कंक्रीट स्टोन शामिल है। ये सभी पत्थर मंदिर परिसर में अलग-अलग जगह पर लगाए जाएंगे। अभी चुनार के लाल बलुआ पत्थर से धाम में दीवारें और पिलर खड़े किए जा रहे हैं। वहीं मकराना के पत्थर से काशी विश्वनाथ की फ्लोरिंग की जाएगी।

लाल बलुआ पत्थर

कार्यदायी संस्था पीडल्ब्यूडी के अधिशासी अभियंता संजय गोरे के अनुसार इन सभी पत्थरों का अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल होगा। धाम के निर्माण में सबसे ज्यादा चुनार के लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया जाएगा। इसका प्रयोग प्रस्तावित सभी भवनों के पिलर बनाने में होगा। यह पत्थर चुनार की पहाडि़यों से निकालकर गुजरात में तराशा जा रहा है। करीब 20 गाडि़यों में आये सभी पत्थर प्लास्टिक से कवर हैं।

मकराना :

विश्वनाथ धाम में राजस्थान के मकराना पत्थर का इस्तेमाल भी होगा। मकराना से लाये जा रहे पत्थरों से फ्लोरिंग की जाएगी। पत्थर की गुणवत्ता जांचने के लिए अभी एक टीम राजस्थान भी गई थी।

बालेश्वर स्टोन :

उड़ीसा से बालेश्वर स्टोन को मंगाया जा रहा है। यह पत्थर धाम के सभी भवनों की दीवारें की बाहरी सतह पर लगाया जाएगा। बालेश्वर पत्थर में डिजाइन और इतिहास आदि लेखन में आसानी होती है।

मंडाना स्टोन :

राजस्थान के जोधपुर और जैसलमेर में बनने वाले मंडाना स्टोन को घाट किनारे सीढि़यों पर लगाया जाएगा। इसके अलावा गंगा किनारे उन स्थानों पर लगाया जाएगा। जहां गंगा का पानी पहुंच सकता है। यह लाल बलुआ पत्थर की तरह दिखता है।

कोटा स्टोन :

धाम में कोटा स्टोन उन जगहों पर लगाया जाएगा, जहां डिजाइन बनानी होगी। यह पत्थर राजस्थान के कोटा से लाया जाना है। चूंकि यह विभिन्न रंगों में उपलब्ध होते हैं। इसलिए डिजाइन के लिए इसका ज्यादा इस्तेमाल होता है।

इटैलियन पत्थर

इटैलियन मार्बल की तुलना विट्रिफिएड टाइल्स और इंडियन मार्बल से किया जाता है। इन पत्थरों का इस्तेमाल खासकर मंदिर परिसर के फर्श पर किया जाएगा। यह देखने में काफी खूबसूरत लगता है।

ग्रेनाइट पत्थर :

ग्रेनाइट पत्थरों को संग्रहालय, वैदिक केंद्र सहित खास-खास भवनों में लगाया जाना है। यह मिश्रित रंग में होता है। यह पत्थर खासकर विश्वनाथ धाम की सीढि़यों, दीवार और फ्लोरिंग के लिए मंगाया जा रहा है।

क्रंकीट पत्थर :

क्रंकीट पत्थर का इस्तेमाल विश्वनाथ धाम कारिडोर परिसर में जगह-जगह इस्तेमाल होगा। सामान्य तरह के निर्माण में होगा।

काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। दीपावली के पहले तक धाम कुछ आकार जरूर ले लेगा। धाम को भव्य और सुंदर बनाने के लिए आठ तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा।

-संजय गोरे, अधिशासी अभियंता पीडल्ब्यूडी