-ई-रिक्शा चाìजग से गैराज मालिक बिजली विभाग को लगा रहे चपत

-घरेलू बिजली कनेक्शन से चार्ज कर रहे ई-रिक्शा

बनारस की सड़कों पर अब पैडल रिक्शा से ज्यादा ई-रिक्शा का रेला है। यह बगैर चार्ज के नहीं चलता, मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कमाई करने वाला यह रिक्शा कमर्शियल बिजली कनेक्शन से नहीं बल्कि घरेलू बिजली से चार्ज हो रहा है। आपकी बिजली से ई- रिक्शा का कारोबार फलफूल रहा है। शहर में संचालित हजारों ई-रिक्शा की बैटरी घरेलू बिजली (एलएमवी-1) से ही चार्ज किए जा रहे हैं। कुल मिलाकर गैराज मालिक घरेलू बिजली का व्यवसायिक उपयोग कर रहे हैं, जो नियमानुसार पूरी तरह से अवैध है। व्यवसायिक यूनिट दर की तुलना में घरेलू बिजली यूनिट का चार्ज लगभग 40 फीसदी तक कम होता है। इस लिहाज से इस खेल से बिजली विभाग को हर महीने करोड़ों रुपए की चपत लग रही है। विभाग के कर्मचारियों से साठगांठ कर ई-रिक्शा गैराज मालिक विभागीय अधिकारियों के नजर में नहीं आ पाते।

करोड़ों की हो रही बिजली चोरी

शहर में लगभग तीन हजार से ज्यादा ई-रिक्शा हैं। एक ई-रिक्शा की बैट्री को चार्ज करने में अमूमन 6 से 7 घंटे लगते हैं। इस दौरान लगभग 9 यूनिट बिजली की खपत होती है। घरेलू बिजली की रेट 6.15 रुपए प्रति यूनिट है। वहीं व्यवसायिक बिजली की बात करें तो इसकी रेट 8.50 रुपए प्रति यूनिट है। एक साल में तीन हजार ई-रिक्शा को चार्ज करने में लगभग 1 करोड़ 24 लाख यूनिट बिजली की खपत होती है। इतनी यूनिट खपत होने पर बिजली विभाग को व्यवसायिक बिजली के हिसाब से कुल 17 करोड़ 54 लाख रुपए मिलते। जबकि शहर में ई-रिक्शा घरेलू बिजली से चार्ज किए जाते हैं। यदि सभी ई रिक्शा के मालिक बिजली बिल का भुगतान करें तो विभाग को करोड़ों का फायदा होगा।

कमाई भरपूर फिर भी जारी है चोरी

ई-रिक्शा से मालिकों को कमाई भी खूब हो रही है। फिर भी घरेलू कनेक्शन से ही उसे चार्ज करते हैं। ई-रिक्शा चालक प्रतिदिन 400 रुपए मालिक को किराए के रूप में देते हैं। एक दिन में चालक को 800 से 1200 रुपए की कमाई होती है। इसके अलावा गैराज मालिक स्वतंत्र चालकों से यार्ड में ई- रिक्शा खड़ा करने का किराया 30 रुपये वसूलते हैं। वहीं, उनसे 90 रुपये बैटरी चार्ज का खर्च लिया जाता है।

अवैध चाíजग गैराज

प्रशासनिक अधिकारियों की शिथिलता के चलते वाराणसी में अवैध गैराज का धंधा तेजी से फलफूल रहा है। शहर में ऐसे चार दर्जन से ज्यादा ऐसे चाìजग यार्ड और गैराज है, जहां विभागीय अधिकारियों की नजर नहीं पड़ती। गौर करें तो सिगरा के शिवाजी नगर क्षेत्र में दो, शिवपुरवा में एक, लहरतारा में तीन, मंडुआडीह क्षेत्र में दो, लंका स्थित सामने घाट क्षेत्र में एक, अस्सी घाट पर दो चाìजग यार्ड, भेलूपुर में एक है। इसके अलावा बजरडीहा, गोलगड्डा, चौकाघाट, तेलियाबाग, सरैया व पांडेयपुर, शिवपुर समेत दर्जनों इलाके हैं, जहां यह धंधा जोरों पर चल रहा है।

यह है नियम

उत्तर प्रदेश में ई-रिक्शा के लिए दो महीने पहले नई नियमावली जारी की गई है। इसके तहत वाहन स्वामी को टाइप-11 में कनेक्शन के लिए आवेदन करना होगा। यह व्यवसायिक बिजली की श्रेणी में आता है। इस योजना में उपभोक्ता को आधा किलोवाट से लेकर 10 किलोवाट अथवा उससे भी ज्यादा क्षमता का कनेक्शन दिया जाता है। शेष अन्य कनेक्शन को अवैध माना जाएगा। कुछ ऐसी ही अनियमितता मिलने पर मंडुआडीह क्षेत्र में दो गैराज मालिकों के खिलाफ विभागीय अफसर ने धारा 135 के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।

चाìजग सेंटर खोलने की तैयारी

उत्तर प्रदेश राज्य में प्रदूषण रहित वाहनों के संचालन पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत बैटरी चालित वाहन (इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल) के लिए राज्य सरकार प्रोत्साहित कर रही है। इसी क्रम में वाराणसी में जगह-जगह चाìजग स्टेशन बनाने का प्रस्ताव है। नगर निगम की निगरानी में पहला चरण पूरा हो चुका है। चाìजग स्टेशन के लिए कुल 15 स्थान चिन्हित किए गए हैं। वैश्विक त्रासदी के चलते यह प्रकिया थोड़ी धीमी हो गई।

घरेलू कनेक्शन से ई-रिक्शा का बैटरी चार्ज करना पूरी तरह से अवैध है, विभाग समय-समय पर अभियान चलाकर ऐसी गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करता है। आगे भी ऐसे लोर्ग पर कर्रवाई होगी।

अनूप कुमार राय, उपखंड अधिकारी