सब हेडिंग

11वीं के स्टूडेंट्स में खूनी संघर्ष, एक की काटी गर्दन

इंट्रो

आज के पेरेंट्स अपने बच्चों को बढि़या से बढि़या एजुकेशन के लिए मॉर्डन स्कूलों में भेजते हैं। भले फीस चुकाने के लिए वो अपना पेट काटे लेकिन बच्चे को हर शौक पूरा करते हैं। इस उम्मीद के साथ कि बच्चा पढ़-लिख कर उनका नाम रोशन करेगा। लेकिन ऐसे मॉर्डन स्कूलों का एक स्याह पक्ष बुधवार को सामने आया। एक कान्वेंट स्कूल कैम्पस में 11वीं के कुछ स्टूडेंट्स ने अपने ही क्लास के एक लड़के पर चाकुओं से हमला कर उसकी गर्दन चाक कर दी। आप भी देखिए कि अच्छी शिक्षा के चक्कर में ये कहां आ गए हम

- मंडुवाडीह स्थित एक प्राइवेट स्कूल में हुई घटना, क्लास के लड़कों ने ही किया जानलेवा हमला

- घटना के बाद मचा हड़कंप, तीन छात्रों के खिलाफ 307 का मुकदमा, एक हिरासत में

- घायल छात्र को लगे 20 से ज्यादा टांके, दो अन्य आरोपी छात्रों की तलाश कर रही पुलिस

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ

मण्डुआडीह के महेशपुर स्थित एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में बुधवार की सुबह 11वीं के स्टूडेंट्स के बीच खूनी संघर्ष हुआ। इस घटना में तीन स्टूडेंट्स ने अपने ही क्लास के एक स्टूडेंट्स पर चाकुओं से हमला कर उसकी गर्दन चीर डाली। हमले में बीच-बचाव करने पहुंचे एक अन्य छात्र गंभीर रूप से घायल हुआ। इस मामले में आरोपी छात्रों के खिलाफ जान लेवा हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज हुआ है। मुख्य आरोपी को पुलिस ने हिरासत में ले भी लिया है।

मच गई अफरातफरी

मंडुआडीह के माणिक नगर का निवासी वैभव कुमार सिंह महेशपुर स्थित इंग्लिश मीडियम स्कूल में 11वीं का स्टूडेंट है। बुधवार की सुबह स्कूल पहुंचने पर उसके क्लास में पढ़ने वाले भिटारी निवासी हर्षित दूबे ने अपने दो साथियों अंकित सिंह व हर्ष नारायण राय के साथ उसपर चाकू से हमला कर दिया। हमले में वैभव का गर्दन बुरी तरह कट जाने से वह लहूलुहान हो गया। उसे बचाने के चक्कर में वहीं मौजूद गौरव तिवारी पर भी हर्षित और उसके साथियों ने हमला किया जिससे उसका बायां हाथ जख्मी हो गया। ये देख कैम्पस में अफरातफरी मच गयी।

बीस से ज्यादा लगे टांके

हमले के साथ हर्षित अपने एक साथी के साथ भाग निकला जबकि एक अन्य वहीं मौजूद रहा जिसे स्कूल के अन्य छात्रों ने पकड़ लिया। वैभव को स्कूल मैनेजमेंट ने तत्काल पास के निजी अस्पताल पहुंचाया लेकिन हालत गंभीर देख फ‌र्स्ट एड के बाद उसे मंडलीय हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया। मंडलीय हॉस्पिटल में उसे 20 से ज्यादा टांके लगे। स्कूल कैम्पस में सीसी कैमरे में घटना की वीडियो फुटेज देखने के बाद जख्मी छात्र के पिता राकेश की तहरीर पर पुलिस ने तीनों छात्रों के खिलाफ धारा 506 और 307 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस का मानना है कि घटना की वजह आशनाई हो सकती है।

आरोपी छात्र पर हो चुकी है कार्रवाई

जिस स्कूल में ये घटना हुआ है, वहां की कहानी और ज्यादा हैरान करने वाली है। घायल छात्र की माने तो मुख्य आरोपी हर्षित दूबे के खिलाफ टीचर से मिस बिहैव मामले में करीब 15 दिन पहले एक्शन हुआ और उसे रेस्टिकेट किया गया था। बाद में न जाने कैसे उसे सोमवार से फिर से स्कूल आने की परमिशन मिल गई। इधर, वैभव के पिता राकेश प्रसाद सिंह का आरोप है कि पांच दिन पहले भी इन्हीं छात्रों ने मेरे बेटे को मारा-पीटा था। इसकी शिकायत स्कूल मैनेजमेंट से की गयी। लेकिन कड़ा एक्शन न होने की वजह से ये घटना हुई।

स्कूल ने भी दी तहरीर

घटना के बाद स्कूल मैनेजमेंट ने हमलावर तीनों छात्रों के अलावा पीडि़त छात्र के खिलाफ तहरीर दी है। मैनेजमेंट के मोहित श्रीवास्तव का कहना है कि ये इन चारों की आपसी रंजिश का परिणाम है। स्कूल में चाकू कैसे पहुंचा? इस पर उन्होंने कहा कि हर एक बच्चे के बैग की तलाशी संभव नहीं है। हां, सुरक्षा के लिहाज से कैम्पस में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं जिससे बच्चों की निगरानी की जाती है।

--------------

शिक्षा तो देते हैं, संस्कार नहीं

- स्कूल में हुई चाकूबाजी की घटना ने शिक्षाविदों को चौकाया, हर कोई बोला सिर्फ कोर्स पूरा कराते हैं स्कूल

- मारपीट के अलावा भी स्कूलों में चलता है दबंग छात्रों की मनमानी का खेल, मैनेजमेंट भी रहता है चुप

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ

मंडुवाडीह स्थित प्राइवेट स्कूल में हुई चाकूबाजी की घटना ने ये तो साफ कर दिया है कि अब चाकू, गोली और बंदूक जैसी खतरनाक चीजों से स्कूल कैंपस भी अछूते नहीं रह गए हैं। कल तक कॉलेज कैंपस में होने वाली दबंगई और टशन का खेल अब स्कूलों में भी होने लगा है। जिसका शिकार कमजोर स्टूडेंट बन रहे हैं और आये दिन इस तरह की वारदातें सामने आ रही हैं। इस समस्या को लेकर आई नेक्स्ट ने शहर के शिक्षाविदों से बातचीत कर उनकी भी प्रतिक्रिया ली। जो चौकाने वाली है। जब हमने इस घटना के बारे में उन्हें बताया तो उनका एक ही जवाब था स्कूलों में अब सिर्फ कोर्स पूरा करने पर ध्यान दिया जाता है और बच्चों को सिर्फ शिक्षा दी जाती है संस्कार नहीं।

स्कूलों में परेशान होते हैं बच्चे

- स्कूलों में समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं

- पढ़ाई का है जबरदस्त प्रेशर

- पढ़ाई, आर्थिक और शारीरिक तौर पर कमजोर बच्चे हैं ज्यादा परेशान

- ऐसे बच्चों को स्कूलों में पढ़ने वाले दबंग बच्चे बना रहे हैं अपना शिकार

- बच्चों से रंगदारी वसूलने जैसी घटनाएं अब स्कूलों में भी आम हो गई हैं

- जिसकी कई बार थाने तक शिकायत भी पहुंच चुकी है

- बढ़ते दिखावे के कारण बच्चे रुपये ज्यादा खर्च करने लगे हैं

- जो स्कूलों में क्राइम को बढ़ावा दे रहा है

- होमोसेक्सुएलिटी के मामले भी स्कूलों में सामने आते हैं

- को एजुकेशन के चलते ग‌र्ल्स को अट्रैक्ट करने के चक्कर में भी मारपीट की घटनाएं स्कूलों में आम हो गई हैं

- स्कूल बदनामी के डर से ऐसे सभी मामलों को दबा देते हैं

- अक्सर पेरेंट्श तक भी ये बातें नहीं पहुंचती

ये सब विदेशी कल्चर का नतीजा है। जिस तरह वहां के स्कूलों में खूनी संघर्ष होता है वैसे ही यहां भी हो रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है शिक्षा संग संस्कार देने में हो रही चूक। ये समस्या हर स्कूल के साथ है। जिसे दूर करना जरूरी है।

बेनी माधव, प्रिंसिपल महाबोधि इंटर कॉलेज

ऐसी घटनाओं की सबसे बड़ी वजह है बच्चों में सब्र की कमी और स्कूलों में पढ़ाई के स्तर का कमजोर होना। स्कूलों को चाहिए कि हर बच्चे की पर्सनल काउंसलिंग हो ताकि ऐसी घटनाएं फिर से न हो सकें।

जगदीप मधोक, सेकेट्री, सनबीम एकेडमी

ये बड़ी ही चिंता का विषय है कि स्कूलों में दसवीं और 11वीं के छात्र चाकू और बंदूक लेकर आ रहे हैं। इसके लिए जिम्मेदार स्कूलों में नैतिक शिक्षा की कमी है क्योंकि स्कूल सिर्फ नौकरी करना सीखा रहे हैं संस्कार संग जीवन जीना नहीं।

हरेन्द्र राय, प्रिंसिपल, सनातन धर्म इंटर कॉलेज

एजुकेशन में वैल्यूएशन की कमी के कारण ऐसी चीजें हो रही हैं। आज हर स्कूल सिर्फ अपना कोर्स पूरा करना चाहता है और पेरेंट्श बच्चे को हर हाल में पढ़ते देखना चाहते हैं। जिसे बदलने की जरूरत है तभी स्कूलों का माहौल बदलेगा।

अमृता वर्मन, डिप्टी डायरेक्ट सनबीम ग्रुप

आज के दौर में हर बच्चा अपनी अलग सोच रखता है जबकि स्कूल और पेरेंट्श उसे अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं। वहीं टीवी और फिल्मों ने जिस तरह से बच्चों पर असर डाला है उसका भी बच्चों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। जिसका असर स्कूलों में छोटे-मोटे झगड़ों में देखने को मिल रहा है।

डॉ संजय गुप्ता, साइकिएट्रिरिस्ट