- इस बार की मानसूनी बारिश में हुई भारी तबाही, जगह-जगह दरक गए पहाड़
-चटख धूम लगते ही शुष्क पहाड़ी से मिट््टी-पत्थर गिर रहे सड़क पर, आवाजाही बनी डेंजर

देहरादून (ब्यूरो):सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि इस बार की बारिश में अकेले बदरीनाथ हाईवे पर 22 नए भूस्खलन प्वाइंट बने हैं, जिनमें रुक-रुक कर मिट्टी-पत्थर गिर रह हैं। सड़क पर मलबा गिरने से जहां हाईवे खतरनाक बन गया है वहीं यातायात भी अवरुद्ध हो रहा है। इससे चारधाम टूरिस्ट को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

रोड की हालत खस्ताहाल
बदरीनाथ धाम को जोडऩे वाले एकमात्र राजमार्ग पर चमोली जिले में 12 भूस्खलन क्षेत्र पहले से आवाजाही में रोड़ा बने हुए थे। अब वर्षाकाल में 22 नए भूस्खलन क्षेत्र डेवलप हो गए हैं। यहां निरंतर हो रहे भूस्खलन के कारण हाईवे पर कई स्थानों पर मलबा गिर रहा है। कई स्थान ऐसे भी हैं, जहां ङ्क्षसगल लेन सड़क ही बची है। हालांकि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सड़क को दुरुस्त करने में जुटा है, लेकिन मार्ग पूरी तरह दुरुस्त कब तक होगा ऐसा दावा नहीं किया जा सकता। वर्तमान हालात को देखते हुए श्रद्धालुओं को इस चरण में भी हिचकोले खाते हुए यात्रा करनी पड़ेगी। चारधाम यात्रा के दूसरे चरण में भी बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर खस्ताहाल सड़क और भूस्खलन क्षेत्र तीर्थ यात्रियों की परीक्षा लेंगे।

100 मीटर तक के हैं प्वाइंट
इस बार बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खोले गए थे और अब तक करीब 12 लाख श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर चुके हैं। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग चमोली जिले में कमेड़ा (गौचर) से बदरीनाथ धाम तक है और इसकी लंबाई करीब 160 किमी है। चारधाम यात्रा की तैयारियों के दौरान इस मार्ग पर बारह भूस्खलन क्षेत्र चिह्नित किए गए थे। लेकिन, वर्षाकाल में लगातार वर्षा के चलते कमेड़ा से धाम तक 22 भूस्खलन क्षेत्र और विकसित हो गए। इनका दायरा सौ मीटर तक है।

रुक-रुक कर गिर रही मिट्टी-पत्थर
पहला नया भूस्खलन क्षेत्र चमोली के प्रवेश द्वार कमेड़ा में विकसित हुआ है। भनेरपानी और मैठाणा सबसे लंबा भूस्खलन क्षेत्र हैं। इन भूस्खलन क्षेत्रों में हल्की वर्षा होते ही पहाडिय़ों से मलबा और पत्थर बरसने का क्रम शुरू हो जाता है। इस कारण जून से अब तक राजमार्ग जगह-जगह पर बंद रहा है। जुलाई में राजमार्ग लगातार तीन दिन तक अवरुद्ध रहा था। नए भूस्खलन क्षेत्रों के लिए पहाड़ की कङ्क्षटग को जिम्मेदार माना जा रहा है। असल में राजमार्ग चौड़ीकरण के लिए पहाड़ तो काट दिए गए, मगर सुरक्षा दीवार नहीं बनाई गई।

ये हैं कुछ नए भूस्खलन क्षेत्र
मैठाणा, छिनका, गडोरा, पीपलकोटी, नवोदय विद्यालय के पास, कमेड़ा, पंच पुलिया के पास, बाबा आश्रम के पास, लंगासू चौकी के पास, बैराजकुंज के पास, परथाडीप के पास, भनेरपानी-टू, वैलाकुची, गुलाबकोटी, टय्या पुल।

पुराने भूस्खलन क्षेत्र
नंदप्रयाग, हिलेरी स्पाट के पास, बाजपुर, भनेरपानी, पागलनाला, टंगणी, खचड़ानाला, हाथी पहाड़, लामबगड़ नाला, कंचनगंगा।

हाईवे को इस बार बारिश से भारी नुकसान पहुंचा है। रोड पर आ रहे मलबे को हटाकर आवाजाही के लिए सुरक्षित बनाने का कार्य लगातार चल रहा है। नए और पुराने भूस्खलन क्षेत्रों में जेसीबी मशीनें नियमित कार्य कर रही हैं।
राजेश कुमार, असिस्टेंट इंजीनियर, एनएचएआई
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