देहरादून(ब्यूरो) एसएसपी अजय सिंह के अनुसार, रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में अब तक नौ मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें 13 आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। छह अक्टूबर को गिरफ्तार किए गए जाली हस्ताक्षर करने के आरोपी हैंड राइटिंग एक्सपर्ट अजय मोहन पालीवाल ने पूछताछ में एसआईटी को बताया कि उसने गिरफ्तार किए गए अधिवक्ता कमल विरमानी और कुंवरपाल सिंह के साथ मिलकर कई जमीनों के फर्जी विलेख पत्रों में फर्जी लेख एवं हस्ताक्षर किए थे, इसकी मदद से उन्होंने खाली पड़े व विवादित भूखंडों को बेचकर करोड़ों रुपये कमाए। पूछताछ में आरोपी अजय मोहन ने यह भी बताया कि उसने कुंवरपाल के कहने पर एनआरआई रक्षा सिन्हा की राजपुर रोड स्थित जमीन के फर्जी विलेख पत्र रामरतन शर्मा के नाम से बनाकर देहरादून निवासी ओमवीर व मुजफ्फरनगर निवासी सतीश व संजय को बेच दी थी।

ढाई बीघा जमीन का मामला
अजय मोहन के बयानों के आधार पर एसआईटी ने अपनी जांच आगे बढ़ाई। इस दौरान एसआईटी को पता चला कि राजपुर रोड स्थित मधुबन होटल के सामने एनआरआई रक्षा सिन्हा की करीब ढाई बीघा जमीन है, जिसके फर्जी दस्तावेज तैयार कर आरोपियों ने सब रजिस्ट्रार कार्यालय में संबंधित रजिस्टर में लगा दिया था। इस मामले में शहर कोतवाली में एक मुकदमा भी दर्ज किया गया था। शहर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक राकेश गुसाईं व उनकी टीम ने जांच के बाद शनिवार को आरोपी ओमवीर तोमर निवासी सेक्टर-2 डिफेंस कॉलोनी नेहरू कॉलोनी, सतीश कुमार निवासी जनकपुरी रुड़की रोड थाना सिविल लाइन, मुजफ्फरनगर और संजय कुमार शर्मा निवासी नई मंडी, मुजफ्फरनगर को देहरादून से गिरफ्तार कर लिया।

खाली पड़ी जमीनों पर नजर रखता था ओमवीर
पूछताछ में पता चला कि आरोपी ओमवीर की जान-पहचान सहारनपुर के भूमाफिया कुंवरपाल से थी। ओमवीर भी देहरादून में खाली पड़ी और विवादित जमीनों पर नजर रखता था। जब ओमवीर को राजपुर रोड स्थित खाली जमीन के बारे में पता चला तो उसने जमीन के बारे में जानकारी निकाली। उसे पता चला कि जमीन की मालिक इंग्लैंड में रहती है और लंबे समय से देहरादून नहीं आर्ई है। एनआरआई रक्षा सिन्हा के पीा पीसी निश्चल देहरादून में ही रहते थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। जमीन के बारे में ओमवीर ने कुंवरपाल को बताया तो उसने उक्त जमीन को उत्तराखंड के बाहर किसी बुजुर्ग व्यक्ति के नाम पर फर्जी तरीके से रजिस्टर्ड कराने का आश्वासन दिया। इसके लिए ओमवीर को बुजुर्ग व्यक्ति को लाने की जिम्मेदारी दी गई।

मुजफ्फरनगर के व्यक्ति के नाम करवाई जमीन
एसआईटी को जांच में यह भी पता चला कि ओमवीर ने अपने परिचित सतीश के माध्यम से मुजफ्फरनगर निवासी उसके दोस्त संजय शर्मा के पीा रामरतन शर्मा के नाम पर जमीन के फर्जी विलेख पत्र कुंवरपाल के माध्यम से तैयार करवाए। जमीन को वर्ष 1979 में पीसी निश्चिल से रामरतन के नाम क्रय-विक्रय करना दिखाया और कूटरचित विलेखपत्र को सब रजिस्ट्रार कार्यालय के बाइंडर सोनू के माध्यम से सब रजिस्ट्रार कार्यालय में संबंधित रजिस्टर पर लगा दिए थे।

तीन करोड़, 10 लाख रुपये में किया जमीन का सौदा
आरोपियों ने जमीन का सौदा ग्रीन अर्थ सोलर पावर लिमिटेड से तीन करोड़, 10 लाख रुपये में किया। एग्रीमेंट के एक करोड़, 90 लाख रुपये संजय सिंह को दिए गए। इसमें से संजय सिंह को 66 लाख और ओमवीर को 96 लाख रुपये, जबकि सतीश को 38 लाख रुपये मिले। जमीन की रजिस्ट्री उक्त कंपनी के नाम पर की जानी थी, लेकिन कंपनी स्वामियों को बताया गया कि एक पुराने विवाद के निपटारे के बाद रजिस्ट्री कर दी जाएगी। शेष रकम रजिस्ट्री के बाद देने की बात तय हुई। इसी बीच देहरादून में विभिन्न जमीनों के फर्जी विलेख पत्र तैयार करने का मामला सामने आ गया था।