देहरादून (ब्यूरो)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बतौर रिव्यूइंग ऑफिसर पीओपी की सलामी ली। उन्होंने आईएमए में सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा करने पर जेंटलमैन कैडेटों को बधाई दी। उत्कृष्ट परेड के लिए प्रशिक्षक और जेंटलमैन कैडेट्टस की सराहना की। उन्होंने विदेशी जेंटलमैन कैडेट्स को बधाई दी और कहा, हम अपने राष्ट्रों के बीच विशेष बंधन को संजोते हैं, और ऐसे अच्छे अधिकारियों और सज्जनों को प्रशिक्षित करना भारत के लिए बहुत गर्व की बात है। पासिंग आउट परेड में उत्तराखंड के गवर्नर ले। जनरल (रिटा) गुरमीत सिंह, सीएम पुष्कर सिंह धामी, आरट्रैक कमांडर ले जनरल राज शुक्ला, डिप्टी कमांडेंट मेजर जनरल आलोक जोशी समेत कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मौजूद रहे।

इन्हें मिला अवार्ड
स्वॉर्ड ऑफ ऑनर - एसीए अनमोल गुरुंग
गोल्ड मेडल (ऑर्डर ऑफ मेरिट) - अनमोल गुरुंग
सिल्वर मेडल (ऑर्डर ऑफ मेरिट) -बीओ तुषार सपरा
ब्रॉन्ज मेडल (ऑर्डर ऑफ मेरिट)-आयुष रंजन
तकनीकी ग्रेजुएट - जीसी कुणाल चौबीसा
चीफ आफ आर्मी स्टाफ बैनर - केरेन कंपनी
विदेशी जेंटलमैन कैडेट - बांग्लादेश के बीओ सांगे फेनडेन दोरजी

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नई यूनिफार्म पहन शामिल हुए कैडेट
आईएमए में हुई पासिंग आउट परेड में शामिल जेंटलमैन कैडेट नई यूनिफार्म (ड्रेस) मे दिखे। हर दिसंबर में होनी वाली परेड में कैडेट्स को हल्के से हरे रंग की अंगोला ड्रेस पहननी होती है। लेकिन इस बार अंगोला की जगह कैडेट नीले रंग की ब्ल्यू पेट्रोल ड्रिल ड्रेस पहनकर परेड में शामिल हुए। बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मौजूदगी में हुई परेड के लिए ही कैडेट्स के लिए यह यूनिफार्म निर्धारित की गई है। इस ड्रेस को विशेष आयोजन में ही पहना जाता है।

बग्घी नहीं कार में सवार होकर पहुंचे प्रेसीडेंट
पासिंग आउट परेड के दिन रिव्यूइंग अफसर सबसे खास व्यक्तित्व होता है। इसलिए अकादमी प्रबंधन इनकी मेजबानी में कोई कसर नहीं छोड़ती है। रिव्यूइंग अफसर चार घोड़ों वाली बग्घी में सवार होकर द्रोण द्वार से परेड स्थल पहुंचते हैं। लेकिन, इस बार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बग्घी से नहीं बल्कि कार में ही सवार होकर ही परेड स्थल पहुंचे। उनसे पहले उत्तराखंड के गवर्नर ले। जनरल गुरमीत सिंह व सीएम पुष्कर सिंह धामी भी द्रोण द्वार से ही परेड स्थल पहुंचे।

सादगी से हुई पीपिंग व ओथ सेरेमनी
आईएमए की चैटवुड बिल्डिंग के सामने ड्रिल स्मयर पर आयोजित होने वाली परेड (मार्च पास्ट) के बाद पवेलियन में पीपींग व ओथ सेरेमनी होती है। जहां परिजन अपने लाडलों के कंधों पर सितारे चढ़ाते हैं और जेंटलमैन कैडेट से लेफ्टिनेंट बनने वाले युवा देश की रक्षा के लिए मर-मिटने की शपथ लेते हैं। उत्सव व जश्न के इस पूरे दृश्य को लेकिन, इस बार अकादमी प्रबंधन ने पीपींग व ओथ सेरेमनी इंटरनल आयोजित की। इसमें मीडिया कर्मियों को जाने की अनुमति नहीं थी। कैडेट्स के स्वजन, अकादमी के अधिकारी व प्रशिक्षक ही इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

7 राष्ट्रपति ले चुके हैं पीओपी की सलामी
भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड में राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द सलामी लेने वाले सातवें राष्ट्रपति रहे। सबसे पहले बतौर निरीक्षण अधिकारी अकादमी में राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने परेड की सलामी ली। 10 दिसंबर 1932 को स्थापित भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) का इतिहास न केवल गौरवशाली रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर इसकी अलग पहचान भी हुई है। ।

कब-कब पहुंचे राष्ट्रपति
दिसंबर 1956 - तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ। राजेंद्र प्रसाद ने परेड की सलामी ली
दिसंबर 1962 -राष्ट्रपति डा। सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने परेड की सलामी ली।
दिसंबर 1976 - राष्ट्रपति फारूद्दीन अली अहमद ने परेड की सलामी ली।
जून 1992 -राष्ट्रपति आर। वेंकटरमन
दिसंबर 2006 - डा। एपीजे अब्दुल कलाम
जून 2011 -प्रतिभा पाटिल ने परेड की सलामी ली।

दून के भरत बने लेफ्टिनेंट
दून के हर्रावाला सैनिक कॉलोनी निवासी भरत सिंह 6 साल तक बतौर सिपाही फौज में मैकेनाइज्ड इंफेंट्री में तैनात रहे। भरत सिंह ने सैनिक आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) से सेना में अफसर बनने का प्लेटफार्म मिला। इसके बाद एसीसी के माध्यम से भारतीय सैन्य अकादमी में दाखिला मिला और अपनी मेहनत के बूते पास आउट होकर आज सेना में अफसर बन गए हैं। उन्हें आर्मी सर्विस कोर में कमीशन प्राप्त हुआ है। उनके पिता बलवंत सिंह भी सेना से हवलदार रैंक से रिटायर हुए हैं। जबकि मां पार्वती देवी हाउस वाइफ है। बड़ा भाई खिलाप सिंह भी फौज में है और छोटा भाई सूरज सिंह आबकारी विभाग में तैनात है। बेटे को मिली कामयाबी में शरीक होने के लिए पूरा परिवार आज आईएमए पहुंचा। भरत के सेना में अफसर बनने से उनके क्षेत्र व गांव में भी खुशी का माहौल है।