- परेड ग्राउंड के पास मौजूद है तिब्बती मार्केट
- दून का लैंड मार्क हुआ करती थी तिब्बती मार्केट

देहरादून (ब्यूरो): इसीलिए यहां यूनिफॉर्मेटी के फॉर्मेट को एप्लाई किया गया है। बाकायदा, इसके लिए पहले ही दुकानदारों को अवगत भी करा दिया गया है।

पहले थी 200, अब रह गई 156 दुकानें
जी हां, बात हो रही है दून के परेड ग्राउंड के पास स्थित तिब्बती मार्केट की। करीब 41 वर्ष पहले यानि 1982 में स्थित तिब्बती मार्केट किसी नाम का मोहताज नहीं है। एक वक्त था, जब पर्यटक दून पहुंचते थे तो तिब्बती मार्केट घूमे बिना उनकी जर्नी आधी मानी जाती थी। लेकिन, मॉल कल्चर के बीच अब थोड़ा बहुत असर इस बाजार पर भी पड़ा है। लेकिन, इसके बावजूद भी तिब्बती मार्केट दून के लिए एक लैंडमार्क से कम नहीं है। करीब चार दशक पहले तिब्बती मार्केट में करीब 156 छोटी साइज की दुकानें हैं। जिनके जरिए तिब्बती समुदाय से जुड़े लोग अपने परिवार की आजीविका के संचालन के साथ ही व्यवसाय चलाया करते हैं।

1988-89 में जगह हुई अलॉट
तिब्बती मार्केट के प्रधान जम्फेल व मार्केट यूनियन के उपाध्यक्ष कर्मा छोडक बताते हैं कि उत्तराखंड विभाजन से पहले यूपी के दौरान तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह रावत के शासनकाल में तिब्बती समुदाय के लोगों के लिए यह स्थान 1988-89 में दिया गया था। उसके बाद इस स्थान की शक्ल तिब्बती मार्केट के तौर पर होने लगी। वर्तमान में यहां 156 दुकानें थीं, लेकिन उससे पहले इन दुकानों की संख्या 200 के आसपास थी। सड़क की चौड़ाई व मार्केट संकरी होने के बाद करीब 50 से ज्यादा दुकानें दूसरे स्थान पर शिफ्ट हो गईं।

फिक्स फॉर्मूले पर होता है बिजनेस
तिब्बती मार्केट के ग्रुप लीडर कुंगा डाकपा बताते हैं कि मार्केट हैपनिंग मार्केट है, जो टूरिस्ट व 99 परसेंट स्थानीय लोगों के लिए बेस्ड हैैं। इस मार्केट में कपड़ों के अलावा हर प्रकार की यूटिलिटी से जुड़ी सामग्री आसनी से मिल जाती है। लेकिन, पिछले कुछ समय से यहां बार्गेनिंग करना अलाउ नहीं है। फिक्स प्राइज फॉर्मूले पर यहां शॉपिंग व सेल होती है। दुकानदार के फिक्स प्राइस में ऊपर-नीचे किए जाने पर दो हजार रुपए का जुर्माना वसूल लिया जाता है।

बाजार का यूनिक माहौल
तिब्बती मार्केट से जुड़े समुदाय के लोग अपने कस्टमर का दिल से आभार जताते नहीं थकते। उनका कहना है कि मार्केट में पहुंचने वाले कस्टमर्स का उन्हें पूरा सहयोग रहता है। यूनियन के अनुसार हर माह के लास्ट मंगलवार को ये मार्केट क्लोज रहा करती है। तिब्बती समुदाय से जुड़े लोग उत्तराखंड सरकार व केंद्र सरकार को शुक्रिया करते हैं। कहना है कि लोगों व सरकारों की वजह से ही उनके बच्चे पढ़ाई कर पा रहे हैं, आगे बढ़ रहे हैं और सारे अधिकार उन्हें मिल रहे हैं। तिब्बती मार्केट के लोगों का कहना है कि ये मार्केट अलग देश की फील कराता है।
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