देहरादून ब्यूरो। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को कुछ ऐसे खनन पट्टा धारकों के बारे में जानकारी मिली है, जो आधी-अधूरी एडवांस अमाउंट और बिना बैंक गारंटी के पिछले दो वर्ष से खनन कर रहे हैं। 30 करोड़ रुपये राजस्व बकाया होने के बावजूद इस बार फिर से उन्हें खनन पट्टे रेगुलर करने की तैयारी की जा रही है। खास बात यह है कि डिफॉल्टर पट्टा रेगुलर करने के लिए बकायदा तत्कालीन सचिव खनन से आदेश जारी किये। इस मामले में जुटाये गये तमाम तथ्य बता रहे हैं कि खनन मामले में गोलमाल करके सरकार को राजस्व के रूप में भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

क्या है मामला
दून जिले में यमुना नदी में दो वर्ष पहले एक पट्टा जारी हुआ था मुकेश जोशी के नाम पर। उन्हें 212.65 रुपये प्रति टन राजस्व देना था। 9 महीने के लिए दिये गये खनन पट्टे की शर्तों के अनुसार पार्टी को 1.76 करोड़ रुपये राजस्व की पहली किस्त के रूप में और 3.52 करोड़ रुपये बैंक गारंटी के रूप में दो किस्तों में नोडल एजेेंसी गढ़वाल मंडल विकास निगम को देने थे। मुकेश जोशी ने पहली किस्त और बैंक गारंटी जमा करके खनन शुरू कर दिया। 9 महीने तक वे लगातार यमुना में खनन करते रहे, लेकिन दूसरी किस्त जमा नहीं की। जीएमवीएन ने उनकी बैंक गारंटी जब्त कर ली। यही सब विनोद नेगी नामक खनन पट्टाधारी ने भी किया।

अधिकारी ने दिये आदेश
खनन का पट्टा किसी भी पार्टी को 5 वर्ष के लिए दिया जाता है। एक सत्र नौ महीने का होता है। नौ महीने बाद फिर से पट्टा रेगुलर किया जाता है। जून में सत्र खत्म होने के बाद जीएमवीएन ने राजस्व जमा न किये जाने के कारण मुकेश जोशी और विनोद नेगी का पट्टा अगले सत्र के रेगुलर नहीं किया। इस पर दोनों पार्टियां तत्कालीन खनन सचिव मीनाक्षी सुन्दरम के पास पहुंच गई और बाकायदा सरकारी आदेश लिखवा दिया। सचिव ने दोनों पट्टा धारकों का पक्ष लेते हुए अपने आदेश में कहा कि पट्टाधारक सीमा विवाद के कारण रॉयल्टी के अनुरूप खनन नहीं कर पाये हैं। इसलिए उन्हें बिना पुराना राजस्व चुकता किये पट्टा जारी रखा जाए। सचिव की ओर से अपने आदेश में बाकायदा यह भी कहा गया कि यदि पट्टा देने में विलम्ब किया गया तो जीएमवीएन जिम्मेदार होगा।

एमडी ने कहा था वित्तीय अनियमितता
हालांकि सचिव मीनाक्षी सुन्दरम की ओर से मुकेश जोशी और विनोद नेगी के बिना पिछली फीस जमा किये खनन पट्टे जारी रखने के निर्देश दिये गये थे, इसके बावजूद जीएमवीएन की तत्कालीन एमडी स्वाति भदौरिया ने सचिव के पत्र का जवाब दिया था और साफ कहा था कि यदि ऐसा किया गया तो वह गंभीर अनियमितता होगी। हालांकि उच्चाधिकारी के आदेश का पालन जरूरी थी, इसलिए यह वित्तीय अनियमितता कर दी गई और दूसरी बार भी इस दोनों पार्टियों को दूसरे सत्र में भी खनन करने की अनुमति दे दी।

कोर्ट पहुुंचा मामला
जीएमवीएन ने सचिव के आदेश का पालन करते हुए दोनों पार्टियों के पट्टे इस शर्त पर रेगुलर कर दिये कि वे दो महीने में बैंक गारंटी जमा कर दें। लेकिन, निर्धारित दो महीने में बैंक गारंटी जमा नहीं हुई। इस पर जीएमवीएन ने दोनों का रिकवरी चालान काटकर उन्हें खनन करने से रोक दिया। दोनों पार्टियां कोर्ट पहुंची। कोर्ट ने फैसला दिया कि फीस और बैंक गारंटी उन्हें देनी होगी, लेकिन फिलहाल वे आधी अमाउंट जमा कर काम शुरू कर सकते हैं। कोर्ट के आदेश पर आधी अमाउंट जमा कर दी गई, लेकिन फिर से दोनों पार्टियों ने कोई पैसा नहीं दिया। दोनों पार्टियों पर अब 30 करोड़ रुपये जीएमवीएन का बकाया है और नये सत्र में भी दोनों पार्टियों के पट़्टे रेगुलर करने की तैयारी की जा रही है।

इन दोनों पार्टियों के मामले में आर्बिट्रेटर नियुक्त किये गये हैं। जब तक आर्बिट्रेटर का फैसला नहीं आ जाता, पट्टा रेगुलर नहीं किया जाएगा। जहां तक शासन स्तर के अधिकारियों के आदेश का सवाल है तो हम अधिकारियों को आदेश मानने के लिए बाध्य हैं।
अनिल सिंह गब्र्याल, एमडी
जीएमवीएन