DEHRADUN : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के सुभाषनगर सेवाकेंद्र में संडे को प्रवचन का आयोजन किया गया। राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी प्रेमलता ने कहा कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग का एक कल्प होता है। यह पांच हजार वर्ष का एक स्वचालित कल्प है। सतयुग, त्रेतायुग को ब्रह्मा का दिन माना जाता है। द्वापरयुग व कलयुग को ब्रह्मा की रात्रि माना जाता है। ब्रह्मा के दिन के आरंभ में आत्माएं अपने मूल घर परमधाम से व्यक्त प्रकृति का आधार लेते हुए इस संसार में आती हैं। जब ब्रह्मा की रात्रि का अंत होता है तो सभी आत्माएं इस श्रृष्टि से परमधाम चली जाती हैं। यही दुनिया का चक्र है।