देहरादून,(ब्यूरो ): सौंग डैम प्रोजेक्ट के तहत प्रस्तावित 150 एमएलडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट क्र(डब्ल्यूटीपीक्र) के निर्माण को लेकर विरोध जारी है। वेडनसडे को दून के कई पर्यावरण व अन्य संगठनों ने पेयजल निगम के अधीक्षण अभियंता से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा। इन संगठनों ने दो टूक कहा कि वह खलंगा में प्रस्तावित डब्ल्यूटीपी के विरोध में नहीं हैं। लेकिन, प्रोजेक्ट के तहत काटे जा रहे सैकड़ों पेड़ों को लेकर विरोध जता रहे हैं। उनका कहना था कि पानी भी जरूरी है और पर्यावरण के लिए पेड़ भी जरूरी। ऐसे में किसी जंगल को काटकर पानी की उपलब्धता कराना नेचर के साथ खिलवाड़ है। प्रोजेक्ट को ऐसे स्थान पर बनाया जाए, जहां पर हरे-भरे पेड़ों को नुकसान न पहुंचे। उधर, अधीक्षण अभियंता मोहम्मद वसीम अहमद ने संगठनों को आश्वस्त किया कि पेड़ों को नुकसान पहुंचाना प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं है। अभी प्रोजेक्ट प्राइमरी स्टेज में है। इसके अलावा दो-तीन स्थानों पर भी विचार चल रहा है। ऐसे में इसका विरोध उचित नहीं है।

2 हजार पेड़ों पर लगाए निशान
दरअसल, राजधानी दून में लगातार पानी की समस्या विकराल होती जा रही है। इसको लेकर चिंतित है। हाल ही में दून से लगी सौंग नदी में एक मल्टीपर्पज प्रोजेक्ट को केंद्र से हरी झंडी मिली है। योजना के तहत दो विभाग इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। सिंचाई विभाग को डैम बनाना है और पेयजल विभाग को देहरादून सिटी के लिए पानी उपलब्ध कराना है। इसी क्रम में पेयजल के लिए खलंगा में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट प्रस्तावित है, जिसकी कार्यवाही चल रही है। विभाग की ओर से हाल ही में खलंगा में सर्वे के लिए पेड़ों पर नंबरिंग की गई। पर्यावरण प्रेमियों के आरोप हैं कि प्रोजेक्ट के तहत करीब 1800 पेड़ों पर रेड मार्क किया जा चुका है। इसी बीच पर्यावरण संगठनों को जब इसकी भनक लगी। विरोध शुरू हो गया।

सोशल मीडिया तक छाया मुद्दा
ये विरोध खलंगा से लेकर सोशल मीडिया तक पहुंच गया। पिछले कई दिनों से पर्यावरण से जुड़े संगठन ऑन द ग्राउंड विरोध प्रदर्शन करने के साथ ही सोशल मीडिया पर पेड़ों को बचाने की अपील में जुटे हैं। वेडनसडे को कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने पेयजल निगम के अधीक्षण अभियंता से मुलाकात की। अपना पक्ष रखते हुए संगठनों के पदाधिकारियों का कहना था कि वे प्रोजेक्ट के नाम पर खलंगा में पेड़ों की बलि नहीं चढऩे देंगे। संगठनों ने कहा कि वे प्रोजेक्ट का विरोध नहीं कर रहे हैं। लेकिन, इसका विकल्प भी आसानी से विभाग उपलब्ध करा सकता है। हालांकि, इस मुलाकात के दौरान विरोध जता रहे संगठनों ने उम्मीद जताई कि पेयजल निगम के अधिकारियों के साथ मुलाकात सकारात्मक रही है। भरोसा है कि सरकार व विभाग इस पर जनहित में फैसला लेगा।

खलंगा में मिला था 900 मीटर आरएल
बताया जा रहा है कि खलंगा के साथ ही द्वारा गांव व नागल हटनाला में भी डब्ल्यूटीपी के लिए विचार किया जा रहा है। अभी तक कहीं भी जगह स्वीकृत नहीं हुई है। दरअसल, अभी तक कहीं 900 मीटर आरएल नहीं मिला है। खलंगा में यह संभावना लग रही थी कि यहां पर प्रस्तावित आरएलक्र(रीवर लेवलक्र)मिल जाएगा। इसी की तैयारी चल रही थी। यह भी संभावना तलाशी जा रही है कि यदि डैम के ऊपर भी जगह मिलती है तो पानी लिफ्टिंग कर डब्ल्यूटीपी पहुंचाया जाएगा। इसके अलावा एक और विकल्प पर भी मंथन चल रहा है। वह ये है कि एरिया कम मिलने पर डब्ल्यूटीपी को दो-तीन फ्लोर तक भी बनाया जा सकता है।

ये पर्यावरणविद व पर्यावरण प्रेमी रहे शामिल
-मैती आंदोलन से पद्श्री कल्याण सिंह रावत
-गवर्नमेंट पेंशनर्स वेलफेयर संगठन से चौ.ओमवीर सिंह
-आरटीआई क्लब के आरएस धुन्ता
-सिटीजन फॉर ग्रीन दून से हिमांशु अरोडा
-मैड संस्था से आर्यन कोहली
-नेचर बड़ी से अभिषेक रावत
-इको ग्रुप से आशीष गर्ग
-दून सिख वेलफेयर सोसाइटी से जीएस जस्सल
-रूलक से पूर्व संगठक अवधेश शर्मा
-पर्यावरणविद मनोज ध्यानी
-उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच से प्रदीप कुकरेती,
-बैंक एम्पलॉइज यूनियन से जगमोहन मेहंदीरता

जहां पर पानी की बात है कि रिस्पना व बिंदाल जैसी नदियों को डैम या फिर तालाब बनाकर रिवाइव किया जा सकता है। जबकि, ये नदियां गंदगी से पटी पड़ी हैं। इसके बदले खलंगा में हरियाली पर आरियां चलाने की तैयारी है। जिसका विरोध जारी है। महंगे साल के पेड़ बचाने की कोशिश रहेगी।
प्रदीप कुकरेती, प्रवक्ता, राज्य आंदोलनकारी मंच

लगातार विकास के नाम हरे पेड़ काटे जा रहे हैं। अब ऐतिहासिक स्थल खलंगा जैसे इलाके में प्रोजेक्ट के नाम पर पेड़ काटे जाने की तैयारी है। इसको लेकर हमारा विरोध जारी है। पानी के लिए पुराने नहरों का प्रयोग किया जा सकता है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर एमडीडीए विचार करे।
मनोज ध्यानी, सोशल एक्टिविस्ट

खलंगा में जिस प्रकार से हरे-भरे पेड़ों पर प्रोजेक्ट के नाम पर आरियां चलाने की तैयारी है। बदले में दूसरे विकल्पों पर भी सरकार विचार कर सकती है। पुराने नहरों के जरिए पानी की सप्लाई कर पुनजीर्वित भी किया जा सकता है। प्रोजेक्ट को लेकर अब तक खलंगा का संशय बना हुआ है।
हिमांशु अरोड़ा, सिटीजन ग्रीन फॉर दून.

अभी तो ये प्रोजेक्ट इनिशियल स्टेज में है। इसके अलावा भी दूसरे जगहों पर संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। खलंगा में प्रोजेक्ट के अनुसार कुछ संभावनाएं मिली। फिलहाल, सर्वे किया जा रहा है। अभी खलंगा में प्रोजेक्ट को फाइनल नहीं है। लोगों में प्रोजेक्ट को लेकर कुछ गलत फहमी है। जिससे दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
मो। वसीम अहमद, एसई, पेजयल निगम.

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