RISHIKESH: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में रेस्पिरेटरी केयर थेरेपी (श्वसन संबंधी देखभाल) के आधारभूत सिद्धांतों पर देश व दुनिया के विशेषज्ञों ने जानकारियां साझा की।

महामारी से लड़ने में मदद

ऑनलाइन कार्यक्रम में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने रेस्पिरेटरी केयर के विकास पर बल दिया और इसे मरीजों के स्वास्थ्य लाभ के लिए जरूरी व कारगर बताया। उन्होंने कहा कि हमारे देश में अधिकाधिक संस्थानों में इस तरह के पाठ्यक्रमों की शुरुआत होनी चाहिए, जिससे हमें भविष्य में इस तरह की महामारी से लड़ने में मदद मिल सकेगी। विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय मानव संसाधन सलाहकार, भारत सरकार कविता नारायण ने कहा कि इस विद्या का विदेशों में काफी प्रचलन है, मगर भारत में इसके विस्तार की काफी आवश्यकता है। संस्थान के डीन एकेडमिक प्रो। मनोज गुप्ता ने बताया कि संस्थान में मरीजों के लिए बेहद जरूरी कई अन्य तरह के कोर्स भी संचालित किए जा रहे हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बताया कि यह विद्या श्वास संबंधी रोगियों के उपचार तथा पुनर्वास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। बताया गया कि कोविड रोगियों में श्वास संबंधी विकार की स्थिति में यह विधा और भी उपयोगी हो जाती है। एम्स दिल्ली के निश्चेतना विभाग के प्रोफेसर अंजन त्रिखा ने इस दिशा में एम्स ऋषिकेश के प्रयासों कि सराहना की व कहा कि इससे अन्य संस्थानों को भी इस पाठ्यक्रम को शुरू करने की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि मरीजों के जल्द स्वास्थ्य लाभ के लिए इस तरह के पाठ्यक्रम को बढ़ावा मिलना ही चाहिए। संस्थान के श्वास रोग विभागाध्यक्ष प्रो। गिरीश ¨सधवानी ने एम्स ऋषिकेश में इस पाठ्यक्रम के प्रारूप की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम में डीन अलाइड हेल्थ साइंसेज प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार हांडू, श्वास रोग विभाग के सहायक आचार्य डॉ। लोकेश सैनी, इंडियन एसोसिएशन ऑफ रेस्पिरेटरी केयर के जनरल सेक्रेटरी जितिन के। श्रीधरन, चेयरमैन डा। मंजूष कार्तिक आदि मौजूद थे।