वाहनों से लगातार बढ़ रहे पॉल्यूशन को देखते हुए अब दून आरटीओ कर रही है नई तकनीक का इस्तेमाल

-आरटीओ के नए मोबाइल व्हेकुलर चेकिंग लैब अब कहीं भी पॉल्यूशन जांच के साथ कर सकेंगे कार्रवाई

देहरादून, 17 जनवरी (ब्यूरो)। अगर आपने अपने वाहन का पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं लिया है तो आप सतर्क हो जाइये। अब आरटीओ राजधानी दून की सड़कों पर रैंडमली वाहनों के पॉल्यूशन की जांच करेगा। इस दौरान किसी भी वाहन में कमी पाई जाती है तो आरटीओ टीम की ओर से ऑनस्पॉट कार्रवाई तय की जाएगी। इसके लिए आरटीओ ने मॉडर्न टेक्नोलॉजी से लैस गाड़ी भी तैयार की है। जिससे मौके पर ही संबंधित वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। शुरुआत में वाहन स्वामियों को अपने गाड़ी की फिटनेस कराने का समय दिया जाएगा। जिसके लिए एक सप्ताह का नोटिस दिया जाएगा। उसके बाद फिटनेस नहीं कराने पर वाहन स्वामी का चालान किया जाएगा।

अब मोबाइल व्हेकुलर चेकिंग लैब चैक करेगा पॉल्यूशन
जिसके बाद उनके वाहन स्वामी के वाहन को जांच केन्द्र तक ले जाया जाता था। वहीं, कई बार मुख्य मार्ग पर जांच केन्द्र न होने के कारण इन वाहनों की परोपर जांच नहीं हो पाती थी। इसी को देखते हुए आरटीओ ने अब खुद का मॉडर्न तकनीक से लैस वाहन तैयार कर धुआं छोडऩे वाले वाहनों की जांच का फैसला लिया है। इस वाहन को मोबाइल व्हेकुलर चेकिंग लैब नाम दिया गया है।

पीसीबी को भेजा था प्रस्ताव
सिटी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए आरटीओ ने वाहनों की प्रदूषण जांच और अवेयरनेस प्रोग्राम को देखते हुए पॉल्यूश कंट्रोल बोर्ड (पीसीबी) को बाकायदा एक प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव के तहत करीब 1.40 करोड़ की लागत आनी थी। करीब डेढ़ साल पहले बोर्ड को इसका प्रस्ताव भेजा गया था। जिसके लिए अब बजट आवंटित हो गया है। अब इस बजट से न केवल दो मोबाइल लैब खरीद दिए गए हैं, बल्कि आरटीओ की ओर से अवेयरनेस प्रोग्राम्स भी संचालित किए जाने हैं।

::मोबाइल वैन पर एक नजर:::
-दून में करीब 9 लाख से ज्यादा गाडिय़ा रजिस्टर्ड।
-पॉल्यूशन चेक के लिए दून व ऋषिकेश में तैनात रहेंगी ये वाहन।
-गाडिय़ों में पहले से ही पॉल्यूशन चेक मशीन फिट।
-इन मोबाइल वैन से डीजल व पेट्रोल की गाडिय़ां होंगी चेक।
-वाहन में पॉल्यूशन के स्टेटस को प्रिंट आउट की भी सुविधा।
-ऑपरेटर के भी बैठने की भी सुविधा मौजूद।
-दून सिटी में पॉल्यूशन सेंटरों की संख्या 45 तक।
-तकनीक की पकड़ में कोई भी वाहन आ सकेगा।

आखिर क्यों पड़ी जरूरत
आरटीओ के मुताबिक केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के तीन शहरों में पॉल्यूशन लेवल ज्यादा मिला था। जिनमें दून, ऋषिकेश व काशीपुर शामिल किए गए हैं। इसी को देखते हुए दून आरटीओ ऑफिस की ओर से न केवल पॉल्यूशन कंट्रोल के लिए मोबाइल व्हेकुलर चेकिंग लैब को ट्रायल के लिए सड़क पर उतार दिया है। वहीं, इसके साथ ही आरटीओ की ओर से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को भी प्रमोट करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

कैसे होगी जांच, जानिए
-आरटीओ की टीम सड़क पर गाडिय़ों को जांच के लिए रोकेगी।
-जांच के दौरान ड्राइवर के पास पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं होगा तो ढाई हजार का चालान तय।
-अगर पीयूसी सर्टिफिकेट है, जांच में पॉल्यूशन की पुष्टि होगी तो थमा दिया जाएगा नोटिस।
-नोटिस के बाद एक सप्ताह को समय मिलेगा, सही करने पर फिर चालानी कार्रवाई तय।

अब तक हो रही थी प्राइवेट जांच
शहर में अब तक प्रदूषण जांच केलिए सिर्फ प्राइवेट सेंटर मौजूद थे। लेकिन, आरटीओ के पास लगातार शिकायतें पहुंच रही थी। बदले में वाहनों की जांच के लिए आरटीओ के पास कोई तकनीक नहीं थी। ऐसे में विभाग की टीमें सिर्फ उन्हीं गाडिय़ों के चालान कर पाती थी। जिनके पास पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं होता था।

बिना जांच के बन रहे थे सर्टिफिकेट?
आरटीओ के अनुसार पीयूसी बनाने वाले प्राइवेट सेंटर बिना जांच के पीयूसी सर्टिफिकेट बनाकर दे रहे थे। यहां तक कि कुछ सेंटरों के खिलाफ ऐसी भी शिकायतें आ रही थीं कि वाहन न होने के बाद भी वे पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बना रहे हैं। जिससे इन वाहनों के कारण पॉल्यूशन का खतरा बन रहा था।


हां, वाहनों की अब मौके पर ही पॉल्यूशन जांच हो सकेगी। ट्रायल के बाद अब आधुनिक तकनीक से लैस वाहनों को संचालन शुरू किया जा रहा है। उम्मीद है कि इन मोबाइल लैब से पॉल्यूशन फैलाने वाले वाहनों पर आसानी से नकेल कसी जा सकेगी और सिटी में पॉल्यूशन का लेवल भी कम किया जा सकेगा।
शैलेश तिवारी, आरटीओ, एनफोर्समेंट

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