-दून लाइब्रेरी में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत कूड़ा जलाने पर हुआ मंथन

देहरादून, 31 मार्च (ब्यूरो)।
दून शहर में खुले में कूड़ा जलाए जाने की मानो आदत सी बन गई है। जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। इसी को लेकर सैटरडे को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत दून लाइब्रेरी में संवाद कार्यक्रम का आयेाजन किया गया। जिसमें कई पर्यावरणप्रेमियों के साथ ही बुद्धिजीवियों ने प्रतिभाग किया। सभी ने इसके लिए नगर निगम, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और स्मार्ट सिटी को जिम्मेदार ठहराया। वक्ताओं ने नाराजगी जताते हुए चिंता जाहिर की कि इस पर रोक न लगी, दून में पर्यावरण का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

कई डिपार्टमेंट्स ने किया पार्टिसिपेट
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि दून में कूड़े को जलाया जा रहा है। यहां तक कि अब तो पेड़ों के सूखे पत्तियों को भी जलाने का ट्रेंड बन चुका है। वेस्ट वॉरियर्स संस्था, संयुक्त नागरिक संगठन व इंजीनियरिंग एक्स जैसी संस्थाओं के संयुक्त तत्वाधान में दून लाइब्रेरी में आयोजित कार्यक्रम में कूड़े व सूखी पत्तियों को जलाए जाने पर आक्रोश जताया गया। इस मंथन पर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के राजेंद्र सिंह कैठैत, नगर निगम के विजय प्रताप सिंह, डॉ।बीकेएस संजय, इको ग्रुप से आशीष गर्ग, वाडिया के डॉ। टीएन जौहर बतौर पैनलिस्ट शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन नवीन कुमार सडाना ने किया।

अवेयरनेस व सरकारी विभाग पा सकते हैं नियंत्रण
लेकिन, इसके लिए आम लोग अवेयर हों और सरकार विभाग इनिसिएटिव लें तो कूड़ जलाने और उससे फैल रहे पॉल्यूशन पर आसानी से नियंत्रण पाया जा सकता है। इस दौरान ब्रि।केजी बहल, चौधरी ओमवीर सिंह, देवेंद्र पाल मोंटी, अवधेश शर्मा, जगमोहन मेहंदीरता, पीसी नागिया, करिश्मा गुरुंग, पीके सैनी, सुशील त्यागी, ठाकुर शेर सिंह, डीसी शर्मा व एसपी चौहान आदि मौजूद रहे।

इन पर हुआ मंथन
-सामाजिक संस्थाओं को आना होगा आगे।
-कूड़ा जलने से मानव जाति, वाइल्ड लाइफ व पर्यावरण को खतरा।
-राजधानी में सभी पार्षद व सोसाइटीज को मिलकर आगे आना होगा।
-नियंत्रण के लिए सार्वजनिक स्थानों में अवयेरनेस कार्यक्रम आयोजित हों।
-जिससे आम लोगों को उनकी जिम्मेदारियां का एहसास कराया जा सके।

जीपीआई की रिपोर्ट में दून भी शामिल
वेस्ट वॉरियर्स से नवीन सडाना ने बताया कि वर्ष 1986 में दून घाटी में लाइम स्टोन की माइनिंग होती थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पांबदी लगाई। जिससे अब दून में पर्यावरण संरक्षित हो पा रहा है। कहा, ऐसे ही कूड़े के जलाने पर भी आम लोगों के साथ विभागों को भी आगे बढ़कर आना होगा। ग्रीन पीस इंडिया की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई। उसमें कई शहर ऐसे शामिल रहे। जिनकी इयर क्वालिटी बेहतर नहीं थी। उसमें दून का नाम भी दर्ज था।

दून की नदियों में पानी गायब
वक्ताओं ने दून की नदियां रिस्पना, बिंदाल, सुसुवा, सौंग व आसन के सूख जाने पर भी चिंता जताई। कहा, पर्यावरण में आ रहे बदलाव के लिए ऐसी परिस्थितियां सामने आ रही हैं।
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