-हर रोज डॉक्टरों के पास पहुंच रहे कई केस
-15 जुलाई से अचानक फ्लू के पेशेंट्स में होने लगी बढ़ोत्तरी

देहरादून, 30 जुलाई (ब्यूरो)।
सरकारी हॉस्पिटल समेत तमाम प्राइवेट हॉस्पिटल में इन दिनों आई-फ्लू के कारण पेशेंट्स की भीड़ नजर आ रही है। हाल ये हैं कि आई ओपीडी में पहुंचने वाले 70 परसेंट पेशेंट आईफ्लू के ही हैं। नतीतजन, डॉक्टर्स को भी चिंता सताने लगी है। फ्लू पर नियंत्रण पाने के लिए डॉक्टरों का पब्लिक अवेयरनेस पर जोर है। हालांकि, डॉक्टरों का ये भी मानना है कि मानसून में अक्सर ऐसी समस्याएं सामने आती रहती हैं। लेकिन, इस बार फ्लू के मरीजों में ज्यादा इजाफा देखने को मिल रहा है। आलम ये है दून हॉस्पिटल समेत गांधी शताब्दी हॉस्पिटल में ओटी तक को रोकना पड़ा है। वहीं, जिन पेशेंट्स की रिपोर्ट ली जा रही है, उन सैंपल्स में अधिकतर फ्लू पॉजिटिव आ रहा है।

इनको ज्यादा खतरा
-स्कूली बच्चे
-भीड़ में रहने वाले
-परिवार में एक मेंबर्स से दूसरे को

दून हॉस्पिटल की स्थिति
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की आई ओपीडी पर नजर डालें तो यहां आम दिनों में करीब 150 पेेशेंट की संख्या दर्ज की जाती है। लेकिन, इन दिनों पेशेंट्स की संख्या 230-240 तक पहुंच रही है। जिसमें 70-75 परसेंट तक पेशेंट केवल आई फ्लू की शिकायत के पहुंच रहे हैं। आई डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। सुशील ओझा के अनुसार लगातार पेशेंट की बढ़ती संख्या के कारण कुछ दिनों के लिए फिलहाल ओटी को बंद कर दिया गया है।

गांधी शताब्दी में भी यही हाल
मेडिकल कॉलेज के बाद ऐसा ही हाल गांधी शताब्दी हॉस्पिटल का भी बताया गया है। यहां बीते दिनों एवरेज 110-130 पेशेंट पहुंचते थे। अब संख्या में इजाफा होकर रोजाना 160-180 तक पेशेंट्स की संख्या पहुंच रही है। इनमें से करीब 80 से 85 पेशेंट तक आईफ्लू के मरीज बताए गए हैं। यहां तक कई ऐसे पेशेंट्स हैं, जो केवल एक ही फैमिली के बताए जा रहे हैं मतलब, साफ है कि आई फ्लू वायरल हो रहा है। इससे पेशेंट में बुखार की शिकायत भी हो रही है।

::ये है लक्षण::
-आंखों में खुजली
-लाली छाना
-पलकों में सूजन
-तेज दर्द
-आंखों में लगातार पानी आना
-आखों में चुभन
-गले व कान के आस पास सूजन आना

::ऐसे करें बचाव::
-पेशेंट दूसरों के संपर्क में न आए
-आइसोलेट होने की कोशिश की जाए
-आंखों पर चश्मा लगाकर रखें।
-कंप्यूटर, टीवी व मोबाइल से दूरी बनाए रखें।
-साफ पानी से धोने की कोशिश करें।
-रूमाल का इस्तेमाल न करें, नेपकिन बेहतर।
-दवाई डालने के बाद हाथों को साफ रखें।
-पेशेंट बच्चा हो तो उसे स्कूल में न भेजें।

पैरेन्ट्स रहें सतर्क
डॉक्टरों के मुताबिक बारिश के मौसम में काफी नमी हुआ करती है। धूप निकलने के बाद अचानक उमस महसूस होती है। ऐसे में आई फ्लू (कंजक्टिवाइटिस) के मामले बढऩे लगते हैं। सिटी के कई स्कूलों में बच्चों की ओर से आई फ्लू की शिकायतों के बाद स्कूल प्रशासन सतर्क हो गए हैं। स्कूलों की ओर से स्टूडेंट्स को कहा जा रहा है कि ऐसी शिकायत पर वे स्कूल न पहुंचे। वहीं, पैरेंट्स को भी सतर्क किया जा रहा है।

मौसम के बदलने से होती है परेशानी
दून हॉस्पिटल के डॉक्टर्स के अनुसार मौसम के बदलने व हवा में नमी के कारण यह संक्रामक रोग पनपता है। संक्रमण होने से आंखों में लालीपन, खुजली, चुभन, जलन और आंखों में पानी का रिसाव महसूस किया जाता है। आंखें सूज जाती हैं। आमतौर से यह एलर्जिक रिएक्शन या बैक्टीरिया इंफैक्शन के कारण होता है।


आई फ्लू से घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन, इस समय इलाज अवश्य लें। बिना डॉक्टर की सलाह के दवा का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। कई बार इलाज में देरी से आंखों पर असर पडऩे के पूरे आसार बन जाते हैं।
डॉ। सुशील ओझा, असिस्टेंड प्रोफेसर आई, दून हॉस्पिटल

15 जुलाई के बाद फ्लू के पेशेंट की संख्या अचानक बढ़ गई है। पहले ओपीडी में केवल एक-दो पेशेंट ही फ्लू के आया करते थे। लेकिन, अब ऐसे पेशेंट्स की संख्या बढ़ गई है। सभी को सावधानी बरतने की जरूरत है।
डॉ। शशि वासन, सीनियर आई सर्जन, गांधी शताब्दी हॉस्पिटल
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