लखनऊ (ब्यूरो)। भारतीय लोगों में हार्ट रिलेटेड समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। हार्ट में ब्लॉकेज पहले बड़ी उम्र की समस्या मानी जाती थी। पर अब कम उम्र में ब्लॉकेज की समस्या बढ़ती जा रही है। पहले एक-दो सेमी के ब्लॉकेज देखने को मिलते थे, जो अब बढ़कर डबल साइज के होने लगे हैं और मल्टीपल ब्लॉकेज भी देखने को मिल रहे हैं। संजय गांधी पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग की ओपीडी में आने वाले मरीजों में होने वाली एंजियोप्लास्टी में करीब 70 पर्सेंट ऐसे ही केसेज देखने को मिल रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, यह एक चिंता का विषय है। लोगों को अपने दिल की सेहत के प्रति जागरूक रहना चाहिए। पढ़ें अनुज टंडन की स्पेशल रिपोर्ट

17 वर्ष के युवक में मिला मल्टीपल ब्लॉकेज

संजय गांधी पीजीआई की कार्डियोलॉजी ओपीडी में प्रदेश समेत अन्य राज्यों से भी रोजाना 300 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें बड़ी संख्या में मरीजों में दिल की नसों में ब्लॉकेज तो मिलता ही है, पर चिंता की बात यह है कि पहले जो ब्लॉकेज 1-3 सेमी तक मिलता था, वह अब बढ़कर 6 सेमी या अधिक का होने लगा है। इतना ही नहीं, अब मल्टीपल ब्लॉकेज के साथ-साथ दिल की तीनों नसों में लंबे ब्लॉकेज मिल रहे हैं, जोकि एक हैरानी की बात है। इसके चलते, पहले जहां एक या दो ही स्टेंट लगते थे, वहीं अब 6-6 स्टेंट तक लगाने की नौबत आ रही है। इसमें कम उम्र के युवक भी शामिल हैं। हाल ही में एक 17 वर्ष की उम्र के युवक में भी मल्टीपल ब्लॉकेज के चलते कई स्टेंट लगाने पड़े थे।

बढ़ रही मरीजों की संख्या

पीजीआई में प्रति माह करीब 250 एंजियोप्लास्टी की जाती हैं। जिसके तहत मरीजों को स्टेंट लगाया जाता है। विभाग के डॉ। नवीन गर्ग ने बताया कि ओपीडी में बड़ी संख्या में मल्टीपल ब्लॉकेज वाले मरीज आ रहे हैं। जहां हर माह 250 ऐसे मरीजों में से करीब 170-180 लोगों में 6 सेमी के साथ मल्टीपल ब्लाकेज मिल रहे है। जिसके कारण 3-6 स्टेंट तक लगाने पड़ रहे है। एक सटेंट 48 एमएम से ऊपर का नहीं आता है। 70-80 केसेज में 6 स्टेंट लगाने पड़ रहे हैं, यानि हर नस में दो-दो स्टेंट। ये स्टेंट एकबार में नहीं लगाये जाते हैं। एक बार में एक नस में दो स्टेंट लगाये जाते हैं। उसके बाद, अन्य नसों में लगाया जाता है, जिसके कारण थोड़ा लंबा प्रोसेस हो जाता है।

संस्थान में स्टेंट का खर्च कम

पीजीआई में स्टेंट लगाने का खर्च निजी के मुकाबले बेहद कम है। निजी में जहां 10 लाख तक का खर्च हो जाता है। वहीं, पीजीआई में 6 स्टेंट लगने का खर्च महज ढाई लाख ही है। दो स्टेंट लगने का खर्च करीब 1 लाख आता है।

कोरोना के बाद बढ़े मामले

डॉ। गर्ग के मुताबिक, बड़े और मल्टीपल ब्लॉकेज के मामले कोरोना के बाद अचानक से बढ़े हैं। इसके पीछे कोरोना में ज्यादा खाना या अन्य कोई वजह हो सकती है। हालांकि, इसकी असल वजह अभी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में लोगों को अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखना चाहिए। खासतौर पर वजन, बीपी, शुगर लेवल और हार्ट रेट पर नजर रखें। कोई भी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। लोगों को घबराने की जगह अपनी सेहत के लिए सतर्क और सजग रहना चाहिए।

घर में यह जरूर रखें

-वेइंग मशीन से वेट चेक करें

-अपना बीपी जांचें

-ऑक्सीमीटर से जांच करें

-ग्लूकोमीटर घर में रखें

-पार्टेबल ईसीजी मशीन भी मौजूद हैं

लोगों के हार्ट में मल्टीपल ब्लॉकेज देखने को मिल रहे हैं, जिसके कारण कई स्टेंट लगाने पड़ रहे हैं। लोगों को अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहना चाहिए।

-डॉ। नवीन गर्ग, कार्डियोलॉजिस्ट, संजय गांधी पीजीआई