देहरादून (ब्यूरो) रविवार को संगठन की प्रदेश कार्यकारिणी की वर्चुअल मीटिंग हुई। जिसमें संविदा कार्मिकों की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की गई। इस दौरान कार्यकारिणी के सभी सदस्यों ने उत्तराखंड शासन व तीनों ऊर्जा के निगम प्रबंधनों की ओर से संविदा कार्मिकों की नियमितीकरण व समान वेतन की मांग पर कोई ठोस कार्रवाई न किए जाने पर नाराजगी व्यक्त की। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कवि ने कहा कि शासन व प्रबंधन के साथ हुए लिखित समझौतों पर कार्रवाई नहीं होने से संगठन मुखर है। संविदा कर्मचारियों को परिवर्तनीय महंगाई भत्ते के मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री, मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव समेत तीनों निगमों के प्रबंध निदेशक की उपस्थिति में आदेश हुए थे, जिसके बाद प्रस्ताव निदेशक मंडल में पास होकर शासन ने आदेश जारी कर दिए थे। लेकिन, इसके बाद यह आदेश स्थगित कर दिए गए। विनोद कवि ने कहा कि राज्य के तमाम ऐसे विभाग हैं, जिन्होंने अपने संस्थानों में कार्यरत उपनल संविदा कर्मचारियों को नियमित भी किया है और सामान वेतन भी दिया है।


ठेके पर काम देने का भी विरोध
संगठन के प्रदेश महामंत्री मनोज पंत ने कहा कि अधिकारियों व ठेकेदारों की सांठगांठ से बिजलीघर, बिजली लाइनें, मीटर रिङ्क्षडग, कैश कलेक्शन का कार्य ठेके पर देने का चलन बढ़ रहा है, जिसकी कीमत आने वाले समय में राज्य के लाखों विद्युत उपभोक्ताओं को महंगी बिजली के दाम के रूप में चुकानी पड़ेगी। संगठन ने राज्य सरकार से मांग की गई कि अभी तक तीनों निगमों में जो भी कार्य ठेके पर दिए गए हैं, उन सभी की किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए। साथ ही इनका स्पेशल आडिट कराया जाए, ताकि यह पता चल सके कि जो कार्य ठेके पर दिए गए हैं उससे कारपोरेशन को कुल कितने लाभ हुआ है।

dehradun@inext.co.in