- मैथ और बायो को छोड़ सिविल सर्विसेज की ओर बढ़ा रुझान

- होनहार स्टूडेंट्स सिविल सर्विसेज को बना रहे अपनी मंजिल

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DEHRADUN: इंजीनियर और डॉक्टर अब गुजरे जमाने की बात होने लगी है। इतना ही नहीं होनहार स्टूडेंट्स इस क्षेत्र में जाने के ख्वाब तक को अलविदा कह चुके हैं। यह हम नहीं रिजल्ट के नतीजों के बाद स्टूडेंट्स अपनी जुबानी कह रहे हैं। आलम यह है कि टॉपर्स तक फ्यूचर में आगे बढ़ने के लिए इन राहों के चुनाव से कतरा रहे हैं। पीसीएम और पीसीबी सहित कॉमर्स स्ट्रीम से भी ज्यादातर बच्चे सिविल सर्विसेज को अपनी मंजिल बनाने का इरादा रख रहे हैं।

मेडिकल एजुकेशन बनाई दूरी

मंडे को काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) ने अपने आईसीएसई (10वीं) और आईएससी (12वीं) के रिजल्ट डिक्लेयर कर दिए। रिजल्ट में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले स्टूडेंट्स ने अपने फ्यूचर प्लांस की जानकारी दी। इस दौरान अधिकतर स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग और मेडिकल एजुकेशन से दूरी बनाते दिखाई दिए। इनमें ऐसे स्टूडेंट्स की संख्या बहुत ज्यादा देखने को मिली जो मैथमैटिक्स और बायोलॉजी बैकग्राउंड से पासआउट हुए। आमतौर पर फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथमैटिक्स (पीएसएम) और फिजिक्स, कैमिस्ट्री, बायोलॉजी (पीसीबी) स्ट्रीम का चुनाव करने वाले स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग और मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाने को फोकस करते हैं, लेकिन इस बार तस्वीर कुछ उलट दिखाई दे रही है।

स्टूडेंट्स को भा रही सिविल सर्विस

ब्राइटलैंड स्कूल से पीसीएम सब्जेक्ट्स से 98 परसेंट के साथ शानदार मा‌र्क्स लाने वाली सुरम्या गुसाई की बात करें या फिर आकांक्षा सिंह की, या फिर कॉमर्स से 97.5 परसेंट के पास हुई शुभांशी नेगी की सभी सिविल सर्विसेज के जरिए करियर बनाना चाहती हैं। शुभांशी दिल्ली यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में ऑनर्स कर सिविल सर्विसेज में जाने का इरादा रखती हैं। तो वहीं सुरम्या का भी डीयू से इंग्लिश ऑनर्स कर आईएएस बनने का प्लान है। यह कुछ ऐसे नाम हैं जो शानदार मा‌र्क्स के साथ अव्वल नंबर पर रहे। इनके अलावा भी ऐसे दर्जनों स्टूडेंट्स दिखे जो ट्वेल्थ तक तो मैथ या बायो सब्जेक्ट्स के साथ रहे, लेकिन अब ग्रेजुएशन में ह्यूमेनिटीज के माध्यम से सिविल सर्विसेज की तैयारी करना चाहते हैं।

सिविल सर्विस है सपना

पीसीएम से 98 परसेंट के साथ ट्वेल्थ पासआउट की है, अब दिल्ली यूनिवर्सिटी से इंग्लिश ऑनर्स कर आईएएस बनना चाहती हूं। बड़ी बहन इंजीनियर हैं। मुझे कुछ अलग करना है। इसलिए सिवलि सर्विसेज की तैयारी करूंगी।

- सुरम्या गुसाई, स्टूडेंट

मेरे मा‌र्क्स 97.5 परसेंट रहे। इतने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन मैं खुश हूं। अब दिल्ली युनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स ऑनर्स करना चाहती हूं। ताकि सिविल सर्विसेज की ओर कॉन्संट्रेट कर सकूं।

- शुभांशी नेगी, स्टूडेंट

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लगातार गिर रहा क्रेज

मेडिकल एग्जाम हो या फिर इंजीनियरिंग के एंट्रेंस एग्जाम सभी में स्टूडेंट्स का ग्राफ कम हो रहा है। उलराखंड के परिदृश्य में बात करें तो यहां इंजीनियरिंग की करीब 11 हजार सीट्स में 80 परसेंट सीट्स लास्ट ईयर खाली रही। वहीं मेडिकल की सीट्स के मामले में ऑल इंडिया कोटे की करीब 30 सीट्स में से 15 सीट्स वेकेंट रही। इन सीट्स पर बाद में स्टेट कोटे से एडमिशन किए गए। ऐसे में इस साल रिजल्ट डिक्लेयर होने के बाद स्टूडेंट्स का इंजीनियरिंग और मेडिकल से तौबा करना आने वाले सालों में इन क्षेत्रों को और संकट में डाल सकता है।