देहरादून (ब्यूरो) शहर में हरियाली संकट के दौर से गुजर रही है। सड़क चौड़ीकरण और अन्य विकास कार्यों के नाम पर पेड़ों का अंधाधुंध कटान किया जा रहा है। हर साल हजारों की संख्या में बन रहे मकानों के लिए भी हरे-भरे पेड़ों को काटा जा रहा है। बचे खुचे पेड़ों को लोहे के ट्री गार्ड सुखा कर नष्ट कर रहे हैं। वर्षों पहले पेड़ों की सुरक्षा के लिए लगाए गए ट्री गार्ड ही खुद पेड़ों का गला घोंट रहे हैं। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि ऐसे पेड़ों से शीघ्र ट्री गार्ड हटाए जाने चाहिए।

दून में बन रहे 7000 भवन हर साल
तेजी से हो रहे निर्माण के चलते शहर में हरियाली गायब हो रही है। हर साल 5000 से 7000 भवनों का शहर में निर्माण हो रहा है। विकास के नाम पर भी पेड़ों का अंधाधुंध कटान किया जा रहा है। संकट के दौर से गुजर रहे पेड़ों को बचाने के लिए मुहिम चलाई जानी चाहिए, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है, जिससे शहर की बची-खुची हरियाली भी गायब होती जा रही है।

पेड़ बचाने के दावे धरातल पर नहीं उतरते
पर्यावरण संरक्षण के लए अक्सर बड़े-बड़े वायदे होते हैं। बहुत दाद में पौधे लगाए भी जाते हैं, लेकिन अक्सर ग्राउंड पर 5 परसेंट भी काम नहीं होता। श्री महाकाल सेवा समिति के अध्यक्ष रोशन राणा पेड़ लगाना जितना पुण्य का काम है उतना ही पुण्य पेड़ों को बचाना में भी है। शहरभर में हजारों पेड़ों को लगाने के दौरान लोहे के ट्री गार्ड लगाए गए, लेकिन समय रहते उन्हें पेड़ों से हटाया नहीं गया, जिस कारण बड़े होने पर कई ट्री गार्ड पेड़ों के अंदर घुस गए, जिससे बड़ी संख्या में पेड़ सूख गए हैं और कुछ सूखने के कगार पर है। उनकी संस्था मुहिम चलाकर पेड़ों से लोहे के ट्री गार्ड हटाने का काम किया है। समिति के सदस्यों ने 112 पेड़ों को अब तक लोहे के ट्री गार्ड से मुक्त कराया है। उनका कहना है कि जब पेड़ लगाने को मुहिम चल सकती है, तो बचने के लिए क्यों नहीं।

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