देहरादून (ब्यूरो) बाजार में एक ओर जहां चाइनीज और विदेशी लाइट्स की डिमांड है, तो वहीं दूसरी ओर स्वदेशी चीजों से भी पब्लिक का लगाव कम नहीं है। ऐसे में दुकानदारों को गोबर से बने दीयों की काफी डिमांड मिल रही हैैं। समाजसेवी और कई संस्थायें इसी तरह गोबर से दीये बनाकर स्वदेशी को प्रमोट कर रही हैैं। गोबर के साथ-साथ तुलसी के दीये भी खूब पसंद किए जा रहे हैैं। इन दीयों को रंगोली से सजाया जा रहा है।


इन दीयों की ये है खासियत
-गोबर के दीये पूरी तरह से जल जाते हैैं।
-जलते दीये से आती है बेहद अच्छी खुशबू।
-कई प्राकृतिक चीजों से बनाई जा रही धूप।
-अन्य धूप के मुकाबले सस्ती।

दीये बनाने में इनका यूज
गुलाब की पत्ती का चूर्ण, चंदन पाउडर, बेसन, हल्दी, गाय का गोबर, कपूर, मुलेठी पाउडर, नीम आयल, गुग्गल, देशी घी।

दीयों पर डेकोरेशन की डिमांड
अंशिका कलेक्शन की संचालक सीमा बताती हैं कि तुलसी पर दीये जलाने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। इसलिए, इन दीयों को तुलसी दीयों के रूप में बनाया जाए। साथ ही रंगोली के दीये भी बनाए जा रहे हैं, जो बहुत ही कलरफुल नजर आते हैं। यह अलग तरह की मिट्टी से बनाए जाते हैं और इसके साथ ही इन पर गोबर की लेप लगाई जाती है और उसको सुखाने के बाद उस पर रंग, स्टोंस और कई तरह से डेकोरेशन की जाती है।

एरोमा कैंडल्स और घी के दीये
अब एरोमा कैंडल और घी के दिए की भी डिमांड बढ़ती जा रही है। क्योंकि, दिवाली पर घी के दीये जलाना शुभ माना जाता है। माना जाता है की दिवाली के दिन लक्ष्मी की पूजा करने से घर में लक्ष्मी आती हैं। दहलीज पर लक्ष्मी चरण रखने का एक अलग महत्व है, इसलिए मिट्टी से खूबसूरत लक्ष्मी चरण तैयार किए हैं।

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