देहरादून ब्यूरो। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने करीब आधे घंटे तक हरिद्वार बाईपास पर कारगी चौक पर रियलिटी चेक किया। यहां ज्यादातर समय पुलिस के जवान भी तैनात रहते हैं और ट्रैफिक पुलिस भी। ट्रैफिक कंट्रोल के लिए ट्रैफिक सिग्नल भी है। लेकिन, हर मिनट कोई न कोई यहां रेड लाइट जंप करता है। पुलिसकर्मी और ट्रैफिककर्मी ऐसे लोगों को रोकने और चालान काटने के बजाय अनदेखा कर का का प्रयास करते नजर आये।

रॉन्ग साइड पर भी ध्यान नहीं
कारगी चौक पर रॉन्ग साइट चलने वालों की भी भरमार है। आईएसबीटी की तरफ से आने वाले ट्रैफिक के लिए रेड सिग्नल होते हीे रिस्पना की ओर से आकर देहराखास की ओर मुडऩे वाले दोपहिया चालक रॉन्ग साइड पकडृ लेते हैं। ऐसे में देहराखास की ओर से आने वाले वाहन लेफ्ट टने लेते हैं तो एक्सीडेंट का खतरा पैदा हो जाता है। बताया गया कि दो दिन पहले रात के वक्त रॉन्ग साइड आ रही स्कूटर की छोटा हाथी वाहन से टक्कर हो गई थी। स्कूटर चालक गंभीर रूप से घायल हो गया था।

खुद मरना चाहते हैं, हम क्या करें
रॉन्ग साइड से आ रहे टूव्हीलर्स वालों को रोकने या चालान करने के लिए वहां मौजूद पुलिसकर्मी से कहा गया तो पुलिसकर्मी का जवाब था कि जब खुद ही मरना चाहते हैं तो हम क्या कर सकते हैं। फिर कहा, ऐसे ही पढ़े-लिखे लोगों का शहर है ये। हालांकि रॉन्ग साइड से आने वाले कई वाहनों में एक पर पुलिस भी लिखा हुआ था।

क्या कहते हैं लोग
देहरादून में हमें नहंी लगता रेड लाइट की जरूरत भी है। रेड लाइट जंप करने वालों के खिलाफ जब कोई कार्रवाई ही नहीं होनी है तो फायदा क्या है। बीच-बीच में कार्रवाई होनी चाहिए।
जितेन्द्र कुमार

दरअसल इस शहर में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो रूल्स वॉयलेशन करने को अपनी बहादुरी मानते हैं। पुलिस भी इन बहादुर लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती। ऐसे में इन बहादुरों की संख्या तो बढऩी ही है।
गोपाल नेगी

सुना है कि देहरादून में हर रेड लाइट पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं और रूल्स वॉयलेशन करने वालों को तुरंत चालान हो जाता है। यदि सच में ऐसा होता तो इतने सारे लोग रूल्स रेड लाइट जंप नहीं कर रहे होते।
बिट्टू सिंह

देहरादून की सड़कों पर अक्सर मैंने भी ऐसे लोग देखे हैं। रेड लाइट पर वैसे तो जेब्रा क्रॉसिंग भी बनाये गये हैं, लेकिन गाडिय़ां रेड लाइट होने के बाद जेब्रा क्रॉसिंग के आगे जाकर ही रुकती हैं।
मयंक बडोला