देहरादून (ब्यूरो) एसएसपी अजय ङ्क्षसह ने बताया कि 27 अप्रैल को एसटीएफ मेरठ को देहरादून के कुछ संस्थानों में नकल माफिया की ओर से विभिन्न ऑनलाइन प्रतियोगी परीक्षाओं में परीक्षार्थियों को नकल कराए जाने के संबंध में गोपनीय जानकारी प्राप्त हुई थी। दून पुलिस ने एसटीएफ मेरठ की टीम से समन्वय बनाया। संयुक्त टीम ने सहस्त्रधारा रोड स्थित इजु चाइस कंसल्टेंसी नाम के कंसल्टेंसी लैब में दबिश दी। लैब में 20 से 25 अप्रैल के बीच विल्लौर इंस्टीट््यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी) तमिलनाडु का ऑनलाइन एंट्रेंस एग्जाम भी आयोजित की गई थी।

दबिश में दो दबोचे
दबिश के दौरान पुलिस टीम को मौके पर जितेश कुमार निवासी ग्राम पोस्ट अत्री थाना रुन्नी सैदपुर जिला सीतामढ़ी बिहार वर्तमान निवासी सहस्त्रधारा रोड डांडा लखोंड आईटी पार्क देहरादून और राहुल कुमार निवासी अघोरिया बाजार प्रोफेसर कालोनी थाना काजी मोहम्मदपुर जिला मुजफ्फरपुर बिहार वर्तमान निवासी रुद्राक्ष एन्क्लेव डांडा लखौंड आईटी पार्क देहरादून मिले। तलाशी में पुलिस टीम को उनके पास से मोबाइल फोन, लैपटॉप और 20 से 25 अप्रैल तक आयोजित की गई परीक्षा मे शामिल कुछ परीक्षार्थियों के एडमिट कार्ड, ऑनलाइन परीक्षा की डिस्प्ले की फोटो कापी बरामद हुई।

ऑनलाइन पेपर कराया था सॉल्व
एसएसपी ने बताया कि आरोपियों से जब सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि इस परीक्षा में अभ्यर्थियों के सिस्टम का सर्वर रूम से एक्सेस प्राप्त कर ऑनलाइन पेपर सॉल्व करवाया था। पुलिस ने दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपितों के पास से बरामद मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व परीक्षार्थियों से संबंधित दस्तावेजों को कब्जे में लिया गया है। प्रकरण के संबंध में मेरठ एसटीएफ की ओर से दी गई तहरीर के आधार पर राहुल कुमार, जितेश कुमार, कुलवीर तथा गौरव यादव के विरुद्ध थाना रायपुर में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

परीक्षा लैब से होती है सेङ्क्षटग
पूछताछ में आरोपित जितेश ने बताया कि वह सहस्त्रधारा रोड पर इजु चाइस कंसस्टेंसी नाम से ऑफिस चलाता है और राहुल उसके ऑफिस का सारा काम देखता है। वह दोनों कुलवीर निवासी हरियाणा और गौरव निवासी बिजनौर के लिए काम करते हैं। कुलवीर की सेंट जेवीयर स्कूल कैनाल रोड के पास ऑनलाइन एक्जामिनेशन नाम से एक लैब है। गौरव यादव और राहुल विभिन्न संस्थानों में प्रवेश दिलाने के लिए छात्रों से संपर्क करते हैं तथा उन्हें परीक्षाओं का फार्म भरवाकर एडमिट कार्ड उपलब्ध करवाते हैं। इसके बाद गौरव व कुलवीर के साथ मिलकर विभिन्न लैबों से बातचीत कर परीक्षार्थियों के ऑनलाइन परीक्षा के दौरान पेपर साल्व करवाते हैं।

1.50 लाख तक लेते कैंडीडेट से
इसके लिए वह अलग-अलग लैबों में कुछ कंप्यूटर सिस्टम का सर्वर रूम के माध्यम से पूर्व में ही एक्सेस ले लेते हैं। जिन परीक्षार्थियों के पेपर सॉल्व करवाने होते हैं, उन्हें पूर्व में एक्सेस लिए गए कप्यूटर सिस्टम पर बैठाया जाता है। सर्वर रूम में बैठकर पेपर सॉल्वर एनी डेस्क साफ्टवेयर के माध्यम से सिस्टम का एक्सेस लेकर उनके ऑनलाइन पेपर सॉल्व कर वहीं से सबमिट किए जाते हैं। इस दौरान पेपर सॉल्वर बीच-बीच में ऑनलाइन पेपर के स्क्रीन शाट बाहर बैठे व्यक्तियों व परीक्षार्थियों को भी भेजते रहता है, ताकि उन्हें पेपर सॉल्व होने की जानकारी मिलती रहे। पेपर सॉल्व करवाने के एवज में वह अभ्यर्थियों से एक से डेढ़ लाख रुपये तक की रकम लेते हैं, जिसे बाद में वे आपस में बांट लेते हैं।

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