देहरादून (ब्यूरो) गैरसैंण राजधानी बसी भी नहीं है कि सरकारी जमीन पर कब्जे होने शुरू हो गए। ग्रीष्मकालीन राजधानी बड़े पैमाने पर अतिक्रमण की जद में है। गैरसैंण में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो रहा है, लेकिन प्रशासनिक तंत्र इसे लेकर उदासीन है। सूत्रों की मानें तो यहां बाहरी प्रदेशों के लोग होटल, रेस्टोरेंट, गेस्ट हाउस और फार्म हाउस के लिए स्थानीय लोगों से ओने-पौने दामों पर जमीन खरीद रहे हैं। कुछ जुझारू लोगों ने स्थानीय प्रशासन से इसकी शिकायतें की तो इसे नजरंदाज किया गया। अब सूचना आयोग ने सक्रियता दिखाते हुए इस पर ज्वाइंट कमेटी बनाकर रिपोर्ट तलब की है।

भविष्य के लिए इसे बड़ी चुनौती बताया
गैरसैंण में अतिक्रमण का खुलासा राज्य सूचना आयोग के निर्देश पर एक अपील में अतिक्रमण की सूचना देने के लिए गठित की गई राजस्व व नगर पंचायत की ज्वाइंट कमेटी की जांच रिपोर्ट में हुआ, लेकिन ज्वाइंट टीम ने समय की कमी को आधार बनाते हुए गैरसैंण के एक आंशिक हिस्से की रिपोर्ट आयोग में सौंपी है। जांच आख्या पर अतिक्रमण की पुष्टि होने पर आयोग ने गैरसैंण में अतिक्रमण को गंभीरता से लेने की आवश्यकता पर बल देते हुए भविष्य के लिए इसे बड़ी चुनौती बताया है।

अतिक्रमण की मांगी रिपोर्ट
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने गैरसैंण के एसडीएम को पूरे गैरसैंण इलाके में सरकारी जमीन हुए अतिक्रमण व कब्जे की रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही गैरसैंण में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण संबंधी रिपोर्ट मुख्य सचिव, सचिव राजस्व, सचिव नगरीय विकास एवं जिलाधिकारी चमोली के संज्ञान में लाने के निर्देश दिए है। राज्य सूचना आयुक्त ने गैरसैंण में अतिक्रमण की सूचना से शासन को एक अपील के निर्णय से अवगत कराते हुए किया है।

अधूरी रिपोर्ट पर नाराजगी
आयोग ने संपूर्ण गैरसैंण में अतिक्रमण की रिपोर्ट तैयार न किये जाने पर आपत्ति जताते हुए गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि गैरसैंण के भविष्य के लिए वहां हो रहे अतिक्रमण को लेकर गंभीरता जरूरी है। आयोग ने गैरसैंण निवासी राधाकृष्ण काला की अतिक्रमण के संबंध में मांगी गई सूचना को लेकर की गई अपील में यह निर्णय दिया। आयोग ने गैरसैंण में अतिक्रमण का ब्यौरा तैयार करने के लिए गैरसैंण के एसडीएम को राजस्व व नगर पंचायत की ज्वाइंट कमेटी से विवरण तैयार करने के निर्देश दिए थे।

भू-माफिया हैैं सक्रिय
यूपी से अलग होने के बाद उत्तराखंड को नए राज्य का दर्जा मिलते ही चमोली जिले के अंतर्गत भराड़ीसैंण (गैरसैंण) को जनभावनाओं के अनुरूप राजधानी बनाने की सभी को उम्मीद थी, लेकिन दून में ही अस्थाई राजधानी शुरू की गई। गैरसैंण में आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर के बाद ही राजधानी बनाने की सत्ताधारी दलों ने बात कही। राजधानी बनने पर यहां भू माफिया ने जमीन लेनी शुरू की। विधानसभा निर्माण के चलते यहां बाहरी लोगों ने जमीन खरीदनी शुरू की। करीब 20 साल बाद जब गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित की गई, तो भू माफिया तेजी से सक्रिय हो गए। यहां पर अब तेजी से जमीनों के लेन-देन के साथ ही सरकारी जमीन पर अतिक्रमण और अवैध कब्जे होने शुरू हो गए हैं।

सपना बनकर रह गई राजधानी
गैरसैंण की धरती पर राजधानी के लिए कई आंदोलन शुरू हुए। उत्तराखंड में सरकारें बनी और सभी ने यहां की जनता को गैरसैंण राजधानी का सपना भी दिखाया, जो सिर्फ सपना ही बनकर ही रह गया था। राजनीतिक दल हमेशा गैरसैंण को लेकर अपनी रोटी सेंकने में लगे रहे। कांग्रेस सरकार के शासनकाल में सीएम विजय बहुगुणा ने गैरसैंंण में विधानसभा भवन, सचिवालय, ट्रांजिट हॉस्टल और विधायक आवास का शिलान्यस किया। भाजपा सरकार 2020 में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया, लेकिन गैरसैंण को पूर्ण राज्य का दर्जा 24 साल बाद भी नहीं मिल पाया है।

दिल्ली, यूपी, हरियाणा वाले खरीद रहे जमीन
गैरसैंण में लगातार जमीनों की खरीद फरोख्त हो रही है। सूत्रों के अनुसार गैरसैंण में यूपी से लेकर दिल्ली, हरियाणा समेत कई राज्यों के लोग यहां जमीन खरीद रहे हैं और यही लोग आस-पास पड़ी सरकारी भूमि भी कब्जा रहे हैं। अब देखना यह है कि राज्य सूचना आयोग की सक्रियता के बाद सरकार इस पर कितना अमल करती है।

एक अपीलार्थी की अपील पर सुनवाई के बाद जांच के लिए ज्वाइंट कमेटी गठित की गई। कमेटी की रिपोर्ट में आंशिक भाग की जांच कर रिपोर्ट दी गई है। भविष्य में सरकारी भूमि पर कब्जे न हो, इसके लिए पूरे गैरसैंण इलाके की रिपोर्ट तलब की गई है।
योगेश भट्ट, कमिश्नर, राज्य सूचना आयोग

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