देहरादून (ब्यूरो) दरअसल, दून में नर्सिंग होम्स व हॉस्टिल्स की संख्या सैकड़ों में है। जहां हर रोज न्यू बेबी जन्म लेते हैं। लेकिन, नगर निगम की मानें तो ये हॉस्पिटल व नर्सिंग होम्स बच्चों के जन्म होने की सूचना निगम को नहीं दे रहे हैं। जबकि, नियमानुसार न्यू बेबी के जन्म लेने की पूरी जानकारी नगर निगम को देनी अनिवार्य है। जिससे पैरेंट्स को अपने बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट बनाने में किसी दिक्कत का सामना न करना पड़े। लेकिन, निगम के लाख रिमाइंडर के बावजूद नर्सिंग होम्स व हॉस्पिटल सुनने को तैयार नहीं हैं।

ये आ रही हैं प्रॉब्लम्स
-निगम में नहीं मिल पा रहे बच्चों के रिकॉर्ड।
-बर्थ सर्टिफिकेट बनाने में आ रही दिक्कत।
-पैरेंट्स को बर्थ सर्टिफिकेट बनाने में आ रही प्रॉब्लम।
-पैरेंट्स हॉस्पिटल से लेकर निगम का काट रहे चक्कर।
-एडमिशन के दौरान आ रही सबसे ज्यादा दिक्कत।


पैरेंट्स चक्कर काटने को मजबूर
नगर निगम के मुताबिक सबसे ज्यादा दिक्कत प्रेमनगर इलाके में मौजूद हॉस्पिटल व नर्सिंग होम्स से आ रही है। कई बार इलाके के हॉस्पिटलों व नर्सिंग होम्स को इसके लिए रिमाइंडर भेजा जा चुका है। लेकिन, इसके बावजूद वे मानने को तैयार नहीं है। इसका खामियाजा पैरेंट्स को भुगतना पड़ रहा है।

मार्च में 1479 बर्थ सर्टिफिकेट
नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक जहां इस वर्ष मार्च में 1479 बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट बने। वहीं, फरवरी महीने में बर्थ सर्टिफिकेट बनने की संख्या 1526 रही। कुल मिलाकर फरवरी में 821 मेल व 705 फीमेल सर्टिफिकेट बने। जबकि, जानकारों का मानना है कि करीब 15 लाख की आबादी वाले शहर में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या इससे कई ज्यादा होगी। ऐसे में साफ है कि हॉस्पिटल व नर्सिंग होम्स की ओर से नगर निगम में न्यू बेबी के प्रॉपर सूचनाएं नहीं दी जा रही हैं। जिससे पैरेंट्स परेशानी का सामना करने को मजबूर हैं।

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