ROORKEE: अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस पर यूरोपीय संघ (ईयू) के प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआईटी) रुड़की के साथ मिलकर 'ईयू-इंडिया कोऑपरेशन इन क्लाइमेट एंड एनर्जी' विषय पर वर्चुअल चर्चा की। ईयू के सदस्य देशों फ्रांस, जर्मनी और स्वीडन के प्रतिनिधियों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया और भारत के साथ स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन में उनके सहयोग को लेकर विचार-विमर्श किया।

पर्यावरण सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा को दें बढ़ावा

वर्चुअल कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में भारत में ईयू के राजदूत उगो अस्तुतो ने ईयू के ग्रीन रिकवरी योजना, यूरोपियन ग्रीन डील की मुख्य भूमिका एवं जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता व सर्कुलर इकोनॉमी में भारत व ईयू के मिलकर काम करने के महत्व के बारे में प्रमुखता से बताया। उन्होंने बताया कि पहला पृथ्वी दिवस 1970 में मनाया गया था। अब 51 साल बाद इस दिवस का महत्व पहले की तुलना में अधिक प्रासंगिक है। क्योंकि यह ग्रह अब जलवायु परिवर्तन की समस्या से गुजर रहा है, जो उसके अस्तित्व के लिए ही खतरा बन गया है। कहा कि अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस के उपलक्ष्य में हमें यह ध्यान रखना होगा कि हमारा ग्रह कितना कोमल है और इसकी जलवायु व जैव विविधता की सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है। अगर हम पेरिस समझौते में निर्धारित लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर और निरंतरता के साथ काम करना होगा। कहा कि ईयू और भारत वैश्विक एजेंडे को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। आइआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि अकादमिक जगत में जहां पर्यावरण सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के सॉल्यूशंस को लेकर सहमति है। वहीं इन सॉल्यूशंस को नीति निर्माताओं व फैसले लेने वालों तक प्रभावी ढंग से पहुंचाना भी बहुत आवश्यक है। इन सॉल्यूशंस को भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति के मौजूदा संदर्भ और नीतिगत ढांचे में रखना आवश्यक है। ईयू की जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाएं भारत के नजरिये के अनुकूल हैं। ऐसे में यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि ईयू-भारत की साझेदारी को आगे बढ़ाया जाए। भारत में ईयू प्रतिनिधिमंडल के एनर्जी एंड क्लाइमेट एक्शन काउंसलर एडविन कूकूक ने भारत-ईयू स्वच्छ ऊर्जा एवं जलवायु साझेदारी पर जोर दिया। एनटीपीसी स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर आर। गोपीचंद्रन, फ्रांस दूतावास की काउंसलर लुइसा तेरानोवा आदि ने भी विचार रखे।