- महामारी के दौरान नर्सेज भूल गईं थी अपना घर
- पेशेंट्स की सेवा को बनाया करियर

देहरादून, 11 मई (ब्यूरो)।
आज अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस है। हॉस्पिटल में भर्ती पेशेंट के डायग्नोस के बाद उन्हें समय से दवाइयां देना, उपचार करना व खाना खिलाने समेत तमाम देखभाल करने की जिम्मेदारी नर्सेज पर होती है। जब हॉस्पिटल में परिजन साथ नहीं होते तब नर्सेज पेशेंट की तीमारदारी भी करती हैैं। महामारी के दौरान समय-समय पर नर्सेज का योगदान सामने आया है। कई बार स्टाफ न होने के कारण वे डबल-डबल ड्यूटी करने से भी पीछे नहीं हटतीं। दून के तमाम हॉस्पिटल में कई ऐसे नर्सेज है जिन्होंने इस पेशे को इसलिए चुना ताकि वे पेशेंट की सेवा कर सकें।


मनीषा
छोटी सी उम्र में सेवा भाव
रुद्रप्रयाग निवासी सैनिक परिवार की बेटी मनीषा पंवार पिता से इंस्पायर होकर समाज सेवा को चुना। मनीषा का भाई सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। पढ़ाई में अच्छी होने के कारण मनीषा को एंबेसी से ऑफर भी मिला। लेकिन उन्होंने जॉब छोड़कर नर्स का प्रोफेशन चुना। हिमालयन यूनिवर्सिटी से नर्सिंग की डिग्री लेने के बाद कोरोना काल के दौरान एसएमआई हॉस्पिटल में कोरोना पेशेंट की देखभाल की। इस दौरान वे कई-कई दिनों तक अपने घर भी नहीं गई। इस बीच मनीषा ने कोरोनेशन हॉस्पिटल स्थित मेडिट्रिना हॉस्पिटल के सीटीबीएस यूनिट बतौर सीनियर नर्स ज्वाइन किया। समाज सेवा का भाव ऐसा कि वे समय की बाध्यता में नहीं रहती।

रोशन थापा
एक्सीडेंट होने पर भी नहीं ली छुट्टी
नर्सेज के नाम पर अक्सर महिला नर्सेज की ओर ध्यान जाता है। लेकिन, मैक्स हॉस्पिटल में बतौर नर्स कार्यरत रोशन थापा ऐसे युवा हैं, जिन्होंने सेवा भाव की भावना से इस प्रोफेशन को चुना। उन्होंने स्कॉलर होम स्कूल से स्कूलिंग की। इसके बाद नर्सिंग का कोर्स किया। रोशन थापा का सेवा भाव ऐसा कि एक बार इनका एक्सीडेंट हुआ। जिसमें उनका हाथ फ्रैक्चर हो गया था। जिसमें उनकी उगलियों समेत पूरे हाथ का प्लास्टर होना था। लेकिन, उन्होंने उगलियों को कवर नहीं कराया। उनका कहना था कि वे पेशेंट का केनोलाइजेशन समेत अन्य प्रोसेज नहीं कर पाएंगे। ऐसे में उनकी उगलियों को फ्री छोड़ा जाए। यहां तक कि एक्सीडेंट के बाद भी एक दिन भी छुट्टी नहीं ली। रोशन थापा के अनुसार ज्यादातर लड़के इस फील्ड में नहीं आते हैं। इन्हें शुरुआत से इस दौरान कई बार चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। कोरोना काल के दौरान इन्होंने 24 घंटे पेशेंट की सेवा दी।
कल्पना
24 साल से सेवा दें रही कल्पना सिस्टर
कोरोनेशन हॉस्पिटल में बतौर सीनियर नर्स कार्यरत कल्पना को 24 साल पेशेंट की सेवा करते हुए हो गए। उन्होंने शुरुआत में 10 साल दून हॉस्पिटल के गायनी डिपार्टमेंट में सर्जरी वार्ड को संभाला। इस बीच दून हॉस्पिटल के मेडिकल कॉलेज बनने के बाद उन्होंने गांधी शताब्दी हॉस्पिटल में गायनी डिपार्टमेंट की व्यवस्था संभाली। स्टाफ की कमी के कारण कई बार दो-दो शिफ्ट एक साथ करनी पड़ती थी। गर्भवती महिलाओं को परेशानी न हो इसके लिए कई बार वे समय भी भूल जाती थी। अब कोरोनेशन हॉस्पिटल में गायनी डिपार्टमेंट शिफ्ट होने के बाद वे अधिकतर समय इमरजेंसी को संभालती हैं। उनके अनुसार वे अपने प्रोफेशन को एंज्वॉय करती है, इसके लिए उन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया।


अनुराधा
कोविड में किया अनुकरणीय काम
कोविड काल में दून मेडिकल कॉलेज देहरादून में कार्यरत नर्सिंग अधिकारी अनुराधा कन्नौजिया ने गर्भावस्था के दौरान पेशेंट के उपचार में सराहनीय काम किया है। इसके अतिरिक्त वे गुर्दा रोग जैसी गंभीर बीमार के निदान के लिए डायलेसिस विभाग में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। उत्तराखंड सरकार के निदेशक चिकित्सा शिक्षा उत्तराखंड एवं प्रधानाचार्य दून मेडिकल कॉलेज की ओर से उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित भी किया गया।