देहरादून,(ब्यूरो): सिटी के कारगी स्थित एसटीपी प्लांट में सीवर का पानी खुले में बहाए जाने की खबर प्रकाशित होने के बाद जल संस्थान में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में सैटरडे को अधिकारी मौके पर पहुंचे और हकीकत को जाना। अधिकारियों के मुताबिक सीवर टैंकर से एसटीपी प्लांट में आने वाले सीवर के पानी को अनलोड करने के लिए प्लांट में कैपिसिटी कम है। ऐसे अब बाहर से आने वाले सीवर के पानी के लिए अब प्लांट का एक्सटेंशन किया जा रहा है। जिससे आने वाले दिनों में ऐसी दिक्कत सामने नहीं आएगी। इधर, शहरभर से प्लांट में आने वाले सीवर टैंकर का प्लांट में प्रवेश नहीं करने दिया गया। जिससे टैंकर संचालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाए कि उनके रोजगार पर संकट खड़ा हो गया है।

प्रमुखता से प्रकाशित की थी खबर
सैटरडे के अंक में दैनिक जगारण आई नेक्स्ट ने क्र'एसटीपी कैंपस में खुले में उड़ेला जा रहा है सीवर का गंदा पानीक्र' नाम से खबर प्रकाशित की थी। खबर के जरिए बताने की कोशिश की थी कि शहर के कारगी एरिया में जिस सीवर ट्रीटमेंट प्लांट को करोड़ों रुपए की लागत से तैयार किया गया है। वहां सीवर के टैंकर सीवर के पानी को खुले में बहा रहे हैं। इस खबर के प्रकाशित होने के बाद विभाग में खलबली मच गई। सैटरडे को अचानक एक के बाद एक-एक करके कई अधिकारियों ने प्लांट का मुआयना किया। जांच-परख की कि आखिर कहां पर सीवर का पानी नदियों या फिर खुले में बहाया जा रहा है।

कंपनी करती है संचालित
पता चला है कि जल संस्थान सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का संचालन किसी फर्म के जरिए कर रहा है। उसके इसके लिए टेंडर फ्लोट किए गए हैं। बताया जा रहा है कि मोटर चलने से बिजली के बिल में कमी रहे, इसके लिए सीवर टैंकर का पानी चुपके से टैंकर संचालकों को खुले में बहाने के लिए कह दिया जाता है। लेकिन, इस बावत अधिकारियों का कहना है कि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में शहर के दूसरे हिस्सों से सीवर टैंकर के जरिए आने वाले सीवर का पानी के लिए कैपेसिटी कम है। जिसको बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। जिसको को-ट्रीटमेंट प्लांट कहा जाता है। वर्तमान में इस ट्रीटमेंट प्लांट में को-ट्रीटमेंट प्लांट की कैपेसिटी करीब 20 से 22 केएल क्र(किलोलीटरक्र) है। अब 260 केएल का नया को-ट्रीटमेंट प्लांट करीब 76 लाख रुपये में तैयार किया जाएगा। लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण इस प्रोजेक्ट पर काम चालू नहीं हो पाया है।

दो तरह से होता है ट्रीटमेंट
-राजधानी के सबसे बड़े सीवर प्लांट में शामिल कारगी प्लांट में दो प्रकार से होता है सीवर के पानी का ट्रीटमेंट।
-पहला सीधे सीवर लाइन से जुड़ा हुआ है सीवर प्लांट।
-दूसरा को-ट्रीटमेंट प्लांट, इसमें सीवर टैंकर से आने वाले पानी को किया जाता है अनलोड।
-अफसरों का दावा, इसी को-ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर आ रही हैं दिक्कतें।
-क्षमता कम होने के कारण अब इसको 22 से बढ़ाकर 260 केएल करने की तैयारी।

सीवर टैंकरों की रही नो एंट्री
सैटरडे को शहरभर से सीवर का पानी लेकर एसटीपी प्लांट कारगी पहुंचे सीवर टैंकर संचालकों को एंट्री नहीं दी गई। जिस कारण संचालक दिनभर प्लांट के बाहर खड़े रहे। संचालकों का कहना था कि वे इसी से अपना रोजगार चलाते हैं। एक दिन में तीन-तीन चक्कर लगाते हैं। लेकिन, एंट्री न दिए जाने के बाद उनके सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया। वहीं, अधिकारियों का कहना है कि प्लांट में को-ट्रीटमेंट की क्षमता कम होने के कारण अनलोडिंग में दिक्कतें आती हैं। इसलिए एक-एक करके सीवर टैंकर्स को अनलोड किया गया।

सैटरडे को हमें एसटीपी प्लांट में प्रवेश नहीं करने दिया गया। जबकि, सहस्रधारा रोड से सीवर का पानी लाकर प्लांट में अनलोड किया जाना था। दिनभर टैंकर खड़ा रहने के कारण हमारे सामने दिहाड़ी का संकट खड़ा हो गया है।
खिलेंद्र सिंह, सहस्रधारा रोड

गत दिनों की तर्ज पर सैटरडे को हमारे सीवर टैंकरों को एसटीपी प्लांट में एंट्री नहीं दी गई। विभाग की ओर से ये अचानक कौन सी व्यवस्था शुरू कर दी गई। समझ में नहीं आ रहा है। लेकिन, इससे हमारा रोजगार प्रभावित हो गया है।
देवेंद्र, सीवर टैंकर संचालक

कल तक किसी भी सीवर टैंकर को रोकने की कोई व्यवस्था नहीं थी। सैटरडे को दोपहर में सीवर टैंकरों को जाने से रोक दिया गया। ये सरासर गलत है। इससे हमारे रोजगार पर संकट होता दिख रहा है। इस पर विभाग को सोचना होगा।
सतेंद्र, सीवर टैंकर संचालक

जिस प्रकार से दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट में समाचार पढऩे को मिला कि कारगी एसटीपी प्लांट में खुले में सीवर का पानी बहाया जा रहा है। इससे नमामि गंगे प्रोजेक्ट पर भी सवाल खड़े होते हैं। इसकी जांच होनी चाहिए।
सुशील त्यागी, सोशल एक्टिविस्ट

कारगी एसटीपी में को-ट्रीटमेंट की क्षमता कम होने के कारण 260 केएल का नया प्लांट स्वीकृत हो गया है। क्षमता बढऩे से को-ट्रीटमेंट प्लांट के भरने की समस्या खत्म हो जाएगी। चुनाव आचार संहिता खत्म होते ही टेंडर प्रक्रिया पूरी कर को-ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
आशीष भट्ट, एक्सईएन, साउथ डिवीजन, जल संस्थान

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