- सड़कों के किनारे पेड़ों की सेफ्टी के लिए गुजरात की तर्ज पर लगेंगे बैम्बू ट्री गार्ड
- एमडीडीए की इस नायाब पहल का पर्यावरणविदों के साथ दूनवासियों ने किया वेलकम
- पहले लोहे के ट्री गार्ड लगाए जाते थे, पेड़ बड़ा होता था तो तने में धंस जाते थे

देहरादून (ब्यूरो): अब तक गुजरात सरीखे कुछ ही बड़े शहरों में बैम्बू ट्री गार्ड नेशनल हाईवे के डिवाइडर्स पर लगाए गए हैं। अब दून में बैम्बू ट्री गार्ड पेड़ों की सुरक्षा करते हुए दिखने शुरू हो जाएंगे। खास बात यह है कि ये बैम्बू लोहे के ट्री गार्ड से एक तिहाई किफायती हैं। बांस से बने ट्री गार्ड से पेड़ों के सूखने और नष्ट होने बचाया जा सकेगा। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने लोहे के ट्री गार्ड से पेड़ों को भारी संख्या में हो रहे नुकसान की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

3000 बैंम्बू ट्री गार्ड लगेंगे
एमडीडीए ने पौधों की सुरक्षा के लिए इको फ्रेंडली बैम्बू ट्री गार्ड लगाने की शुरुआत कर ली है। एमडीडीए के उद्यान अधिकारी एआर जोशी ने बताया कि पहले फेज में करीब 3000 बैम्बू ट्री गार्ड लगाए जा रहे हैं। कैनाल रोड, दून यूनिवर्सिटी और रायपुर तपोवन रोड पर बैम्बू ट्री गार्ड फलदार और फ्लावर्स की सुरक्षा को बैम्बू ट्री गार्ड लगाए गए हैं। ये दिखने में खूबसूरत हैं। अब तक गुजरात और कलकत्ता जैसे महानगर में ही ये इको फ्रेंडली ट्री गार्ड देखने को मिलते थे।

सस्ते के साथ इको फ्रेंडली भी
बताया गया कि नए पौधों को जानवर आदि से बचाने के लिए लोहे के ट्री गार्ड लगाए जाते थे, जिसकी एक ट्री गार्ड की कीमत 1200 से 1500 रुपये तक होती है। लेकिन एक बैम्बू ट्री गार्ड की कीमत 400 से 500 रुपये है। कम कीमत के साथ ही यह ट्री गार्ड इको फ्रेंडली है और लोकल फॉर वोकल से जुड़ा उत्पाद भी है। भविष्य में इसे ज्यादा से ज्यादा यूज किया जा सकता है। इससे पर्यावरण को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है।

लोहे की जाली से मिलेगी पेड़ों को मुक्ति
एमडीडीए की पहल के बाद अब जल्द ही पेड़ों को लोहे की जाली से मुक्ति मिल जाएगी। पेड़ों की सेफ्टी के लिए लगाई जाने वाली जाली कई बार पेड़ों के तने में धंस जाती थी, जिससे कई बार पेड़ सूख जाते थे, जिससे पेड़ों को नुकसान हो रहा था। बांस के ट्री गार्ड लोहे की जाली से होने वाले नुकसान से बचाने में मददगार साबित होंगे।

अब नहीं घुटेगा पेड़ों का दम
पर्यावरण संरक्षण और पेड़ों की लंबी आयु के लिए चलाई जा रही लोहे के ट्री गार्ड से आजादी की मुहिम अब रंग ला रही है। एमडीडीए की बांस की खपच्चियों से ट्री गार्ड बनाए जाना बहुत ही अच्छा कार्य है। हम इसका स्वागत करते हैं।
रोशन राणा, अध्यक्ष, महाकाल सेवा समिति

पेड़ों के बड़े होने पर लोहे की जाली बमुश्किल पेड़ से निकल पाती थी। पेड़े के अंदर घुसने से कई बार पेड़ लोहे के ट्री गार्ड की वजह से सूख भी जाते थे, लेकिन एमडीडीए की इको फ्रेंडली बैम्बू ट्री गार्ड पेड़ों को बचाने में मददगार साबित होगा।
डॉ। आंचल शर्मा, द अर्थ एंड क्लाइमेट इनिसिएटिव

इन्वायरमेंट को ध्यान में रखते हुए एमडीडीए ने लोकल फॉर वोकल की तर्ज पर पेड़ों की सुरक्षा के लिए बांस से निर्मित इको फ्रेंडली ट्री गार्ड निश्चित रूप से अच्छी पहल है। हाईवे के साथ ही हर प्लांटेशन में बांस की ट्री गार्ड का उपयोग होना चाहिए।
आर नौटियाल, रिटायर्ड जीएम

लोहे के बजाय बांस के ट्री गार्ड आसानी से पेड़ों से हटाए जा सकते हैं। भविष्य में जो भी पेड़ लगाए वह बांस के ट्री गार्ड लगाएं। यह पेड़ों की सुरक्षा के लिए सबसे अच्छी तकनीक है। इससे पर्यावरण संरक्षण मेें भी मदद मिलेगी।
अर्जुन सिंह रावत, सोशल एक्टिविस्ट

इंवायरमेंट को ध्यान में रखते हुए प्लांटेशन में बैम्बू ट्री गार्ड का उपयोग किया जा रहा है। ये इको फ्रेंडली ट्री गार्ड लोहे की जाली के एवज में काफी किफायती हैं। पहले फेज में हाईवे पर 3000 बैम्बू ट्री गार्ड फलदार पौधों और फ्लावर्स की सुरक्षा को लगाए जा रहे हैं। भविष्य में बैम्बू ट्री गार्ड का ही यूज किया जाएगा।
बंशीधर तिवारी, वाइस चेयरमैन, एमडीडीए
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