- राज्य में लगातार गिर रहे ग्राउंड वाटर लेवल की रोजाना होगी मॉनिटरिंग
- पहले फेज में दून, हरिद्वार और यूएसनगर में लगाए गए 67 पीजोमीटर

देहरादून (ब्यूरो): पहले फेज में दून समेत हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर में 67 जगहों पर पीजोमीटर लगाए गए हैं। इसके बाद अन्य जिलों में काम शुरू किया जाएगा। पीजोमीटर में डिजिटल वाटर लेवल रिकॉर्डर (डीडब्ल्यूएलआर) मशीनें भूजल स्तर में हो रही चेंजिंग के कारणों का आसानी से पता चल जाएगा।

डीडब्ल्यूएलआर मशीनें रखेंगी निगरानी
राज्य में भूजल की निगरानी के लिए पीजोमीटर लगाए जा रहे हैं। इन पीजोमीटर में डीब्ल्यूएलआर मशीनें डेटा के जरिए रोजाना के भूजल के बदलाव को आइडेंटिफाई की गणना करेगा। जमीन के भीतर पानी में कितना उतार-चढ़ाव आ रहा है, इसका पूरा डेटा रिकॉर्ड किया जाएगा। केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने उत्तराखंड में पहले फेज में 67 पीजोमीटर लगाए हैं। पूरे प्रदेश में 121 स्थान इसके लिए चिन्हित किए गए हैं। जिन इलाकों में तेजी से भूज घटा है पहले उन क्षेत्रों में पीजोमीटरों की स्थापना की जा रही है। भूजल स्तर के उतार-चढ़ाव के बारे में बेहतर जानकारी के लिए देश भर के इंडस्ट्रियल क्लस्टर को योजना में शामिल किया गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना और अटल भूजल योजना के तहत अतिरिक्त पीजोमीटर भी सीजीडब्ल्यूबी ने प्र्रस्तावित किए हैं।

एनडब्ल्यूआईसी में कंपाइल होगा रिकॉर्ड
बताया गया कि पीजोमीटर की जानकारी स्वचालित रूप से केंद्रीय सर्वर पर प्रसारित की जाएगी, जिसके माध्यम से यह राज्यों के उपलब्ध होगी। राज्य क्षेत्रों में इन पीजोमीटर्स के निर्माण के लिए सीजीडब्ल्यूबी द्वारा डिजाइन के साथ ही स्थानों की पहचान की गई है।

लगेंगे 121 पीजोमीटर
राज्य में भूजल प्रबंधन, विनियमन योजना और राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत 121 निगरानी कुओं (पीजोमीटर) का प्रस्ताव तैयार किया गया है। शासन के आदेश के बाद पीजोमीटर की स्थापना के लिए सिंचाई विभाग को नोडिल बनाया गया है। सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता जयपाल सिंह ने बताया कि मुख्य अभियंता (यांत्रिक) को इसका नोडल अधिकारी बनाया गया है।

डिजिटल मॉनिटरिंग, सटीक जानकारी
पहले ग्राउंड वाटर की निगरानी मैन्युअली होता थी। साल भर में चार बार रिड्यूज और रिचार्जिंग की मॉनिटरिंग की जाती थी, लेकिन अब डीडब्ल्यूएलआर मशीन से निगरानी रखी जाएगी। ये निगरानी डेटाबेस पर होगी। इससे रोजाना ग्राउंट वाटर की अप और डाउन का पता चल सकेगा।

4 सेमि क्रिटिकल जोन आइडेंटिफाई
ग्राउंड वाटर के मामले में हरिद्वार जिले के बहादराबाद और भगवानपुर के अलावा हल्द्वानी और काशीपुर सेमी क्रिटिकल जोन में चिन्हित है। इन जगहों पर पानी का स्तर सबसे ज्यादा घट रहा है। इसकी वजह इन स्थानों पर औद्योगिक संस्थानों का होना बताया जा रहा है।

67 जगहों पर पीजोमीटर स्थापित
उत्तराखंड राज्य में लगभग 72 प्रतिशत वनक्षेत्र होने के बावजूद ग्राउंड वाटर में कमी आ रही है। सरकार भी इस पर चिंता जाहिर कर रही है। इसके बाद सीजीडब्ल्यूबी ने देश भर में विभिन्न स्थानों पर डीडब्ल्यूएलआर मशीनें लगाने का निर्णय लिया है। ये मशीनें देशभर में मैनुअल मोड से चल रहे 23 हजार से अधिक कुओं की निगरानी करेंगे। देशभर में 9 हजार निगरानी स्टेशनों (पीजोमीटर) लगाए जा रहे हैं। सिंचाई विभाग परीक्षण खंड रूड़की के एसई एसके शाह ने बताया कि 67 स्थानों पर पीजोमीटर के लिए ड्रिलिंग का कार्य पूरा हो गया है। 61 स्थानों पर डीडब्ल्यूएलआर लगाए गए हैं। इसमें से 59 स्टेशनों से टेलीममेट्री के जरिए आंकडृे रुड़की में स्थापित राज्य जल सूचना विज्ञान केंद्र में जल्द ही सर्वर पर डेटा आना शुरू हो जाएगा।

क्या है पीजोमीटर
पीजोमीटर एक तरह का बोरिंग ट््यूबवेल है, जिसके अंदर 4 इंच का पाइप वाटर लेवल के हिसाब से 50 से 100 मीटर नीचे तक ड्रिल किया जाता है। यहां लगने वाला डीडब्ल्यूएलआर मीटर कम्यूटर से कनेक्ट होगा, जो रोजाना का डाटा कम्यूटर के जरिए रिकार्ड करता रहेगा।

ग्राउंड वाटर में आ रहे उतार-चढ़ाव को लेकर सीजीडब्ल्यूबी राज्य में पीजोमीटर लगा रहा है। राज्य में सहयोग और समन्वय के लिए सिंचाई विभाग को इसके लिए नोडल बनाया गया है। पीजोमीटर में लगाए जा रहे डीडब्ल्यूएलआर मशीन के जरिए भूजल पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव को आसानी से डेटा कलेक्ट होने के बाद समझा जा सकेगा।
जयपाल सिंह, प्रमुख अभियंता एवं विभागाध्यक्ष, सिंचाई विभाग