देहरादून (ब्यूरो): दून स्थित एफआरआई की बिल्डिंग अपने आप में एक ऐतिहासिक इमारत में शुमार मानी जाती है। लेकिन, इतनी पुरानी बिल्डिंग होने के कारण कई बार इस इमारत को मेंटनेंस की जरूरत पड़ जाती है। जाहिर है कि इस बार भी एफआरआई की छत, जो लकडिय़ों से बनी हुई है, का भी एफआरआई मैनेजमेंट ने काम शुरू कर दिया है। हालांकि, एफआरआई में मेंटनेंस में खिड़की, दरवाजे और इमारत में आए दरार भी शामिल हैं। लेकिन, मुख्यतौर पर इमारत की छत का जीर्णोद्धार पहले किया जा रहा है। बताया गया है कि इससे पहले मेंटनेंस के लिए कई बार देश के प्रमुख संस्थानों में शामिल इंस्टीट्यूशंस की मदद ली गई। स्पेशल सीबीआरआई रुड़की ने साइंटिस्ट्स ने इसके लिए अपनी कंसल्टेंसी दी।


केंद्र से 16.87 करोड़ का बजट


सीबाआरआई रुड़की की कंसल्टेंसी के बाद अब केंद्रीय लोक निर्माण विभाग क्र(सीपीडब्ल्यूडीक्र) ने एफआरआई की बिल्डिंग की छत की मरम्मतीकरण का काम शुरू कर दिया है। बताया गया है कि इसके लिए केंद्रीय वन मंत्रालय की ओर से 16.87 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है।

चीड़ की लकड़ी का इस्तेमाल

एफआरआई की छत की मरम्मतीकरण के लिए चीड़ की लकड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका इस्तेमाल पहले ही किया जाता रहा है। इससे पहले छत की मरम्मत का काम लगभग 1999 में हुआ था।

हर्रावाला में तैयार हो रही छत की लकड़ी

एफआरआई इंजीनियरिंग सेल के प्रमुख आरएस तोपवाल के अनुसार सीपीडब्ल्यूडी ने एफआरआई के रैट्रोफिटिंग के काम के लिए दिल्ली की फर्म से कार्य कराने का करार किया हुआ है। यह वह फर्म है, जिसने इससे पहले भी एफआरआई जैसी हेरिटेज बिल्डिंग्स का जीर्णोद्धार किया हुआ है। बताया गया है कि छत पर जो लकड़ी प्रयोग में लाई जा रही है। वह दून के हर्रावाला में ही तैयार की जा रही है।


सूरज की गर्मी से पकाई ईंटों से हुआ था निर्माण

एफआरआई की मुख्य बिल्डिंग वास्तुकला के लिहाज से दुनिया के चुनिंदा भवनों में से एक है। गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में मुख्य इमारत को विशुद्ध रूप से सूर्य की गर्मी से पकायी गई ईंटों से बना कर दुनिया का उत्कृष्ट निर्माण बताया गया है।

एफआरआई बिल्डिंग पर एक नजर

-2 हजार एकड़ में फैले एफआरआई के बिल्डिंग का निर्माण उस वक्त 90 लाख से हुआ था।
-7 नवंबर 1929 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डरविन ने भवन का उद्घाटन किया।
-एफआरआई इमारत का निर्माण ग्रीक रोमन शैली वास्तुकला से किया गया था।
-इस इमारत के मुख्य भवन का डिजाइन महान वास्तुकार बिलियन लुटियंस ने तैयार किया था।
-एफआरआई ने पहले इंपीरियल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट एंड कॉलेज नाम से जाना जाता था।

उत्तरकाशी भूकंप से भी आईं इमारत में दरारें

कहा जाता है कि वर्ष 1999 में उत्तरकाशी में आए विनाशकारी भूकंप से भी एफआरआई ऑडिटोरियम समेत दो दर्जन से अधिक स्थानों पर इमारत में दरारें आ गईं थी। जिसका निरीक्षण सीबीआरआई के साइंटिस्ट ने किया।