देहरादून(ब्यूरो) ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के समापन के बाद सरकार जोर-शोर से एमओयू की ग्राउंडिंग में जुटी हुई है। दरअसल, समिट में करीब 1779 एमओयू साइन हुए हैं। इसमें सबसे अधिक 103459 करोड़ के पावर सेक्टर में हुए हैं। ये एमओयू 157 कार्यों के लिए हुए हैं। इसके अलावा इंडस्ट्रीज, टूरिज्म व हेल्थ सेेक्टर में इन्वेस्टमेंट के लिए भी एमओय हुए। सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर एमओयू को डेवलेपमेंट और रोजगार वाले एमओयू को पहले प्राथमिकता देकर उन्हें धरातल पर उतारने की कोशिश की जा रही है। ये भी बताया जा रहा है कि चुनाव आचार संहिता के चलते इसमें कार्य की रफ्तार धीमी पड़ी। 4 जून के बाद इसमें तेजी से काम होने के आसार बताए जा रहे हैं।

3.56 लाख करोड़ के एमओयू
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में रिकॉर्ड 3 लाख 56 हजार करोड़ के एमओयू साइन हुए हैं। समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी समिट में पहुंचे थे। सरकार इन्वेस्टमेंट एग्रीमेंट को धरातल पर उतारने के प्रयास में जुटी हुई है। सरकार ने समिट में हुए एमओयू को तीन श्रेणियों में डिस्ट्रीब्यूट किया है, जिनमें उच्च प्राथमिकता, मध्यम प्राथमिकता और निम्न प्राथमिकता में वर्गीकृत किया जा रहा है। उच्च प्राथमिकता वाले निवेश को सबसे पहले धरातल पर उतारा जा रहा है।

फैक्ट्री लगने से बढ़ेगा रोजगार
इंडस्ट्रियल एरिया रोजगार का बड़ा जरिया होता है। राज्य सरकार ने एग्रीमेंट को उच्च प्राथमिकता में रखा है। समिट में शामिल उन कंपनियों को शीर्ष प्राथकिता दी जा रही है, जो ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजित करेंगे। ऐसी कंपनियों को सबसे पहले लैंड उपलब्ध कराई जा रही है। अभी तक सात दर्जन से अधिक कंपनियों को इंडस्ट्री के लिए लैंड उपलब्ध कराने की प्रक्रिया चल रही है। इसके बाद पाइपलाइन में अन्य कंपनियों को सेकंड फेज में लैंड उपलब्ध कराई जाएगी। इंडस्ट्रियल एरिया में अधिक से अधिक इंडस्ट्री लगने पर रोजगार के अधिक से अधिक साधन उपलब्ध होंगे।

रोजगार वाले कार्यों पर फोकस
सरकार ने एग्रीमेंट को उच्च प्राथमिकता श्रेणी में वे करार रखे हैं, जो जिनसे स्थानीय निवासियों को सबसे ज्यादा रोजगार मिलने की उम्मीद है। मध्यम श्रेणी में उन करारों का रखा गया है जिनमें इन्वेस्टर्स ने रुचि तो दिखाई है, लेकिन इनमें अभी सर्वे और जमीन उपलब्ध कराने के कार्य होने हैं। तीसरी श्रेणी में वे करार रखे गए हैं, जिनमें निवेशकों ने रूचि तो दिखाई है लेकिन इनमें काफी कार्य किया जाना शेष है।

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