देहरादून (ब्यूरो) दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से समिट का सच नाम से कैंपेन चलाया गया। कैंपेन के समापन अवसर पर आयोजित पैनल डिस्कसन में युवाओं के साथ ही उद्यम से जुड़े अफसरों व एक्सपट्र्स ने विचार साझा किए। इस अवसर पर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के चेयरमैन पंकज गुप्ता ने कहा कि इन्वेस्टर्स समिट होने चाहिए। इससे जहां रोजगार के द्वार खुलते हैं वहीं सरकार को भी बड़े पैमाने पर टैक्स मिलता है। उन्होंने कहा कि 2018 में हुए पहले समिट में 124 करोड़ का इन्वेस्टमेंट हुआ, जिसमें 30 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट धरातल पर उतरा। तब एक लाख के लगभग युवाओं को रोजगार मिला। समिट के कई फायदे होते हैं। अपरोक्ष रूप से लोगों को उद्योगों का फायदा मिलता है।

50 परसेंट भी काम, तो कायाकल्प
इंडस्ट्रियलिस्ट एक्सपर्ट पंकज गुप्ता ने बताया कि दिसंबर 2023 में सभी सेक्टर्स में 3.56 लाख करोड़ का इन्वेस्टमेंट हुआ है, जिसमें करीब 7 लाख रोजगार सृजित होने का अनुमान है। यदि इसका 50 परसेंट भी धरातल पर उतरा, तो करीब 1.78 लाख करोड़ का इन्वेस्टमेंट होगा, जिससे करीब 4 लाख से अधिक रोजगार मिलने की संभावना है।

लोकल रिसोर्सेज पर फोकस
उद्योग विभाग के रिटायर्ड जीएम एचआर नौटियाल ने कहा कि लोकल रिसोर्सेज को ज्यादा से ज्यादा प्रयोग में लाया जा रहा है। यहां नदियों और झरनों का भंडार है। राफ्टिंग बड़ा रोजगार दे रही है। पहाड़ों में फूड प्रोसेसिंग से जुड़ी कंपनियां लगाई जा सकती है। इसके लिए सरकार सब्सिडी की योजना भी चला रही है। सोलर एनर्जी धीरे-धीरे बड़ा आकार ले रही है। पहाड़ों में योगा सेंटर खोले जा सकते हैं। जड़ी बूटियों का उत्पादन और इसके सप्लाई की जा सकती है। युवाओं के प्रश्नों के जवाब में उन्होंने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ युवाओं को स्किल्स डेवलप करने होंगे। कुछ अलग हटकर करने की सोच ही सपनों को साकार कर सकती है।

70 परसेंट रोजगार का दावा हवाई
उत्तराखंड बनने के बाद यहां स्थापित होने वाले उद्योगों में स्थानीय युवाओं को 70 परसेंट रोजगार मुहैया कराने का सरकार का दावा आज तक धरातल पर नहीं उतर पाया है। सोशल एक्टिविस्ट और देवभूमि किसान विकास निधि लिमिटेड के डायरेक्टर संजय जुयाल व मुकेश भट्ट ने कहा कि युवाओं के साथ अब तक छलावा हुआ है। वोकल फॉर लोकल की तर्ज पर स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

धरातल पर उतरे काम
युवाओं के लिए हर समय जूझने वाले विकास नेगी का कहना है कि कई बार सरकार कागजों में योजनाएं बनाने तक सीमित रह जाती है। धरातल पर कुछ काम नहीं होने से योजना कूड़ा बन जाती है। जिस तरह इन्वेस्टर्स समिट को जोर-शोर से प्रचारित-प्रसारित करके करोड़ों रुपए खर्च किए गए। साथ ही इससे लाखों युवाओं को रोजगार मुहैया कराने का दावा किया गया। अब इन दावों का धरातल उतारा जाना चाहिए। समिट हुए छह माह गुजर गए हैं, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ भी नजर नहीं है कि जिससे युवाओं को कोई फायदा हुआ हो।

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