देहरादून (ब्यूरो): अभी तक सारी कोशिशें विफल होने के बाद नए विकल्पों पर कार्य शुरू किया गया है। शनिवार को वर्टिकल बोङ्क्षरग के लिए सुरंग के पास से ही एक किलोमीटर सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया गया है, जिसमें लोनिवि के इंजीनियर के साथ वन विभाग की टीम की तैनाती भी की गई है। रविवार की सुबह तक करीब एक किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि बोङ्क्षरग करने की मशीन चिन्हित किए गए स्थान पर पहुंचाई जा सके।

500 मीटर लंबी हॉरिजॉन्टल बोरिंग का काम भी शुरू
इसके साथ ही सुरंग के पास हॉरिजॉन्टल बोङ्क्षरग का काम भी शुरू किया गया है। फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए 500 मीटर लंबी बोङ्क्षरग करनी होगी। इसमें एक सप्ताह के समय लगना तय माना जा रहा है। इसके साथ ही पोलगांव बडकोट की ओर से भी श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने को लेकर सुरंग के गेट के पास बौखनाग देवता का मंदिर भी स्थापित किया गया है।

पांच मोर्चों पर ऑपरेशन स्टार्ट
चारधाम आलेवदर परियोजना की सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के रेस्क्यू अभियान दिनों-दिन चुनौतीपूर्ण बन रहा है। शनिवार को पीएमओ के सचिव मंगेश घिल्डियाल और पीएम के पूर्व सलाहकार भाष्कर खुल्बे अपनी टीम के साथ उत्तरकाशी पहुंचे और सिलक्यारा सुरंग में रेस्क्यू की कमान अपने हाथ में ली। तब जाकर पांच अलग-अलग मोर्चे से खोज बचाव अभियान शुरू हुआ। टीम ने वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल बोङ्क्षरग के विकल्प पर रणनीति बनाई है। वर्टिकल बोङ्क्षरग का कार्य सिलक्यारा के निकट सुरंग की ठीक ऊपर की पहाड़ी से शुरू किया गया है। जबकि हॉरिजॉन्टल बोङ्क्षरग का कार्य पोलगांव बडकोट की ओर इसी निर्माणाधीन सुरंग के हिस्से से की जा रही है। इसके अलावा सिलक्यारा सुरंग के पास दो स्थानों को भी हॉरिजॉन्टल बोङ्क्षरग के लिए चिन्हित कर दिया गया है। जबकि सिलक्यारा की ओर से सुरंग के अंदर ह्यूम पाइप बिछाए गए हैं, जिससे सुरंग के अदंर फंसे 40 श्रमिकों को ऑक्सीजन, खाद्य और दवा की आपूर्ति की जा सके।


सिलक्यारा पोलगांव सुरंग में 12 नवंबर से फंसे आठ राज्यों के 41 श्रमिक

इन श्रमिकों के रेस्क्यू अभियान को तब बड़ा झटका लगा जब शुक्रवार की दोपहर को रेस्क्यू अभियान के दौरान सिलक्यारा सुरंग के अंदर उस क्षेत्र में दरारे आई जहां मशीनें और रेस्क्यू टीम मौजूद थी। सुरंग के अंदर चटकने की आवाज गूंजी तो आनन-फानन में रेस्क्यू अभियान को रोकना पड़ा। सुरंग के 150 मीटर से लेकर 203 मीटर तक सुरंग के ढह जाने की भी आशंका व्यक्त की गई। ऐसे में सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों से संवाद बनाए रखने और उन तक खाना और ऑक्सीजन पहुंचाने वाले पाइप तक पहुंचने के लिए ह्यूम पाइप की स्केप टनल बनाई गई है। 26 घंटे तक रेस्क्यू कार्य पर ब्रेक लगा रहा। रेस्क्यू अभियान में शनिवार को तब कुछ तेजी दिखी जब पीएमओ से टीम पहुंची। इस टीम ने भूविज्ञानियों के साथ सिलक्यारा सुरंग के आसपास की पहाड़ी का भी निरीक्षण। उन सभी स्थानों को देखा जहां से बोङ्क्षरग करके सुरंग के अदंर पहुंचा जा सकता है।

5 दिन का समय लगने के आसार
शनिवार की शाम को वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल बोङ्क्षरग की तैयारियों को लेकर काम भी शुरू किया गया। प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भाष्कर खुल्बे ने कहा कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में चार से पांच दिन का समय लगेगा। एक साथ सभी पांच विकल्पों पर काम शुरू कर दिया गया है। इस समय केवल लक्ष्य 41 श्रमिकों की ङ्क्षजदगी बचाने का है। बताया जा रहा है कि श्रमिकों के खोज बचाव में अभी तक की धीमी प्रगति से पीएमओ ङ्क्षचतित है। बहरहाल सरकारी मशीनरी की ओर से सभी संभावनाओं के साथ युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है, लेकिन समय अधिक लगने से चिंताएं भी लगातार बढ़ती जा रही है।
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