देहरादून (ब्यूरो) वर्ष 2019 में दून के तमाम इलाकों में एमडीडीए के प्रयासों से स्मार्ट पार्किंग की शुरुआत की गई थी। जिसके लिए ब्रिडकुल को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पहली बार दून में की गई इस नेक शुरुआत के लिए बाकायदा बड़े लेवल पर विभागों के बीच मंथन हुआ। खुद एमडीडीए के साथ पीडब्ल्यूडी, ट्रैफिक पुलिस, नगर निगम और प्रशासन जैसे विभाग शामिल हुए। जिसके बाद आम सहमति बनी की दून में मेट्रो शहरों की तर्ज पर स्मार्ट पार्किंग की शुरुआत की जाए। शुरुआत भी हुई। करीब डेढ़ से दो वर्षों तक स्मार्ट पार्किंग सुविधा ने बेहतर रफ्तार पकड़ी। लेकिन, कोविडकाल आने के बाद माने इस पर ग्रहण लग गया हो। कोविडकाल में लॉकडाउन होने के कारण सड़कों पर वाहन नहीं चले। इस बीच ब्रिडकुल ने जिस दिल्ली की कंपनी को स्मार्ट पार्किंग, जिसको ऑन स्ट्रीट पार्किंग भी कहा जा रहा था, उसकी शिकायत थी कि वह लॉकडाउन में घाटे में चली गई, जिसके बाद तब से लेकर अब तक उभर नहीं पाया।

करार खत्म, पार्किंग पर भी ब्रेक
अब जब एमडीडीए व ब्रिडकुल के बीच करार की अवधि यानि करीब पांच वर्ष का समय पूरा हो गया है। दोनों सरकारी विभाग इस ओर कदम बढ़ाने से कतरा रहे हैं। दोनों से स्पष्ट कर दिया है कि अब वे इस प्रोजेक्ट को बिल्कुल भी आगे नहीं बढ़ाएंगे।

कई इलाकों में थी पार्किंग प्रस्तावित
जिस वक्त इस स्मार्ट पार्किंग की कॉन्सेप्ट लॉन्च किया जा रहा था। एमडीडीए ने इसको लेकर जमकर प्रचार-प्रसार किया। शहर में करीब 27 स्थानों पर प्रोजेक्ट लॉन्च करने का प्लान था। हालांकि, आखिर में केवल 6 से 7 स्थानों पर ही पार्किंग शुरू हो पाई। स्पष्ट है कि शुरुआत में ही इस प्रोजेक्ट पर होमवर्क सही साबित नहीं हो पाया।

कोविडकाल के बाद जमकर हुआ पत्राचार
कोविडकाल के बाद इस प्रोजेक्ट पर बादल मंडराए। यहां तक विभागों के बीच जमकर पत्राचार भी हुआ। ट्रैफिक पुलिस ने सही संचालन न होने पर एमडीडीए, ब्रिडकुल समेत जिला प्रशासन को पत्र लिखा। वहीं, ब्रिडकुल ने भी कंपनी को एक नहीं, कई बार नोटिस दिए। ब्रिडकुल ने तो यहां तक कंपनी को कह दिया कि उसने स्मार्ट पार्किंग के लाखों रुपए जमा तक नहीं किए।

मोबाइल एप से होती थी पार्किंग बुक
एमडीडीए ने इस प्रोजेक्ट के तहत मोबाइल एप से पार्किंग प्लेस बुक करने का एप तक लॉन्च किया था। इसकी जिम्मेदारी ब्रिडकुल के जरिए पार्किंग प्लस कंपनी को दी गई थी।

अब प्रोजेक्ट पूरी तरह ठप
अब जब ये प्रोजेक्ट पूरी तरह बंद हो चुका है। इसके बाद दून की सड़कों पर इसके अवशेष बाकी रह गए हैं। इसको लेकर ये योजना आखिरकार आगे क्यों नहीं बढ़ पाई। लोगों को गले नहीं उतर रही है।

स्मार्ट पार्किंग बंद का कोई बोर्ड तक नहीं
अगर स्मार्ट पार्किंग बंद कर दिए गए हैं तो पब्लिक को इसकी जानकारी विभागों की ओर से दी जानी चाहिए। जिससे लोगों में न तो दुविधा की स्थिति रहे और न ही उन्हें पुलिस के चालान का सामना करना पड़े। लेकिन, अब तक ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है।

व्यवसाइयों की दिक्कतें
जिन इलाकों में स्मार्ट पार्किंग शुरू की गई थी, वहां के स्थानीय व्यापारियों की मानें तो अब ऐसे स्मार्ट स्थानों पर लोग आड़े-तिरछे वाहनों को पार्क कर चले जा रहे हैं। जबकि, पहले व्यवस्थित तरीके से वाहन पार्क होते थे। वहीं, स्थानीय लोगों की मानें कि स्मार्ट पार्किंग एरियाज में ये सुविधा खत्म होने के बाद अव्यवस्थित माहौल है। जिस कारण कई बार वाहन चोरी के प्रयास भी हुए।

चालान की अब नई टेंशन
जिन इलाकों में पहले ये स्मार्ट चल रहे थे, अब उन इलाकों पर पुलिस की नजर बनी हुई है। अचानक पुलिस की टीम वाहनों को उठाकर ले जा ही है। जबकि, स्मार्ट पार्किंग पूरी तरह बंद हो चुकी है। बाहर से आने वाले वाले लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है। जिसका उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

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