-बीते दिसंबर माह में उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान लगाए गए थे नए बोर्ड

-डेढ़ माह से ज्यादा का वक्त बीता, कहीं आधे-अधूरे बोर्ड, कहीं अब तक नहीं पहुंच पाए

देहरादून, 24 जनवरी (ब्यूरो)।
राजधानी दून में दिसंबर फस्र्ट वीक में उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के दौरान बाजारों व मुख्य सड़कों पर समरूपता लाने के लिए फसाड योजना के तहत दुकानों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों में एक जैसे बोर्ड लगाने शुरू हुए थे। बाकायदा, समिट के दौरान इसके लिए दिन-रात एक कर दिया गया। लेकिन, अब वर्तमान में स्थिति ये है कि फसाड के नाम पर जो बोर्ड लगाए गए थे, कुछ इलाकों में उनके ऊपर दूसरे बोर्ड लगा दिए हैं। जबकि, करीब डेढ़ माह से ज्यादा का वक्त बीत गया है। कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां व्यापारियों ने फसाड योजना के तहत नए बोर्डों का इंतजार है। ऐसे ही कुछ दूसरे इलाके ऐसे भी है, जहां आधा-अधूरा काम यूं ही पड़ा हुआ है। यहां तक कि इसको लेकर व्यापारियों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने अब आस भी छोड़ दी है।

कहीं छेड़खानी, कहीं लग नहीं पाए
उसने दिन-रात एक कर दिया था। यहां तक कि व्यापारियों को बोर्ड बदलने तक के लिए चंद घंटों तक की मोहलत दी गई। इन्वेस्टर्स समिट निपटा, उसके बाद इस योजना के तहत जो काम जहां था, मानो वहीं पर रुक गई हो। वर्तमान में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। इसको लेकर व्यापारियों में नाराजगी व मायूसी भी है।

नए बोर्डों के हाल बेहाल
अब इन बोर्डों के हाल ये हैं कि कोई पूछने वाला नहीं है। जबकि, उस दौरान एमडीडीए के अधिकारियों ने बोर्ड बदले जाने पर कार्रवाई तक किए जाने का हवाला दिया था। उस वक्त एमडीडीए के अधिकारियों ने स्पष्ट किया था, नए बोर्ड लगाने का जिम्मा प्राधिकरण का है और मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी नगर निगम की हो सकती है। लेकिन, कहावत रात गई बात गई जैसी साबित हो रही है। दरअसल, इन बोर्डों को लगाने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किए। लेकिन, करीब डेढ़ माह में ही इन नई बोर्डों की व्यवस्थाओं को सवाल खड़े होने लगे हैं। मसलन, जहां बोर्ड लगाए गए हैं, वहां छेड़खानी शुरू हो गई है। जहां बोर्ड नहीं लगाए गए हैं, वहां व्यापारी इंतजार करते हुए थक गए हैं। लेकिन, प्रशासन से लेकर प्राधिकरण व निगम प्रशासन, कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।

नए लगाए गए बोर्ड पर एक नजर
-लगाए गए थे करीब 13 से ज्यादा बोर्ड
-एकरूपता वाले लगाए गए बोर्ड का दायरा करीब 29 किमी तक।
-इन बोर्ड को लगाने में एमडीडीए ने खर्च किए थे करीब 20 करोड़ रुपए

इन इलाकों में अब भी इंतजार
-आईएसबीटी
-रायपुर
-धर्मपुर
-प्रिंस चौक

इन इलाकों में छेड़खानी शुरू
-राजपुर रोड
-रिंग रोड
-चकराता रोड

व्यापारियों ने प्रशासन से की थी मांग
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के समापन के बाद ये बात सामने आई थी कि जिस प्रकार से सरकार ने करोड़ों रुपए शहर के सौंदर्यीकरण के नाम पर खर्च किए हैं। सिटी नए लुक में नजर आ रही है तो आगे भी शहर ऐसा ही दिखे। इसके लिए मॉनिटरिंग होनी चाहिए। इसके लिए व्यापारी संगठनों ने प्रशासन से भी मांग की थी। बदले में भरोसा दिया गया था। प्रशासन ने विभागों को भी निर्देश दिए थे। लेकिन, ऐसा लग रहा है कि बात आगे नहीं बढ़ पाई है।

जिस वक्त शहर में नए बोर्ड लगाए गए थे। हमसे भी डिटेल मांगी गई थी। लेकिन, इतना वक्त बीत गया है। अब तक हमें ये नए बोर्ड संबंधित विभाग से नहीं मिल पाए। जिसका अब तक इंतजार किया जा रहा है।
अमित पुंडीर, व्यापारी

कब तक कुछ व्यापारियों को फसाड के तहत ये नए बोर्ड मिल पाएंगे, कहा नहीं जा सकता है। हम तो तब से लेकर अब तक वेट कर रहे हैं। अब संबंधित विभाग कब तक बोर्ड उपलब्ध कराता है। हमारा भी इंतजार है।
उत्तम अग्रवाल, व्यापारी

शासन-प्रशासन की ओर से शहर के तमाम इलाकों में नए बोर्ड लगाए गए। लेकिन, अब तक हमें ये बोर्ड नहीं मिल पाए हैं। कहीं लग गए, कहीं नहीं लगे। सरकार को खुद इस बारे में सोचना चाहिए।
राघव गुप्ता, व्यापारी।
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