-नौकरी छोड़ एनजीओ से जुड़ना किया पसंद

-घरेलू हिंसा की शिकार 500 से अधिक महिलाओं की उठाई आवाज

-सरकार, शासन हर स्तर पर की पैरवी

-जो खुद झेला, दूसरों के साथ नहीं होने देने का लिया प्रण

>DEHRADUN: बचपन में पढ़ाई को लेकर परिवार की ओर से लगी बंदिशों से नहीं हारने वाली दीपा देहरादून में घरेलू हिंसा और अन्य हिंसा की शिकार महिलाओं की आवाज बनी है। घरेलू हिंसा की शिकार करीब भ्00 महिलाओं की आवाज वह सरकार और शासन तक पहुंचा चुकी है। इसके अलावा शिक्षा पाने वाली लड़कियों को ओपन स्कूल के माध्यम से शिक्षा दिलाने का काम कर रही हैं।

बचपन के सबक को बनाया ताकत

देहरादून की रहने वाली दीपा कौशलम पुत्री स्वर्गीय रमेशचंद ने अपने बचपन के सबक को ही आज की ताकत बना लिया है। बचपन में उसे व उसकी बहन को पढ़ाई के लिए रोका जाता था। इसके बावजूद वह पढ़ती रही। परिजन पराई मानकर पढ़ाई न कराने की बात करते, लेकिन उसने इरादा नहीं बदला। कठिनाई झेली और एमए इंग्लिश से कर लिया। लड़कियों की पढ़ाई में आने वाली कठिनाई को नजदीक से देख चुकी दीपा अब ऐसी लड़कियों को पढ़ाई करने में मदद कर रही हैं।

गरीब महिलाओं के लिए समर्पित जीवन

दीपा पहले स्कूल में पढ़ाने का काम करती थी। आठ साल पहले वह अस्तित्व नाम की एक एनजीओ से जुड़ी। यह एनजीओ घरेलू हिंसा और अन्य हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए काम करती है। बस दीपा ने सबकुछ छोड़ इस एनजीओ के माध्यम से महिलाओं की आवाज उठाने की ठान ली। पिछले आठ सालों में ऐसे भ्00 महिलाओं की आवाज उठाई, जो गरीब घरों से थी, दूसरों के घरों में काम करके परिवार पाल रही थी। उन्हें न्याय दिलवाने के लिए पूरी मदद की। कानूनी मदद भी उन्हें दिलवाई।

ओपन स्कूल से करा रही पढ़ाई

वह गरीब परिवार की ऐसी लड़कियों के पास जाती हैं, जो हाई स्कूल की पढ़ाई भी नहीं कर पाती। उन्हें स्कूल नहीं जाने दिया जाता। इसके लिए उन्होंने एक उपाय निकाला है, ओपन स्कूल का। ऐसी लड़कियों को शिक्षित करने के लिए वह ओपन स्कूल का सहारा दिलवा रही है। उन्हें ओपन स्कूल के माध्यम से हाई स्कूल, इंटरमीडिएट, बीए आदि की शिक्षा दिलाने में मदद कर रही है।

दो बच्चों की अकेली अभिभावक

दीपा कौशलम कहती है कि उसके दो बच्चे हैं। वह उनकी अकेली अभिभावक है। वह अपने बच्चों को पूरा समय देती है और उन्हें पढ़ाई करके आगे बढ़ने का संदेश देती हैं। इसके अलावा वह लड़कियों को यही संदेश देना चाहती है कि वह पढ़ाई करें। शिक्षा ही उन्हें आगे बढ़ने में मदद करेगी।