- अगली कैबिनेट बैठक में स्टेडियम को लेकर लिया जा सकता है बड़ा फैसला
- सूत्रों के अनुसार स्टेडियम को किसी अन्य संस्था के सुपुर्द भी किया जा सकता है

देहरादून (ब्यूरो): बिल भुगतान न करने से ऊर्जा निगम ने स्टेडियम की लाइन काट दी है। बिजली कटे भी छह माह हो गए हैं, लेकिन सरकार सोई हुई है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने स्टेडियम की बर्बादी को लेकर शर्मनाक: अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम अंधेरे से क्लीन बोल्ड नामक शीर्षक से खबर प्रकाशित की है, जिसके बाद सरकार हरकत में आई है। स्टेडियम का मामला उत्तराखंड की साख से जुड़ा हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम की बेकद्री को लेकर खबर प्रकाशित होने के बाद सरकार की किरकिरी हुई है। सूत्रों की मानें तो अगली कैबिनेट बैठक में स्टेडियम को लेकर चल रहे विवाद पर बड़ा फैसला लिया जा सकता है। खेल निदेशक ने बताया कि स्टेडियम कमाई का बड़ा स्रोत है। अगले एक माह में स्टेडियम को फिर नए सिरे से चालू किया जाएगा।

स्टेडियम पर 1.72 करोड़ बिजली बिल बकाया
अंतर्राष्ट्रीय फेम के रायपुर क्रिकेट स्टेडियम ने अवस्थापना से लेकर अब तक कई सौ करोड़ का कारोबार किया है, लेकिन ताज्जुब की बात है कि स्टेडियम बिजली का बिल तक नहीं चुका पा रहा है। स्टेडियम पर बिल की धनराशि बढ़कर 1.72 करोड़ रुपये हो गई है। जिस आईएल एंड एफएस कंपनी को स्टेडियम 30 साल के लिए लीज पर दिया गया है। कंपनी कह रही स्टेडियम को कोविड सेंटर के लिए प्रयोग करने पर इस अवधि का बिल सरकार देगी और सरकार कह रही है कि कंपनी देगी। इसको लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है, जिसका नुकसान स्टेडियम को हो रहा है।

स्टेडियम पर 300 करोड़ खर्च
रायपुर क्रिकेट स्टेडियम 2016 में बनकर तैयार हुआ था। इसके निर्माण पर करीब 300 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। तब से लेकर अब तक स्टेडियम में वन सिरीज, लीजैंड्री मैच हो चुके हैं। अफगानिस्तान तक ने प्रैक्टिस के लिए इस स्टेडियम को किराए पर लिया है। सितंबर 2022 में यहां पर लीजेंड मैच खेला गया। जिसमें क्रिकेट जगत के कई दिग्गज खिलाडिय़ों समेत बांग्लादेश, अफगानिस्तान, आयरलैंड आदि देश वन मैच खेल चुके हैं।

सरकार स्टेडियम को चलाने में फेल
क्रिकेट स्टेडियम को चलाने में सरकार चार साल में ही फेल हो गई। सरकार ने जिस आइएल एंड एफएस कंपनी को 30 साल के लिए लीज पर दिया है उसने सरकार को आइना दिखा दिया है। सवाल यह है कि आखिर सरकार को इतनी लंबी अवधि के लिए करार क्यों किया। कंपनी और सरकार का यह अंनुबंध चार साल भी नहीं टिका। इसके पीछे असली वजह क्या है यह तो साफ नहीं है, लेकिन स्टेडियम की जो बर्बादी हो रही है उसके लिए कौन जिम्मेदार है। स्टेडियम को 30 साल के लिए आईएल एंड एफएस को दिया गया है। विवाद के बावजूद अभी स्टेडियम का स्वामित्व कंपनी के पास है। कंपनी की लीज लीड खेल विभाग ने कैंसिल नहीं की है।

बिजली कनेक्शन जोडऩे का भारी दबाव
ऊर्जा निगम पर अफसर और नेताओं की ओर से बिजली कनेक्शन जोडऩे का लगातार दबाव बनाया जा रहा है। भारी दबाव के बावजूद ऊर्जा निगम ने अभी तक कनेक्शन नहीं जोड़ा है, जिससे स्टेडियम पूरी तरह अंधेरे में है। यहां पर कोई खेल गतिविधि भी नहीं हो रही है।

11 साल से बंद आइस स्केटिंग रिंक भी खा रहा जंग
क्रिकेट स्टेडियम से लगे आइस स्केटिंग रिंक की हालत भी चिंताजनक बनी है। करीब 70 करोड़ की लागत से बने आइस स्केटिंग बनने के 11 साल बाद भी एक भी खेल आयोजित नहीं हो पाया है। 2011 में यहां साउथ एशियन विंटर गेम्स हुए थे, जिसमें श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल, मालद्वीप, भूटान और बांग्लादेश की टीमें खेल चुकी है। जबकि आइस स्कीइंग गेम्स ओली में हुए थे। अंतर्राष्ट्रीय महत्व का आइस स्केटिंग रिंग भी शो पीस बना हुआ है। रिंग को देखने के लिए बालीवुड समेत कई बड़ी हस्तियां यहां आ चुकी है। आइस स्केटिंग एसोसिएशन आफ उत्तराखंड ने कई बार बंद पड़े आइस स्केटिंग रिंग को किराए पर देने की मांग की है, लेकिन सरकार ने नहीं दिया, जिस कारण यह आइस स्केटिंग बंद पड़ा-पड़ा जंग खा रहा है।

बिजली का कनेक्शन खेल विभाग के सीईओ के नाम पर है। ऊर्जा निगम का कंपनी से कोई लेना देना नहीं है। कनेक्शन जोडऩे के भारी दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन बिल के पूरे भुगतान के बिना किसी भी स्थिति में बिजली नहीं जोड़ी जाएगी।
राकेश कुमार, एक्सईएन, ऊर्जा निगम, देहरादून

कोविड के दौरान बिजली के बिजली बिल पर विचार किया जा रहा है। बाकी भुगतान कंपनी को करना है। स्टेडियम को लेकर अगली कैबिनेट बैठक में ठोस निर्णय लिया जाएगा। सैद्धांतिक सहमति बनने के बाद इस पर विधिक राय ली जा रही है। जल्द ही स्टेडियम को फिर से शुरू किया जाएगा।
जितेंद्र सोनकर, डायरेक्टर स्पोट्र्स
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