देहरादून (ब्यूरो) : देश आजादी के बाद जब संविधान की तैयारी हो रही थी। संविधानसभा ने हस्तलिखित संविधान तैयार किया। उसके बाद ये तय हुआ कि आखिर संविधान को छापा जाए। उसके बाद तय हुआ है कि देहरादून स्थित सर्वे ऑफ इंडिया, जो कि मानचित्र पर काम करता था। उसको संविधान छापने की जिम्मेदारी सौंपी गई। जानकारों के मुताबिक संविधान की पहली कॉपी दून के सर्वे ऑफ इंडिया की प्रेस में छापी गई थी। उस दौरान संविधान की केवल एक हजार प्रतियां छापी गई थीं। हालांकि, संविधान की पहली मूल प्रति हाथ से लिखी गई थी। कुल मिलाकर भारत का संविधान प्रकाशित करने में दून स्थित सर्वे ऑफ इंडिया का अहम योगदान रहा है। तब सर्वे ऑफ इंडिया का मुख्यालय देहरादून में हुआ करता था। उस वक्त संविधान को छापने के लिए फोटोलिथोग्राफिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया था। इसी तकनीक से सर्वे ऑफ इंडिया नक्शे भी तैयार करता है। सर्वे ऑफ इंडिया के म्यूजियम प्रभारी अरुण कुमार के अनुसार भारतीय संविधान की पहली छपी हुई एक कॉपी म्यूजियम में मौजूद है।


स्थापित किए थे चार प्रिंटिग ग्रुप

अंग्रेजों ने सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया का गठन कर चार प्रिंटिंग ग्रुपों, जिनमें नार्दर्न, ईस्टर्न, साउदर्न और वेस्टर्न प्रिटिंग ग्रुप को भारत में स्थापित किया था। नार्दन प्रिटिंग ग्रुप दून में बनाया गया था। इसी प्रेस की 9 नंबर को मशीन से भारत के संविधान की पहली प्रति छापी गई थी।


संविधान पर एक नजर

-1946 में संविधान की स्थापना हुई।
-इसमें 389 सदस्य थे शामिल।
-सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई।
-11 दिसंबर 1946 को डा। राजेंद्र प्रसाद को स्थाई चेयरमैन चुना गया।
-देश के विभाजन के बाद सभा की संख्या घट कर 299 रह गई।
-संविधान में 8 मुख्य समितियां व 15 अन्य समितियां थीं।
-डा। बीआर अंबेडकर ड्रॉफ्टिंग कमेटी के प्रमुख थे।
-संविधानसभा की 2 वर्ष 11 माह 19 दिन में 114 बैठकें हुईं।
-हस्तलिखित संविधान पवर 24 जनवरी 1950 को 284 संसद सदस्यों ने साइन किए।
-सितंबर 2016 तक भारतीय संविधान में सिर्फ 101 संशोधन हुआ।

राज्यपाल ने दी संविधान दिवस शुभकामनएं

देहरादून, राज्यपाल ले.जन। गुरमीत सिंह (रिटा.) ने सभी प्रदेशवासियों को संविधान दिवस की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि 26 नवम्बर 1949 को भारत के लोगों ने भारत के संविधान को आत्मार्पित किया था। राज्यपाल ने बाबा साहब डॉ। भीमराव आम्बेडकर सहित संविधान के सभी निर्माताओं को नमन करते हुए कहा है की संविधान भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है और इसकी समस्त शक्तियों का स्रोत भी है। राज्यपाल ने कहा कि डॉ। अंबेडर की विलक्षण प्रतिभा, कठोर परिश्रम और महान विचारों की व्यापकता से एक लोक कल्याणकारी संविधान की मजबूत संरचना संभव हुई थी।

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