देहरादून, (ब्यूरो): दून की सड़कों के किनारे खोखले और जर्जर हो चुके गिरासू पेड़ मौत बनकर खड़े हैं। इनकी हकीकत ये है कि मामूली आंधी-तूफान आने पर शहर के कई इलाकों में ये पेड़ न केवल सड़कों पर गिर जाते हैं। बल्कि, कई बार जानलेवा भी साबित हो जाते हैं। लेकिन, बावजूद इसके वन विभाग इस तरफ ध्यान देने को तैयार है। बीती 27 अप्रैल को जब दून में अचानक मौसम ने राजधानी दून में करवट ली, शाम को एक नहीं कई इलाकों में वन विभाग को करीब 16 से 17 पेड़ सड़कों पर गिरने की सूचना मिली। यहां तक कि कई इलाकों में रात तक सड़कें ब्लॉक हो गई। अब विभाग इस पर सर्वे की बात कह रहा है।

आंधी-तूफान नहीं झेल पा रहे पेड़
ताजा उदाहरण सबके सामने है। पिछले महीने 27 अप्रैल को दून में तेज आंधी-तूफान से दून शहर के कई इलाकों में धड़ाधड़ एक नहीं, कई पेड़ गिर गए। वन विभाग की टीम रात करीब 11 बजे तक उन इलाकों में दौड़ती रही। जहां पेड़ टूट गए। पेड़ टूटने के कारण ट्रैफिक तक बाधित रहा। इस दिन डालनवाला से लेकर राजपुर रोड आरटीओ जैसे इलाकों में तेज तूफान के कारण पेड़ टूटे। पता चला कि ये जो पेड़ टूट रहे हैं। वे बूढ़े व खोखले हो चुके हैं। जिनकी क्षमता तेज आंधी-तूफान झेलने की नहीं है।

27 अप्रैल को टूटे पेड़ों पर एक नजर
-डालनवाला में करीब आधे दर्जन पेड़ खड़े वाहनों के ऊपर गिर गए।
-वेल्हम गल्र्स स्कूल के सामने कार में बैठे एक दंपत्ति पेड़ टूटने से बाल-बाल बचे।
-आंधी-तूफान के दौरान डीएम की गाड़ी के सामने भी पेड़ टूट कर सड़क पर गिर गया।
-आरटीओ ऑफिस राजपुर रोड पर पेड़ टूटने से ट्रैफिक बाधित रहा।

सता रहा डर
इस प्रकार की घटनाएं सामने आने के बाद लोगों को डर सता रहा है कि अचानक तेज आंधी व तूफान के दौरान वे शहर के इलाकों में निकलेंगे तो समस्या खड़ी हो सकती है। जानकार बताते हैं कि वन विभाग को ऐसे बूढ़े व खोखले पेड़ों का सर्वे कर सोचना चाहिए। जिससे ऐसे हादसों से बचा जा सके। इधर, इस बारे में डीएफओ नीरज कुमार ने बताया कि दून में सड़कों के किनारे जर्जर पेड़ों को चिन्हित करने के लिए नगर निगम के साथ संयुक्त टीम बनाए जाने के प्रयास हैं। उन्होंने माना है कि ये सड़क किनारे जर्जर हालत में जो पेड़ हैं, उनका हटाए जाने के साथ ऐसे पेड़ों का ट्रीटमेंट भी किया जा सकता है। लेकिन, इसके लिए ऐसे पेड़ों का टेक्नीकल सर्वे किया जाएगा। वैसे भी हर पेड़ को हटाया पर्यावरण की दृष्टि से उचित नहीं है।

इन इलाकों में बना हुआ है डर
-राजपुर रोड
-जाखन
-ओल्ड मसूरी रोड
-मसूरी-मालसी रोड
-प्रेमनगर
-सेलाकुई रोड
-हरिद्वार रोड

कुछ वर्ष पहले घटी एक घटना
कुछ वर्ष पहले एक दौड़ कार्यक्रम के दौरान एक छात्रा के ऊपर से पेड़ की टहनी टूटकर गिर गई। जिससे छात्रा का अपनी जान गंवानी पड़ी। उस वक्त भी इन खोखले, बूढ़े पेड़ों को लेकर सवाल उठे थे। लेकिन, विभाग ने इस ओर कोई कदम नहीं बढ़ाए।

बैनर व पोस्टर से खोखले हो रहे पेड़
बात खोखले व बूढ़े हो चुके पेड़ों की नहीं हो रही है। दून में तो पेड़ों के साथ खिलवाड़ भी किया जा रहा है। शहर में शायद ही कोई ऐसा इलाका होगा, जहां पर सरकारी व गैर सरकारी विभागों व इंस्टीट्यूशंस के पोस्टर बैनर पेड़ों पर न चस्पा किए गए हों। पर्यावरणविदों का मानना है कि इससे पेड़ कमजोर होकर अंदर से खोखले हो रहे हैं। सूख रहे हैं और अपनी मियाद पूरी नहीं कर पा रहे हैं। इसके खिलाफ विभाग को अभियान चलाकर कार्रवाई करनी चाहिए।

सड़क किनारे जर्जर पेड़ों को चिन्हित करने के लिए नगर निगम के साथ संयुक्त टीम बनाई जा रही है। चिन्हीकरण के बाद उन्हें बचाने और काटने पर विचार किया जाएगा। यदि कहीं कोई जर्जर पेड़ हैं, तो सर्वे कर ऐसे पेड़ों को परमिशन देकर काट लिया जाएगा।
नीरज कुमार, डीएफओ, दून

पेड़ों की अपनी वेल्यू है। इन्हें अधिक से अधिक प्रोटेक्शन दिया जाए। हर साल पेड़ों की हेल्थ का सर्वे होना चाहिए। जर्जर पेड़ भी तकनीक के सहारे लंबे समय तक जिंदा रह सकते हैं। इसके लिए एफआरआई के वैज्ञानिकों की मदद ली जानी चाहिए। जब तक पेड़ जिंदा हैं, तभी तक जीवन सुरक्षित है।
हिमांशु अरोड़ा, सिटीजन फॉर ग्रीन दून

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