देहरादून (ब्यूरो) निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संडे सुबह पर्यावरणप्रेमी व अन्य संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता राजपुर रोड पर एकत्रित हुए। इसके बाद दिलाराम चौक से होते हुए प्रदर्शनकारियों ने पेड़ काटने के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन व नारेबाजी करते हुए कैंट रोड पर स्थित सेंट्रियो मॉल तक मार्च निकाला। जिसमें सैकड़ों लोगों ने प्रतिभाग किया। सभी के हाथ में लिखी हुई तख्तियां मौजूद थीं। आरोप लगाए कि सरकार विकास के नाम पर शहर में मौजूद हरे-भरे पेड़ों का सफाया कर रही है। वक्ताओं ने कहा कि यही वजह रही कि दून में इस बार टेंप्रेचर 43 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड तक पहुंचा। भीषण गर्मी से हा-हाकार मची रही।

ये संस्थाएं व संगठन रहे मौजूद
-सिटीजन ग्रीन फॉर दून
-धाद
-एसडीसी फाउंडेशन
-महिला मंच
-उत्तराखंड संयुक्त नागरिक संगठन
-उत्तराखंड इंसानियत मंच
-एसएफआई
-दून सिटीजन फोरम

सीएम के नाम खुला पत्र
हम देहरादून के सैकड़ों निवासी शहरी विकास के नाम पर दून में सड़कों के चौड़ीकरण, पेड़ां की कटाई, पहाडिय़ों की कटाई व प्राकृतिक जल स्रोतों के विनाश से बेहद निराश व चिंतित है। कई बार तमाम माध्यमों से बात रख चुके हैं। कई बार सरकार के प्रतिनिधियों व विभागों के सीनियर ऑफिसर्स तक अपनी पीड़ा पहुंचा चुके हैं् लेकिन, समाधान नहीं मिल पाया है। शहर के संभ्रांत नागरिक होने के नाते अंत में नए प्रोजेक्ट्स के बारे में पता चलता है। जिसमें सबसे पहले पेड़ों को काटने की योजना बनाई जाती है। ये सब सरकार की मंजूरी, अनुबंध व निविदा प्रक्रिया पूरी होने के बाद होता है। यही कारण है कि इन प्रोजेक्ट्स की वजह से जहां एक ओर दून जैसा शहर गर्म हो रहा है। वहीं, पैदल चलना मुश्किल हो रहा है। हजारों लोगों का मानना है कि इन प्रोजेक्ट्स से सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है।

दून व स्टेट क्लाइमेट क्राइसिस पर ये 5 मांगें
-सिटी के सौंदर्यीकरण के उन प्रोजेक्ट्स पर तत्काल रोक लगे, जिनसे पेड़ों को काटा जाना प्रस्तावित है।
-सभी प्रोजेक्टस के डिजाइन और समीक्षा, क्लाइमेट क्राइसिस से उपजी गर्मी, बरसात व सर्दी के प्रभावों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाए।
-योजना व परियोजनाओं को छिपाकर क्रियान्वित न किया जाए।
-सभी प्रोजेक्ट्स पब्लिक पार्टिसिपेशन के आधार पर होने चाहिए।
-कार्यदायी एजेंसियां हर तीन महीने में एक बार खुली नागरिक बैठक आयोजित करें।

20 से 25 हजार पेड़ कट गए
पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा ने कहा कि राजधानी में सड़कों व अन्य विकास के नाम पर करीब 20-25 हजार पेड़ कट चुके हैं। जबकि, जानकारी मिल रही है कि कई अन्य विकास कार्यों के लिए करीब 40 हजार पेड़ और कटने बाकी हैं। वहीं, सोशल एक्टिविस्ट अनूप नौटियाल ने कहा कि पेड़ों के काटे जाने की ही वजह रहा है कि दून का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस तक इस बार रिकॉर्ड किया गया है। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर जो पेड़ काटे जा रहे हैं, उसके लिए सिस्टम जिम्मेदार है।

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