देहरादून (ब्यूरो) उत्तराखंड गठन के 24 साल पूरे हो चुके हैं। बीजेपी की दो-दो सरकारों में राज्य में पूंजी निवेश और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए बड़े जोर-शोर से इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन किए गए। एक वर्ष 2018 में और दूसरा वर्ष 2023 में। दोनों पर हजारों करोड़ों रुपए के इन्वेस्टमेंट और रोजगार मिलने के दावे किए गए। लेकिन, सच्चाई ये है कि वर्ष 2018 में जब त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन हुआ। उसके बाद 6 सालों में उन एमओयू का क्या हुआ। ये सबके सामने है। वर्ष 2023 के ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले वर्ष 2018 के इन्वेस्टर्स समिट के बारे में जानकारों ने बताया कि हकीकत में उस इन्वेस्टर्स समिट की ग्राउंडिंग करीब 15 से 18 परसेंट तक ही रही। ऐसे में लोगों को वर्ष 2023 के इन्वेस्टर्स समिट की भी चिंता सता रही है। हालांकि, उद्योग विभाग के अधिकारी ने चुनाव की आदर्श आचार संहिता का हवाला देते हुए कहा कि जल्द ही पूरा लेखा-जोखा सामने रखा जाएगा। जिसके बाद इन्वेस्टर्स समिट की स्थिति साफ हो पाएगा।

9 सेक्टरर्स, 601 प्रोजेक्ट्स के एमओयू
उद्योग विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2018 में हुए इन्वेस्टमेंट समिट के दौरान 9 सेक्टर्स में 601 प्रोजेक्ट्स पर एमओयू साइन हुए थे। इस दौरान 1 लाख 24 हजार करोड़ के इन्वेस्टमेंट के साथ 353924 रोजगार का सृजन होना प्रस्तावित था। वर्ष 2023 से पहले विभाग ने दावा किया था कि इस 6 साल पहले के इन्वेस्टर्स समिट के बाद 538 प्रोजेक्ट्स की ग्राउंडिंग हुई। इसके अलावा 26262 करोड़ की ग्राउंडिंग के साथ ही 74780 लोगों को रोजगार मिल पाया।

एफआरआई में हुआ था आयोजन
धामी सरकार ने गत वर्ष 8 व 9 दिसंबर को दून के एफआरआई में इन्वेस्टर्स समिट 2023 का आयोजन किया गया था। इस समिट को बड़े स्तर पर ले जाने और राज्य में इन्वेस्टमेंट व रोजगार सृजन के लिए बड़े जोर-शोर से सरकार ने ताकत झोंकी थी। देश के तमाम शहरों से लेकर विदेश की धरती तक रोड शो किए गए थे। खुद सीएम ने इसका मोर्चा संभाला था। अब तक इसकी हकीकत क्या है। सरकार लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता की बात कह कर कोई भी जानकारी शेयर करने के दूरी बना रही है। लेकिन, जानकार बताते हैं कि जिस उम्मीद के बाद ग्लोबल इन्वेस्टर्स का आयोजन और उसके बाद रिफ्लैशन आने की बात कही गई थी। उसकी जमीनी हकीकत सामने सामने है। हालांकि, दावा किया जा रहा है कि करीब 6 महीने के भीतर 75 हजार रुपए की ग्राउंडिंग हो चुकी है और 50 हजार लोगों को रोजगार मिल चुका है। इसमें कितनी सच्चाई है, ये किसी से छ़पी नहीं है।

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