RISHIKESH: अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में योगाचार्यों ने साधकों की योग जिज्ञासा का समाधान किया। इसके अलावा योग साधकों को आध्यात्मिक संतों के सानिध्य भी मिला।

गढ़वाल मंडल विकास निगम व पर्यटन विकास परिषद के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन आध्यात्मिक वक्ता ब्रह्मकुमारी बहन शिवानी ने ऑनलाइन माध्यम से साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि पिछला साल कई प्रश्न लेकर आया था। जिससे हम सभी ने काफी कुछ सीखा। योग सिर्फ व्यायाम नहीं, योग जीवन जीने का तरीका है।

योग से तभी मिलेगा लाभ जब सही तरीके से करेंगे आसन

गंगा रिसॉर्ट में योगाचार्यों ने योग साधकों को विभिन्न योगिक क्रियाओं का अभ्यास कराया। नाड़ी विज्ञान व योग चिकित्सा के मर्मज्ञ संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ। लक्ष्मी नारायण जोशी ने कहा कि आसन करते हुए यदि चिकित्सीय लाभ लेनें हैं तो साधक को आसन का सही तरीका, समय सीमा और आसन के बाद किए जाने वाले पूरक आसन की जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि मधुमेह रोगी जब मंडूक आसन, अ‌र्द्धमत्सेंद्र आसन को करते हैं तो कंध योनि स्थान पर दबाव डालें जो कि नाभि के पास का स्थान है। तो इंसुलिन की मात्रा शरीर में बढ़ने लगेगी, जिसका लाभ मधुमेह रोगी को मिलेगा। वहीं कब्ज को दूर करने के लिए ताड़ आसन, त्रियक ताड़ासन और कटी चक्रासन का अभ्यास बहुत ही लाभकारी होता है। इसी प्रकार यदि तनाव को दूर करना है तो नियमित रूप से नाड़ी शोधन प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए यह मस्तिष्क को शक्ति देता है और स्मृति का विकास कर तनाव को दूर करता है।

पावर योग व योग ¨नद्रा का किया अभ्यास

अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के प्रात:कालीन सत्र में आचार्य मित प्रसन्ना ने योग साधकों को पावर योग व योग ¨नद्रा का अभ्यास कराया। वहीं योगी गुलशन कुमार ने कोरोना से बचाव के लिए योग की अनेक विधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि योग से व्यक्ति के शरीर की प्रतिरक्षण प्रणाली मजबूत होती है। कोरोना काल में जो लोग तनाव ग्रस्त थे उन्हें मेडिटेशन से काफी राहत मिली है। वहीं मुख्य पांडाल में दोपहर बाद योगिनी ऊषा माता व आचार्य सिद्धार्थ ने योग साधकों को शरीर विज्ञान के बारे में गहन जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शरीर अष्ट धातुओं से बना हुआ है, जिसे अष्टचक्र भी कहते हैं। योगिनी ऊषा माता ने योग साधकों को योग व प्राणायाम के अभ्यास कराये।