कानपुर (इंटरनेट-डेस्क)। हर साल 31 अक्टूबर को भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत को एक राष्ट्र बनाने में सरदार वल्लभ भाई पटेल की खास भूमिका रही। उन्होंने देश की एकता और अखंडता के लिए संघर्ष किया और आज भी उनके विचार देश वासियों को प्रेरणा देते हैं।

अपमान सहने की कला
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कहा है कि आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।

भेदभावों को समाप्त करने की अपील
आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।

हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा
इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।

भारत एक अच्छा उत्पादक हो
मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।

प्रेम की खासियत बताई
संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है। मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे, जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।

अधिकारों की गंभीरता कुछ ऐसी हो
अधिकार मनुष्य को तब तक अंधा बनाए रखेंगे, जब तक मनुष्य उस अधिकार को प्राप्त करने हेतु मूल्य न चुका दे।

एकता के आगे सारी क्रूरता कमजोर हो जाती
जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पात के ऊंच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।

मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे
संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है। मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।

हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए

मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा।

अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिए
आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आंखों को क्रोध से लाल होने दीजिए, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिए।

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