- सपा सरकार में शुरू हुए पूर्व सीएम अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट वरुणा कॉरीडोर के निर्माण स्थल पर लगी भीषण आग, करोड़ों का नुकसान
- हवा ने दिया आग को विकराल रुप, जेसीबी, रोलर और टैंकर समेत निर्माण सामग्री जलकर खाक, किसी बड़ी साजिश का अंदेशा
1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ
ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ
यूपी में चुनावों के बाद सपा सरकार की फिर से सत्ता में वापसी नहीं दिखी तो अब उस वक्त शुरू हुए प्रोजेक्ट्स न सिर्फ खतरे में पड़ गए हैं बल्कि उनके साथ साजिश होने लगी है। ऐसी ही एक साजिश की बू वरुणा कॉरीडोर प्रोजेक्ट प्लेस पर सोमवार को लगी भीषण आग के बाद आने लगी है। होली के दिन दोपहर करीब एक बजकर दस मिनट पर कॉरीडोर पर ही बने वेयर हाउस में अचानक से आग लग गई। देखते ही देखते आग ने ऐसा विकराल रूप ले लिया कि उसकी जद में आस-पास पड़ा सामान तो आया ही साथ में वहां खड़ी जेसीबी, एक टैंकर और एक रोलर भी आ गया। आग बढ़ता देख मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू तो पा लिया लेकिन ये सवाल अब भी सुलग रहा है कि आग लगी या लगाई गई?
एक किमी पहले दिख रहा था धुंआ
सोमवार को जब हर कोई होली के जश्न में डूबा था। उसी दौरान पूर्व सीएम अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट वरुणा कॉरीडोर पर आग से हड़कंप मच गया। आग इतनी बढ़ गई कि उठ रहा काला धुआं लोगों को एक किमी पहले से ही दिखने लगा। कॉरीडोर का काम चल रहा था इसलिए शास्त्री घाट के बगल में वरुणा कॉरीडोर बनाने का सामान व मशीनें रखी थीं। आग लगने के कारणों का पता नहीं चला है लेकिन आग से यहां पर रखे सामान व मशीनों को भारी नुकसान पहुंचा है। सोमवार को चल रही तेज हवा ने आग को बढ़ाने का काम किया। सूचना पर पहुंची दमकल की गाडियों ने आग पर काबू पाया है। आग से वहां रखी लाखों रुपये की प्लास्टिक शीट, टेक्टाइल, जूट से बने क्वायर मेट, एक जेसीबी, एक टैंकर और एक रोलर जलकर खाक हो गया।
ये है प्रोजेक्ट
- मार्च 2016 से शुरू हुआ था वरुणा कॉरीडोर पर वर्क
- इस वर्क को फरवरी 2017 तक होना था पूरा
- 201.65 करोड़ रुपए की लागत से बनना है कॉरिडोर
- 10.3 किमी कॉरिडोर में 4 नए घाट बनने हैं
- इसमे ड्रेजिंग, कंस्ट्रक्शन, रेलिंग, चौड़ीकरण एवं ज्ञानपुर पम्प कैनाल से गंगा का पानी प्रवाह शामिल है
- नदी के दोनों तरफ लंबा प्लेटफॉर्म बनना है, जिसमें लोगो के बैठने की सुविधा होगी
- दोनों तरफ पाथ वे और लाइटिंग भी लगेगी
- घाट की सुंदरता के लिए कचहरी स्थित दोनों पुल के बीच फाउंटेन लगाया जाना है
सवाल हैं कई
- जिस प्लेस पर आग लगी वहां शॉर्ट सर्किट की संभावना ही नहीं है
- कोई डीजल या पेट्रोल का ड्रम या टैंकर यहां मौजूद नहीं था
- सीएम अखिलेश ने फरवरी में इसे खत्म करने को कहा था
- फिर भी काम में देर हो चुकी है
- वर्क के लिए पूरे रुपये भी रिलीज हो चुके हैं
- जिसमे कुछ सामान खरीदे गए जबकि कुछ अब भी बचे हैं
- इसलिए आशंका है कि प्रोजेक्ट में हुई धांधली को छुपाने के लिए ये साजिश रची गई
- ये भी अंदेशा है कि सपा सरकार में शुरू हुए इस बड़े प्रोजेक्ट को रोकने के लिए किसी ने ये सब किया हो
ये आग लगी नहीं है ये तो साफ है। ये किसी ने लगाई जरूर है। आशंका ये भी है कि यहां लोग बैठकर सिगरेट और गांजा पीते हैं। जलती सिगरेट छोड़ देने से भी आग लगने का अंदेशा है।
देवी सिंह, प्रोजेक्ट डायरेक्टर
साजिश रचने वाले ने लिया जूट का सहारा
वरुणा कॉरीडोर पर लगी आग कोई हादसा नहीं बल्कि सोची समझी साजिश हो सकती है। स्पॉट पर हादसे के बाद पहुंची दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम को कुछ ऐसे सुराग मिले जिसके बाद ये तो कहा जा सकता है कि इस साजिश को रचने वालों ने काम बहुत ही होशियारी से किया। क्योंकि आग लगाई गई ऐसी जगह जहां सबसे तेज जलने वाला नारियल की जटा से बने क्वॉयर मैट के बंडल पड़े थे। जिसमें एक चिंगारी भी खतरनाक साबित हो सकती थी। ऊपर से चल रही तेज हवा ने साजिश रचने वाले का साथ दिया और पूरा प्रोजेक्ट आग की भेंट चढ़ गया।
पहले भी उठे हैं सवाल
इस आग के पीछे साजिश की बात को बल इसलिए भी मिलता है क्योंकि प्रोजेक्ट को एक महीने पहले ही पूरा होना था और चुनाव खत्म होने और नई सरकार के गठन की तैयारी के बाद भी प्रोजेक्ट अब तक 40 परसेंट ही पूरा हो सका है। सपा सरकार के वक्त जिस संस्था को ये काम सौंपा गया था उससे लेकर उस वक्त इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी तक अब इस बात से परेशान हैं कि कहीं नई सरकार के बनते ही ये अधूरा प्रोजेक्ट उनके लिए गले की हड्डी न बन जाये। क्योंकि प्रोजेक्ट के पूरे पैसे मिलने के बाद भी तय वक्त पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका। जबकि खर्च लगभग पूरे पैसे हो जाने की बात अधिकारी कह चुके हैं। इसलिए ऐसे वक्त पर आग लगना ये इशारा जरूर कर रहा है कि ये आग किसी साजिश का नतीजा हो सकती है।