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नई परंपरा: दुनिया भर के किन्‍नरों ने अपने पितरों के लिए किया सामूहिक पिंडदान

By: Chandra Mohan Mishra | Updated Date: Sat, 24 Sep 2016 20:55:58 (IST)
वाराणसी के पिशाच मोचन विमल तीर्थ पर आज जो नजारा देखने को मिला, उसे देख लोग हैरान थे। यहां दुनिया में पहली बार किन्‍नर समाज सामाजिक रूप से अपने पितरों का पिंडदान 'त्रिपिंडी श्राद्ध' विधि से कर रहा था। इसमें किन्‍नरों ने अपने पितृ (किन्‍नर चेला, गुरू, मांए और बच्‍चे) की आत्‍माओं की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किए। इस आयोजन में किन्‍नर समाज के महामंडलेश्‍वर आचार्य लक्ष्‍मीनारायण त्रिपाठी समेत देश भर के कोने कोने से अलग अलग किन्‍नर अखाड़ों के महंत और गुरू शामिल हुए। किन्‍नरों के इस 'त्रिपिंडी श्राद्ध' कार्यक्रम में 21 ब्राह्मणों ने 4 घंटे से अधिक समय तक पूरे विधि विधान से अनुष्‍ठान कराया। आचार्य लक्ष्‍मीनारायण त्रिपाठी ने बताया कि महाभारत काल में शिखंडी ने अपने पितरों का पिंडदान किया था। तब के बाद आज सामाजिक रूप से हमने अपने पितरों का पिंडदान किया है। हमारी कोशिश है, कि हम हर पांचवे साल यहीं आकर अपने पितरों की आत्‍मा की शांति के लिए पिंडदान करें।
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