PATNA: बाजार से दो हजार के नोट जैसे गायब ही हो गये हैं। बड़े शॉप, एटीएम और मॉल्स में पांच-दस हजार की शॉपिंग कैश में करने वाले के मामले में भी दो हजार के नोट नहीं दिख रहे हैं। अधिक परेशानी बैंक में ज्यादा कैश के जरूरतमंद को दो हजार रुपए नहीं मिल पाने से होती है। यह समस्या इतनी बड़ी हो जाती है कि बैंक कर्मचारी और कंज्यूमर के बीच बहस भी हो जाती है। नोटबंदी के शुरुआत में जो समस्या दो हजार के नोट के खुदरा कराने को लेकर थी आज इसके ठीक उलट इसके नहीं होने से समस्या हो रही है। बैंक, बैंक एटीएम और बडे शॉप व मॉल में भी नहीं मिल रहे हैं दो हजार के नोट।

कोई आधिकारिक निर्देश नहीं

ऑफिशियली किसी भी बैंक को दो हजार रुपये के नोट ग्राहकों को नहीं देने या केवल कैश चेस्ट में ही जमा रखने जैसे कोई निर्देश या गाइडलाइन नहीं मिले हैं। इस बात की पुष्टि ऑल इंडिया बैंक एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी अनिरुद्ध कुमार ने की। उन्होंने बताया कि यदि ऐसा होता तो यह सभी बैंक पर लागू होता और आम लोगों के बीच भी यह सूचना आती। जबकि ऐसी सूचना नहीं आयी है।

होर्डिग हो सकती है वजह

दो हजार के नोट चलन में बहुत कम दिख रहे हैं। इसकी क्या वजहें हो सकती है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इसकी पड़ताल की। बैंक कर्मचारियों, आम लोग और व्यापारियों के बीच बातचीत की। इसमें एक बात निकल कर आयी कि भले ही दो हजार के नोट भले ही नहीं दिख रहे हैं लेकिन कैश की कोई कमी नहीं है। ओवरऑल कैश सप्लाई कम नहीं हुई है। जबकि अनिरुद्ध कुमार का कहना है कि जब बैंकों को इसके प्रयोग को दबाने आदि की गाइडलाइन नहीं मिली है तो होर्डिग यानी जमाखोरी इसका एक कारण हो सकता है। नोटबंदी के शुरुआती दिनों में इसकी बड़ी संख्या आम चलन में दिख रही थी।

अभी बाजार में दो हजार के नोट प्रचलन में बहुत कम दिख रहे हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इसकी जमाखोरी हो रही है। हालांकि बैंक में कैश की कोई कमी की बात नहीं है। पब्लिक को कैश क लिए कोई परेशानी नहीं होगी।

-अनिरुद्ध कुमार,

ज्वाइंट सेक्रेटरी ऑल इंडिया बैंक एसोसिएशन