कंप्यूटर के लिए नई क्रांति
जॉर्ज बूले ने डिजिटल युग की मैथमेटिक्स को जन्म दिया था।  University of College Cork ने उनके सम्मान में Georgeboole.com नाम की एक वेबसाइट भी बनाई है। बूले ने एलजेब्रिक लैंग्वेज को डिकोड किया और उसकी मदद से डिफरेंट इक्वेशन, प्रॉबेबिलिटी और एल्जेब्रिक लॉजिक पर काम किया। बूलियन एलजेब्रा किसी भी कंप्यूटर की इलेक्ट्रॉनिक स्ट्रक्चर की डिजाइन की नींव रखती है। माना जाता है कि जॉर्ज बूले कंप्यूटर बाइनरी नंबर्स पर काफी मेहनत कर रहे थे। उनका कहना था कि अगर इन नंबर्स को मिक्स कर दिया जाए तो भी कंप्यूटर को ऑपरेट किया जा सकता है। हालांकि उनकी यह सपना पूरा नहीं हो सका और कम उम्र में ही उनकी मृत्यु हो गई।

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आयरलैंड कॉलेज के पहले मैथमेटिक्स प्रोफेसर
जॉर्ज बूले की कामयाबी की शुरुआत 1849 से हुई। जब उन्हें आयरलैंड की Queen's College, Cork (now University College Cork (UCC) में पहले मैथमेटिक्स प्रोफेसर बनने का मौका मिला। यहां पर बूले ने अपनी बूलियन लॉजिक थ्योरम को विस्तार से समझाया। जिसके बाद पूरी दुनिया ने उनकी इस मेहनत का शुक्रिया अदा किया। बूले को 1855 में  Royal Society of Edinburgh की तरफ से  Keith Medal दिया गया था।

काम की वजह से गई जान
महान गणितज्ञ और फिलॉस्फर जॉर्ज बूले की मृत्यु 49 वर्ष में ही हो गई थी। 1864 में बूले 2 मील पैदल चलकर कॉलेज में पढ़ाने जाया करते थे। लेकिन एक दिन अचानक भारी बारिश होने लगी। इसके बावजूद बूले ने हिम्मत नहीं हारी और भीगते हुए कॉलेज पहुंचे जहां गीले कपड़ों में ही उन्होंने घंटो लेक्चर दिया। बाद में घर पहुंचने पर उनकी तबियत काफी बिगड़ गई, उन्हें फीवर और कोल्ड हो गया। हालांकि उनकी बीमारी बढ़ती गई और 8 दिसंबर 1964 को उनकी मुत्यु हो गई।

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