उम्मीदें ज्यादा थी और दौरा मुश्किल, क्योंकि पाकिस्तान जाकर पाकिस्तानियों के विरुद्ध खेलना कोई आसान काम नहीं था. दोनों देशों के लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई थीं.

पाकिस्तान की तरफ़ से वक़ार गेंदबाज़ के तौर पर पहली बार मैदान में उतर रहे थे. पाकिस्तान के पास इमरान ख़ान और वसीम अक़रम जैसे गेंदबाज़ थे.

पाकिस्तान टीम के खिलाड़ियों को लग रहा था कि ये बच्चा क्या कर पाएगा, लेकिन वसीम भाई कह रहे थे कि ये बच्चा कोई आम बच्चा नहीं है और आगे जाकर भारत के लिए लम्बी पारी खेलेगा.

सचिन तब मुंबई की ओर से और मैं महाराष्ट्र की तरफ़ से मैदान में उतरता था. भारतीय टीम में उस समय कपिल देव, नवजोत सिंह सिद्धू, मोहम्मद अज़हरुद्दीन, कृष्णामचारी श्रीकांत जैसे दिग्गज खिलाड़ी थे. सबको अहसास था कि ये लड़का आगे चलकर भारत के लिए बहुत ख़ूब क्रिकेट खेलेगा.

सचिन की उम्र सोलह साल भले ही थी, लेकिन वो पचास साल के आदमी की तरह सोचते थे. उनमें क्रिकेट के प्रति गजब की प्रतिबद्धता थी.

अब्दुल क़ादिर की हसरत

सचिन ने पाकिस्तान दौरे में अब्दुल क़ादिर की गेंदों पर जमकर छक्के जड़े थे. हुआ ये था कि अब्दुल भाई ने कहा था कि मैं इसका विकेट चटका दूंगा. मेरा अंदाज़ ग़लत नहीं है तो उनके एक ओवर में सचिन ने तीन छक्के लगाए थे.

एक छक्का तो इतना ज़ोरदार था कि गेंद ड्रेसिंग रूम के अंदर आकर गिरी थी. क़ादिर के लिए वो ओवर बड़ा ही महंगा साबित हुआ था.

ये एक बड़ी विडम्बना रही कि सचिन और मैंने एक साथ टैस्ट मैच में पदार्पण किया लेकिन वही मैच मेरे लिए पहला और आख़िरी टैस्ट मैच साबित हुआ जबकि सचिन ने इसे यादगार बना दिया और अगले 25 साल तक जमकर क्रिकेट खेला. मुझे दो साल के लिए फिटनेस की समस्या हो गई थी.

बायां जूता, बाईं ज़ुराब

सचिन बायां जूता पहले क्यों पहनते हैं?जानकार कहते हैं कि सचिन क्रिकेट खेलते नहीं क्रिकेट में ही जीते हैं

मुंबई का मैच सचिन का आख़िरी मैच भले ही हो, लेकिन उन्हें किसी ना किसी रूप में क्रिकेट से जुड़े रहना चाहिए क्योंकि क्रिकेट के इतिहास में दोबारा कोई सचिन तेंदुलकर होगा, ऐसा मुझे नहीं लगता. सचिन को युवा क्रिकेट खिलाड़ियों के साथ अपने अनुभव साझा करना चाहिए.

बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि सचिन नींद में भी क्रिकेट की बात करते थे. सोते-जागते, खाते-पीते हर वक्त उनके दिमाग में बस क्रिकेट ही होता था. सचिन हमेशा पहले बाईं जुराब और बायां जूता पहनते हैं. इस मामले में सचिन में एक तरह का अंधविश्वास शुरू से ही रहा है.

(बीबीसी संवाददाता पंकज प्रियदर्शी से बातचीत पर आधारित)

International News inextlive from World News Desk