अलवर छावनी में तैनात
थल सेना की सिग्नल कोर में मार्च 2013 में भर्ती हुई पीडि़ता को इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के बाद अलवर छावनी में तैनात किया गया था। पीडि़ता का आरोप है कि पदस्थापन के बाद से उसके कमान अफसर ने आपत्तिजनक हरकतें शुरू कर दीं। करीब छह महीने तक परेशान होकर महिला सैन्य अधिकारी ने गत अगस्त में पुणे स्थित दक्षिण पश्चिम कमान मुख्यालय को शिकायत भेजी। इसके बाद भी जांच न होने पर पीडि़ता ने सेनाध्यक्ष दलबीर सिंह को पत्र लिखा जिसके बाद कार्यस्थलों पर महिलाओं के संरक्षण अधिनियम के तहत गठित कमेटी ने जांच की।
कर्नल रैंक के अधिकारी को दोषी माना
कमेटी में शामिल महिला अधिकारी मेजर वंदना शुक्ला ने प्रथम दृष्टया कर्नल रैंक के अधिकारी को दोषी माना है। बेटी के साथ हुए बर्ताव से क्षुब्ध पिता ने पिछले सप्ताह रक्षा मंत्री को पत्रकर लिखकर कहा है कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद उन्हें गहरा सदमा लगा है। उन्होंने कहा है कि मेरी बेटी का यौन उत्पीडऩ हुआ और उसकी शिकायत के बावजूद आरोपी अफसर को तरक्की मिल गई। ऐसे चलता रहा तो कोई पिता कैसे बेटियों को सेना में भेजने की हिम्मत कर पाएगा? इस बारे में रक्षा प्रवक्ता के. लेफ्टिनेट कर्नल मनीष ओझा ने बताया कि महिला अधिकारी की शिकायत पर जांच शुरू कर दी गई थी। जांच अभी भी जारी है।
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