ये क्षेत्र अभी विकास की शुरुआती अवस्था में है और फ़िलहाल किसी नियम क़ानून के ज़रिए नहीं चल रहा है.

इस दुर्घटना में राम्या विनोद कथित रूप से आपातकालीन पैराशूट नहीं खुल पाने के चलते 10,000 फीट की ऊंचाई से नीचे जा गिरीं. इतनी ऊंचाई से धरती पर गिरने बाद अस्पताल ले जाते ही उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

बंगलौर में रहने वाला ये जोड़ा अपनी शादी की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए सेलम आया था.

एक आउटडोर एडवेंचर कंपनी नेचर ऐडमायर के देव बालाजी ने बीबीसी को बताया, "ये तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलेगा कि राम्या की मौत की वजह क्या थी, पैराशूट की तकनीकी समस्या या एक दुर्घटना या कोई स्वाभाविक कारण. लेकिन इस मामले ने हमें ध्यान दिलाया है कि भारत में  एडवेंचर स्पोर्टस् खेलों के लिए कोई नियम नहीं हैं."

प्रशिक्षण की कमी

राम्या की मौत के बाद कठघरे में एडवेंचर स्पोर्टस्

बालाजी ने कहा, "छलांग लगाने से पहले राम्या ने सिर्फ एक टेंडम जंप (प्रशिक्षण के दौरान लगाई गई छलांग) लगाई थी. पहले 20 दिनों तक ज़मीनी प्रशिक्षण दिया जाता था. ज़ाहिर है कि ऐसे साहसिक खेलों में किसी व्यक्ति को शामिल होने की अनुमति देने के लिए कोई नियम या प्रक्रिया नहीं है."

जो लोग स्काईडाइविंग के रोमांच का अनुभव करना चाहते हैं, उनके लिए बनाए जाने वाले नियमों को लेकर स्पष्ट रूप से मतभेद हैं.

राम्या विनोद. राम्या की स्काईड्राइविंग करने के दौरान मृत्यु हो गई.

दिल्ली स्थित स्काईडाइवर डॉक्टर आंचल खुराना कहती हैं, "वास्तव में स्काईडाइविंग बेहद सुरक्षित है. अगर आप तयशुदा सुरक्षा नियमों या स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर का पालन करते हैं, तो इसमें मामूली से जोखिम ही शामिल होते हैं."

आंचल खुराना बताती हैं, "इसके लिए अमरीकी पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन (यूएसपीए) के नियमों का पालन किया जाता है. निर्देशकों को यूएसपीए ही प्रशिक्षित करता है. अगर कोई दुर्घटना होती है तो निर्देशक को यूएसपीए से मिला लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है. संघ प्रत्येक आयोजन का ब्यौरा लेता है और ये एक काफ़ी सख़्त संगठन है. इसलिए वास्तव में किसी दूसरी नियामक संस्था की ज़रूरत नहीं है."

सख्ती की ज़रूरत

बालाजी कहते हैं, "ज़्यादातर संगठन आवश्यक योग्यता नहीं रखते हैं, हालांकि हो सकता है कि उनके पास पेशेवर स्काईडाइवर हो. एक गलत अवधारणा ये है कि भारत सरकार के सिविल एविएशन विभाग का स्काइडाइवर्स को मान्यता देने से कोई लेना देना है."

बालाजी ने बताया, "वास्तव में स्काईडाइविंग के लिए कोई नियम नहीं हैं. प्रत्येक 180 दिन में पैराशूट की जांच होनी चाहिए, लेकिन ऐसा किया नहीं जाता है."

यह बिंदु इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सलेम में एक बड़े पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया गया कि "ऐसा लगता है कि पैराशूट में ख़राबी थी."

इस दुर्घटना के बावजूद इस उद्योग से जुड़े दूसरे लोग जोर देकर कहते हैं कि साहसिक खेलों से डरने की ज़रूरत नहीं है.

एक्सक्यूबेटरडॉटकॉम का संचालन करने वाले आईआईएम के पूर्व छात्र गुहेश रामनाथन कहते हैं, "अगर आप सुरक्षा के बुनियादी नियमों का पालन करते हैं तो साहसिक खेल पूरी तरह से सुरक्षित हैं. अगर आप स्कूबा डाइविंग करना चाहते हैं तो आपको पहले दो दिनों तक स्विमिंग पूल में तैराकी का अभ्यास करना चाहिए."

दुर्घटना के आंकड़ें

राम्या की मौत के बाद कठघरे में एडवेंचर स्पोर्टस्

राम्या विनोद. राम्या की स्काईड्राइविंग करने के दौरान मृत्यु हो गई.

रामनाथन के मुताबिक़, "ये बुनियादी बात है. स्कूबा डाइविंग या स्काईडाइविंग के मुक़ाबले कहीं अधिक लोगों की मृत्यु  सड़क दुर्घटना या गर्भावस्था के दौरान होती है. इस बात को साल दर साल के आंकड़े साबित करते हैं."

रामनाथन के मुताबिक़ साल 2000 में दुनिया भर में 1.16 लाख लोगों में से सिर्फ एक व्यक्ति की मौत  स्काईडाइविंग के दौरान हुई. इसी तरह 2010 में 2.12 लाख लोगों में सिर्फ एक व्यक्ति की मौत स्कूबा डाइविंग से हुई. दूसरी ओर प्रत्येक 5,555 लोगों में एक की मौत कार चलाने के दौरान हुई.

रामनाथन इस बात से सहमत हैं कि साहसिक खेलों में सभी गतिविधियों के लिए सुरक्षा निर्देशों का पालन एक बुनियादी शर्त है लेकिन इसकी निगरानी के लिए कोई भी नियम या नियामक संस्था नहीं है.

कारोबार में तेज़ी

बालाजी बताते हैं, "एडवेंचर स्पोर्टस् काफ़ी तेज़ी से बढ़ रहे हैं. एक मोटे अनुमान के मुताबिक़ भारत में इसका बाज़ार प्रतिवर्ष क़रीब 250 करोड़ रुपए है."

हॉलीडे आईक्यू के संस्थापक सीईओ हरी नायर के मुताबिक़, "यह क्षेत्र तेज़ी से बढ़ रहा है क्योंकि भारत की आबादी में युवाओं की हिस्सेदारी 47 प्रतिशत से अधिक है. इसके बावजूद देश में साहसिक यात्राओं का आयोजन कराने वालों में शायद पांच प्रतिशत से अधिक लोग पंजीकृत नहीं हैं. कोई भी उद्योग संगठन इसकी देख रेख नहीं करता है."

नायर कहते हैं कि देश में एडवेंचर स्पोर्टस्, यात्रा और पर्यटन क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों को तत्काल नियमों के दायरे में लाने की आवश्यकता है और इस बारे में राज्य और केंद्र सरकारों को आवश्यक कदम उठाने चाहिए, ताकि नियम प्रणाली का गठन किया जा सके.

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